महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बीच प्याज के दाम में इजाफा जारी है, लेकिन सियासी नुकसान के डर से केंद्र सरकार एक्सपोर्ट बैन जैसे कदम से बच रही है. हालांकि, सरकार ने नेफेड और एनसीसीएफ के जरिए बाजार भाव से लगभग आधे दाम पर 35 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक्री शुरू करके उपभोक्ताओं को राहत देने की कोशिश की है. चुनाव की वजह से सरकार के हाथ बंधे हुए हैं ऐसे में इसका दाम पिछले वर्ष के मुकाबले 42 और दो वर्ष पहले की तुलना में करीब 145 फीसदी बढ़ चुके हैं. किसान अच्छे दाम का फायदा उठा रहे हैं. वो पुराने घाटे की भरपाई कर रहे हैं. किसानों का साफ कहना है कि विधानसभा चुनाव न होता तो अब तक सरकार एक्सपोर्ट बैन लगा चुकी होती.
किसानों का दावा है कि प्याज उत्पादन की लागत 18 रुपये प्रति क्विंटल तक आती है. ऐसे में इस साल के भाव से उन्हें बंपर मुनाफा मिल रहा है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक 20 अक्टूबर को देश में प्याज का मंडी भाव 3869.84 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जो पिछले साल की इसी तारीख को सिर्फ 2722.24 रुपये प्रति क्विंटल था. जबकि 20 अक्टूबर 2022 को देश में प्याज का थोक दाम सिर्फ 1582.42 रुपये प्रति क्विंटल ही था. यानी इस साल किसानों को अच्छी कमाई हो रही है. देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक सूबे महाराष्ट्र की मंडियों में थोक दाम रिकॉर्ड बना रहा है. सोलापुर में अधिकतम थोक भाव 5500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है.
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महाराष्ट्र एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के अनुसार 21 अक्टूबर को सूबे की 59 मंडियों में प्याज की नीलामी हुई, जिसमें से 50 मंडियों में अधिकतम थोक दाम 4000 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक रहा. बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि जब देश के 43 फीसदी प्याज उत्पादन करने वाले राज्य में थोक दाम इतना रहेगा तो उपभोक्ताओं को कैसे 70 रुपये से कम दाम पर प्याज मिलेगा. कुछ मंडियों में थोक दाम 5000 रुपये प्रति क्विंटल और उससे अधिक तक पहुंच गया है. सोलापुर में 21 अक्टूबर को 43733 क्विंटल प्याज की आवक हुई, इसके बावजूद अधिकतम दाम 5500 और न्यूनतम 2500 रुपये रहा.
सबसे बड़ा उत्पादक होने के कारण महाराष्ट्र से ही प्याज के दाम का रुख तय होता है. इस समय राज्य की अधिकांश मंडियों में आवक घट गई है, जिसकी वजह से दाम में तेजी बरकरार है. सतारा मंडी में 21 अक्टूबर को सिर्फ 38 क्विंटल प्याज की आवक हुई. जबकि जुन्नर (नरायणगांव) में 20, खरड़ में 99, मनमाड में 70, नागपुर की हिंगना मंडी में सिर्फ 2, पुणे-पिंपरी में महज 10 और कल्याण में सिर्फ 3 क्विंटल प्याज की आवक हुई. अभी तक मंडियों में ज्यादातर रबी सीजन का स्टोर किया हुआ प्याज बिकने आ रहा है. दाम बढ़ने की एक वजह प्याज उत्पादन में कमी भी है.
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