किसानों की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए केंद्र सरकार ने प्याज एक्सपोर्ट बैन को 31 मार्च 2024 से आगे भी जारी रखने का फैसला लिया है. निर्यातबन्दी जारी रखने के निर्णय से किसानों की परेशानी और चिंता काफी बढ़ गई है, क्योंकि जब तक एक्सपोर्ट नहीं होगा तब तक उन्हें बाजार में बहुत कम दाम मिलेगा. ऐसे में प्याज उत्पादक किसान आखिर क्या करेंगे. बड़ा सवाल यही है कि कैसे वह निर्यातबन्दी की पॉलिसी से होने वाले नुकसान से बचेंगे. किसानों का कहना है कि वह निर्यातबन्दी खत्म होने तक प्याज का स्टोर करेंगे. उम्मीद है कि सरकार लोकसभा का चुनाव खत्म होते ही निर्यात ख़ोल देगी.
महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि अगर रबी सीजन का भी पयाज उन्होंने औने-पौने दाम पर बेचा तो फिर उनके ऊपर काफी कर्ज बढ़ जाएगा और इससे उनकी खेती प्रभावित होगी. इसलिए कोशिश यह रहेगी कि ज्यादा से ज्यादा वक्त तक प्याज को स्टोर करके रखा जाए, ताकि समय आने पर अच्छा दाम मिले. इसके अलावा किसानों के पास कोई और विकल्प नहीं है. क्योंकि सरकार ने वह सारे रास्ते बंद कर दिए हैं जिससे दाम बढ़ने की संभावना होती है.
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खरीफ सीजन में निकलने वाला प्याज स्टोर करने लायक नहीं होता, इसलिए खेत से निकलते ही उसकी आनन-फानन में बिक्री करना किसानों की मजबूरी होती है. लेकिन रबी सीजन के प्याज के साथ ऐसा नहीं है. रबी सीजन का प्याज स्टोर किया जा सकता है. इसलिए अभी किसानों के पास यह विकल्प मौजूद है कि वह चुनाव तक किसी भी तरह से अपना प्याज स्टोर में रोक कर रखें और उसके बाद उसे बेचें. रबी सीजन का स्टोर किया हुआ प्याज दिवाली के त्योहार तक चलता है. किसानों को उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव के बाद सरकार प्याज एक्सपोर्ट बैन का फैसला वापस ले सकती है.
प्याज उत्पादक किसानों के नेता भारत दिघोले का कहना है सरकार प्याज किसानों जितना किसी को भी परेशान नहीं कर रही है. सरकार प्याज किसानों के हितों पर लगातार चोट पर चोट कर रही है..इसकी वजह से किसान प्याज की खेती काम कर रहे हैं.
अगस्त 2023 में जब प्याज का दाम बढ़ना शुरू हुआ तब सरकार ने उसे घटाने के लिए 40% एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाई. उसके बाद भी दाम नहीं कम हुआ तो नवंबर 2023 में 800 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य तय कर दिया गया. उसके बाद भी दाम नहीं घटा तो 7 दिसंबर की देर रात एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया. यह बैन 31 मार्च 2024 तक लागू था. लेकिन अब इसे अनिश्चितकालीन के लिए बढ़ा दिया गया है. जिससे किसान हैरान हैं कि आखिर सरकार उन्हें कब तक परेशान करती रहेगी. कब तक वो घाटा सहकर प्याज बेचते रहेंगे.
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