महाराष्ट्र में एक तरफ जहां प्याज़ की गिरती कीमतों को लेकर किसान परेशान हैं और इसके कारण उन्होंने रबी सीजन में प्याज़ की खेती कम कर दी है, तो वहीं राजस्थान के सीकर में प्याज़ के उत्पादन में बढ़ोतरी देखी जा रही है. इसलिए सीकर मंडी में रोजाना लगभग 10 हजार प्याज के कट्टे बिकने के लिए आ रहे हैं. राजस्थान प्याज के प्रमुख उत्पादकों में शामिल है. सीकर मंडी में इस समय प्याज के थोक भाव 11 से 16 रुपये प्रति किलो पहुंच गए हैं. यह आवक और भाव 4 दिन पहले के हैं.
दरअसल सर्दी के सीजन में बोए गए प्याज को अब जमीन से बाहर निकाल कर किसान मंडियों तक पहुंचाने लगे हैं. रबी सीजन की फसलों की थ्रेसिंग का काम होने से मांग बढ़ने के साथ प्याज की खुदाई ने जोर पकड़ लिया है. रसीदपुरा, मैलासी, भढाडर और धोद सहित कई तहसीलों के खेतों में जगह-जगह प्याज के ढेर नजर आ रहे हैं. मांग इतनी बढ़ गई है कि कई जगह खेतों के बाहर ही प्याज की बिक्री की जा रही है.
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पिछले साल की तुलना में बुवाई कम होने व मांग ज्यादा होने के कारण हरियाणा, यूपी और हिमाचल प्रदेश से भी खरीददार सीकर मंडी में पहुंच रहे हैं. रोजाना दस हजार से ज्यादा प्याज के कट्टे बिकने के लिए आ रहे हैं.;सीकर मंडी में इन दिनों प्याज के औसतन दस से 15 हजार कट्टे पहुंच रहे हैं.
प्याज के थोक व्यापारी देवीलाल बासडी ने बताया कि इस बार प्याज के सीजन में भाव तेज रहने के आसार हैं. गुणवत्ता ठीक है, लेकिन प्याज की खरीद करने वालों ने मंडियों में आने की बजाए इस समय खेतों से प्याज की खरीद शुरू कर दी है. जिससे सीकर मंडी में पिछले साल की तुलना में इस समय प्याज कम मात्रा में आ रहा है. यही कारण है कि सीकर मंडी में चार दिन में ही भावों में तेजी आ गई है.
हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के लोगों में सीकर के प्याज की मांग बढ़ी रही है. सीकर से दूसरे राज्यों में रोजाना दो दर्जन प्याज के ट्रक और अन्य वाहन जा रहे हैं. इससे किसानों को इस साल अच्छा भाव भी मिल रहा है.
चार महीने तक सीकर और रसीदपुरा प्याज मंडी में प्याज की बिक्री का सीजन चलता है. पहले रसीदपुरा और खूडी क्षेत्र का प्याज सबसे पहले आता है. वहां बीकानेर, पंजाब और हरियाणा के व्यापारी सीधे खेतों से प्याज की क्यारियां ही खरीद रहे हैं. प्याज के सीजन के दौरान सीकर मंडी में प्याज के कट्टों की आवक रोजाना पचास हजार कट्टों तक पहुंच जाती है. सीकर जिले में इस बार सर्दी का अच्छा मौसम रहने के कारण प्याज का अनुमानित उत्पादन करीब चार लाख मीट्रिक टन से ज्यादा आंका जा रहा है.
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