ग्राहकों के साथ गजब का खेल चल रहा है. बेचारा ग्राहक इस संकट में फंसा है कि वह क्या खाए जिससे कि घर का बजट न बिगड़े. आखिर बजट बिगाड़ भी खाना, कोई खाना है. लेकिन वह करे तो क्या करे. उसके हाथ में न तो टमाटर है और न ही अदरक-मिर्च. अब तो प्याज भी फिसला जा रहा है. इसलिए एक ग्राहक दूसरे ग्राहक को समझाइश दे रहा है, थाली जरा संभाल के. ऐसा इसलिए है क्योंकि टमाटर ने अभी पूरी तरह से राहत दी भी नहीं कि प्याज अपनी लालिमा से लोगों को चिढ़ा रहा है. जी हां. टमाटर की बात करें तो कुछ राज्यों में इसके भाव गिरने शुरू ही हुए थे कि प्याज ने अपना तेवर दिखाना शुरू कर दिया है.
कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो अगले महीने से प्याज की महंगाई आपको परेशान कर सकती है. ठीक वैसे ही जैसे टमाटर ने आपके चेहरे को सुर्ख लाल कर दिया है. आखिर ऐसा क्या हुआ कि जिस प्याज को किसान सड़कों और नालियों में फेंक कर कम दाम का विरोध जता रहे थे, अभी उसने ग्राहकों को लाल करना शुरू कर दिया है. आइए इसे पांच पॉइंट्स में समझते हैं.
महाराष्ट्र की लासलगांव मंडी प्याज के लिए विख्यात है. यह प्याज की देश की सबसे बड़ी मंडी है. यहां प्याज का भाव केवल एक हफ्ते में 48 परसेंट तक बढ़ गया है. चार अगस्त को 1550 रुपये प्रति क्विंटल भाव था जो अभी 2300 रुपये तक पहुंच गया है. पिछले आठ महीने में प्याज के भाव में यह सबसे बड़ी तेजी है. इससे पहले पिछले दिसंबर में भाव 2311 रुपये पर चला गया था.
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सवाल है कि मंडियों में आखिर प्याज की आवक क्यों कम हो गई. इसकी एक बड़ी वजह ये है कि देश के किसान अभी खरीफ फसलों की बुआई में लगे हैं. उन्हें मंडी में अपना प्याज ले जाने का समय नहीं मिल रहा है. इससे भी प्याज की आवक घटी है. लासलगांव मंडी में सामान्य दिनों में 20 से 25,000 क्विंटल प्याज हर दिन आता है जो अभी घटकर 15,000 क्विंटल तक घट गया है.
एक्सपर्ट बताते हैं कि अभी जिस तरह की डिमांड है, वैसी सप्लाई नहीं मिल रही है. देसी बाजार के अलावा बांग्लादेश से भी एक्सपोर्ट की मांग अधिक है जिससे प्याज की सप्लाई कम हुई है. जाहिर सी बात है कि जब मांग के मुताबिक सप्लाई नहीं होगी तो रेट बढ़ेंगे. अभी यही हाल देखा जा रहा है.
रबी सीजन का प्याज अप्रैल से जून तक निकलता है. वही प्याज अभी चलता है. इसके बाद खरीफ प्याज की आवक अक्टूबर से शुरू होती है. इस बीच देश के कुछ राज्यों में प्याज की नई उपज निकलती है. ये राज्य हैं आंध्र प्रदेश और कर्नाटक. लेकिन इन दोनों राज्यों में उपज में एक महीने की देर हो गई है. अहमदनगर से सप्लाई भी घटी है. आंध्र और कर्नाटक में सप्लाई इसलिए गिरी है क्योंकि वहां बारिश ने अधिक प्रभाव डाला है.
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बारिश के चलते कई राज्यों में खरीफ प्याज की बुआई पिछड़ गई है. इससे आने वाले समय में प्याज की महंगाई के संकेत अभी से मिलने लगे हैं. दूसरी ओर, गर्मियों में बोए गए प्याज का स्टॉक अब धीरे-धीरे खत्म हो रहा है. छोटे किसानों के पास स्टॉक नहीं बचा. केवल बड़े किसानों ने ही इसे बचा कर रखा है जिसे वे ऊंचे दामों पर बेच रहे हैं. दूसरी ओर नई उपज निकलने में देरी हो गई है. लिहाजा दाम में तेज बढ़ोतरी देखी जा रही है.
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