Onion Price: प्याज के दाम किचन का बजट अभी बिगाड़े रहेंगे, जनवरी 2024 में कीमतें घटने की उम्मीद 

Onion Price: प्याज के दाम किचन का बजट अभी बिगाड़े रहेंगे, जनवरी 2024 में कीमतें घटने की उम्मीद 

प्याज की कीमतों में अभी गिरावट की उम्मीद कम दिख रही है. क्योंकि, बारिश ने नवंबर में आने वाली फसल की आवक को रोक दिया है, जिसके चलते दिसंबर में कीमतों की गिरावट की संभावनाओं को झटका लगा है. हालांकि, जनवरी 2024 में कीमतों में कुछ गिरावट देखी जा सकती है.

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Onion Price: प्याज के दाम किचन का बजट अभी बिगाड़े रहेंगे, जनवरी 2024 में कीमतें घटने की उम्मीद प्याज की वजह से नवंबर की खाद्य महंगाई दर में भी बढ़ोत्तरी की आशंका है.

प्याज की कीमतों में अभी गिरावट की उम्मीद कम दिख रही है. क्योंकि, बारिश ने नवंबर में आने वाली फसल की आवक को रोक दिया है, जिसके चलते दिसंबर में कीमतों की गिरावट की संभावनाओं को झटका लगा है. हालांकि, जनवरी 2024 में कीमतों में कुछ गिरावट देखी जा सकती है. बता दें कि सालभर में प्याज की कीमतें उछलकर लगभग दोगुनी हो गई हैं. प्याज की कीमतों ने रसोई का बजट बिगाड़ रखा है. प्याज की वजह से नवंबर की खाद्य महंगाई दर में भी बढ़ोत्तरी की आशंका है.  

सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस बीते सप्ताह प्याज की खुदरा कीमत बढ़कर 57.85 रुपये प्रति किलोग्राम दर्ज की गई है, जो बीते साल 29.76 रुपये थी. इससे पहले अगस्त के दूसरे सप्ताह में महाराष्ट्र के थोक बाजारों में प्याज की कीमतें चढ़नी शुरू हो गईं. अक्टूबर में नवरात्रि के बाद कुछ बाजारों में कीमतें 85 रुपये प्रति किलोग्राम को पार पहुंच गईं. 

50,000 हेक्टेयर से अधिक खड़ी फसल को नुकसान 

प्याज की ताजा कीमतों में उछाल महाराष्ट्र जैसे कुछ उत्पादक राज्यों में भारी बारिश और ओलावृष्टि है. इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार बारिश ने महाराष्ट्र के पुणे, नासिक, अहमदनगर और औरंगाबाद जैसे क्षेत्रों में करीब 50,000 हेक्टेयर से अधिक की खड़ी फसल को नुकसान पहुंचाया है. बारिश के कारण बाजार में नई फसल की आवक में देरी हुई, जिससे कीमतें फिर से बढ़ी हैं.  

प्याज का बुवाई-कटाई चक्र 

देश में प्याज की फसल तीन चक्रों में उगाई जाती है. रबी की फसल दिसंबर-जनवरी में बोई जाती है और मार्च अप्रैल में काटी जाती है. इसके बाद खरीफ की फसल जून-जुलाई में मानसून की शुरुआत के बाद बोई जाती है और सितंबर-अक्टूबर में काटी जाती है. फिर देर से आने वाली खरीफ की फसल होती है जो सितंबर-अक्टूबर में बोई जाती है और दिसंबर-जनवरी में काटी जाती है. 

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आवक में देरी बनी कीमत बढ़ने की वजह 

नमी अधिक होने के चलते खरीफ की फसल का भंडारण नहीं किया जाता है और नवंबर तक बाजार में आ जाती है. हालांकि, इस वर्ष खरीफ की फसल मौसम के भेंट चढ़ गई, जिससे कीमतों में उतार-चढ़ाव आया है. खराब मौसम के कारण खरीफ प्याज की बुआई में देरी से कम कवरेज और प्याज की फसल की आवक देर से हुई है. भंडारित रबी प्याज के खत्म होने और खरीफ प्याज की आवक में से आपूर्ति में कमी की स्थिति है, जिसके चलते कीमत में वृद्धि हुई है. मौसमी रूप से प्याज की कीमतें अक्टूबर और नवंबर में बढ़ती हैं और फिर दिसंबर या जनवरी में गिर जाती हैं. अनुमान है कि अब जनवरी में प्याज की कीमतें गिरेंगी.

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प्याज से खाद्य मुद्रास्फीति प्रभावित होगी  

प्याज रसोई में इस्तेमाल की जाने वाली प्रमुख खाद्य सामग्री है और खुदरा मुद्रास्फीति बास्केट में इसका वेटेज 0.64% है. इसलिए प्याज की कीमतों में वृद्धि से खाद्य मुद्रास्फीति काफी बढ़ जाती है. प्याज की ऊंची कीमतों से देश भर के परिवारों को परेशानी हो रही है. ऐसा अनुमान है कि नवंबर माह के महंगाई आंकड़े प्याज, दाल और गरम मसालों की अधिक कीमतों की वजह से ऊपर जा सकते हैं. 

 

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