खेती-किसानी के बाद पशुपालन किसानों की पहली पसंद बनता जा रहा है. कमाई के लिहाज से भी पशुपालन करना किसानों और पशुपालकों के लिए फायदे का सौदा रहा है, लेकिन पशुओं से व्यवसाय तभी सफल होता है जब पशुपालन से जुड़ी सभी बुनियादी बातों की जानकारी हो. इसके लिए जरूरी है कि आप अपने पशुओं के रखरखाव और बेहतर खानपान की जानकारी रखते हों. पशुपालकों को सलाह दी जाती है कि पोषण से भरपूर हरा चारा खिलाएं.
वहीं ज्यादातर पशुपालकों के लिए पशु चारा उगाना आसान है क्योंकि वे पशुपालन के साथ खेती भी करते हैं. ऐसे में पशुपालकों को ऐसी घास उगानी चाहिए जिसे एक बार खेती करके वह कई सालों तक काट कर अपने पशुओं को खिला सकें. ऐसा ही एक घास है हाथी घास जिसे लोग नेपियर के नाम से भी जानते हैं.
नेपियर घास किसानों और पशुपालकों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है. नेपियर घास पशुओं के लिए बेहतर चारा है. नेपियर घास ज्यादा पौष्टिक और उत्पादक होती है. इस घास के सेवन से पशुओं में दूध उत्पादन बढ़ने के साथ ही पशुओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है. पशुपालकों को अपने गाय-भैंसों को चारे के रूप में हरी-भरी घास देने की सलाह दी जाती है. हरे घास में हाथी घास के नाम से मशहूर नेपियर घास पशुओं के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है.
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हाथी घास की खेती किसान किसी भी मौसम में कर सकते हैं. हाथी घास को बोने के लिए इसके डंठल को काम में लिया जाता है, जिसे नेपियर स्टिक कहा जाता है. स्टिक को खेत में डेढ़ से दो फिट की दूरी पर रोपा जाता है. वहीं एक बीघा में करीब 8 हजार डंठल की आवश्यकता होती है. इस घास के डंठल को जुलाई से अक्टूबर और फरवरी में बोया जा सकता है. वहीं इसके बीज नहीं होते हैं. साथ ही इसकी खेती के लिए उचित जल निकास वाली मटियार और बलुई दोमट मिट्टी बेहतर होता है.
एक बार बुवाई करने के बाद यह लगातार चार से पांच सालों तक काटी जाने वाली घास है. हर 02 से 03 महीने में घास की ऊंचाई 15 फीट हो जाती है. नेपियर घास को बार-बार निराई, गुड़ाई या रासायनिक खाद और कीटनाशकों की भी जरूरत नहीं होती. यह बेहद कम खर्च में तैयार होने वाली है. इस घास से हर 3 महीने में एक बीघा में कटाई से किसान 20 टन से ज्यादा उपज ली जा सकती है.
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