
प्याज का दाम कम करने के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. नेशनल कॉपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एनसीसीएफ) और नेफेड बृहस्पतिवार से 35 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर प्याज बेचेंगे. उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी दोनों सहकारी एजेंसियों की प्याज वैन को हरी झंडी नई दिल्ली स्थित कृषि भवन से रवाना करेंगे. एनसीसीएफ दिल्ली-एनसीआर में 38 जगहों पर सस्ता प्याज बेचेगा. सरकार ने यह फैसला तब लिया है जब देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक सूबे महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं. जहां पर लोकसभा चुनाव में प्याज के दाम के मुद्दे पर ही बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियों को बड़ा सियासी झटका लग चुका है. सरकार ने उपभोक्ताओं के लिए यह फैसला लिया है, लेकिन इससे बाजार में दाम गिर जाएंगे और उससे किसानों को नुकसान झेलना पड़ सकता है.
महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि बफर स्टॉक बढ़ाकर सरकार यह संदेश देती है कि वो किसानों के हित के लिए प्याज खरीद रही है. लेकिन असल में यह स्टॉक ही किसानों के लिए परेशानी का सबब बन जाता है, क्योंकि जब दाम बढ़ने शुरू होते हैं तब इस स्टॉक को बाहर निकालकर सरकार दाम गिराने का काम कर देती है. जैसा कि अब करने जा रही है. लगता है कि केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव में प्याज के कम दाम पर दिखी किसानों की नाराजगी से कोई सबक नहीं लिया है.
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उधर, किसान नेता अनिल घनवत ने कहा कि किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान सरकार द्वारा बाजार में हस्तक्षेप करने से हो रहा है. इस समय बाजार में प्याज का रिटेल प्राइस 50 से 60 रुपये किलो है. लेकिन केंद्र सरकार के इस दांव से थोक दाम गिरकर 25 से 30 रुपये रह जाएंगे. जबकि इस समय किसानों को 40 से 44 रुपये तक का थोक दाम मिल रहा है. सरकार को कंज्यूमर दिखाई दे रहे हैं लेकिन किसान नहीं. अब प्याज का दाम विधानसभा चुनाव में भी बड़ा मुद्दा बनेगा. किसान लोकसभा चुनाव की तरह इस बार भी 'बदला' लेंगे.
इस बार केंद्र सरकार चाहकर भी प्याज एक्सपोर्ट बैन का फैसला नहीं ले पा रही थी. क्योंकि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव आ गए हैं. ऐसे में अब उपभोक्ताओं को राहत देने का दूसरा तरीका निकाला गया है. हालांकि महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने पिछले साल दिसंबर में प्याज एक्सपोर्ट बैन करने से किसानों को हुए आर्थिक नुकसान पर उनसे माफी मांग चुके हैं. साथ ही दूसरे डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस भी स्वीकार कर चुके हैं कि प्याज एक्सपोर्ट बैन करना गलती थी. इसके बावजूद अब केंद्र सरकार ने दाम कम करने वाला फैसला ले लिया है. इससे किसानों को नुकसान होना तय है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि महाराष्ट्र के स्थानीय नेता कैसे किसानों का सामना करेंगे.
केंद्र सरकार ने प्याज के दाम पर काबू रखने के लिए 7 दिसंबर 2023 को एक्सपोर्ट बैन कर दिया था. लेकिन इससे राजनीतिक नुकसान होता देख लोकसभा चुनाव के बीच में ही 4 मई 2024 को दो शर्तों के साथ एक्सपोर्ट खोल दिया था. जिसके बाद दाम बढ़ने शुरू हुए थे. किसानों का कहना है कि उत्पादन लागत 18 रुपये किलो तक पहुंच गई है. लेकिन एक्सपोर्ट बैन रहने की वजह से उन्हें 5 से 15 रुपये किलो तक का ही दाम मिल रहा था. जब एक्सपोर्ट खुला तो जून में दाम बढ़ना शुरू हुआ और अब तक उसमें गिरावट नहीं आई है.
केंद्र ने प्याज पर 550 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य यानी एमईपी और 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाई हुई है. इसके बावजूद दाम बढ़ना जारी है. महाराष्ट्र के किसान नेता और एक्सपोर्टर कहां इस ड्यूटी को कम करवाने की मांग कर रहे थे और कहां सरकार ने उल्टे खुद 35 रुपये किलो पर प्याज बेचने का एलान कर दिया. विधानसभा में विधानसभा चुनाव, प्याज के दाम, कंज्यूमर और किसानों के बीच उलझी केंद्र सरकार ने एक बार फिर कंज्यूमर के साथ खड़े होने का फैसला किया है. ऐसे में अब किसानों ने विधानसभा चुनाव में इसका बदला लेने का एलान कर दिया है.
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