हल्दी की खेती पर सरकार खर्च करेगी 200 करोड़ रुपये, साल 2030 तक 400 प्रतिशत बढ़ जाएगा निर्यात!

हल्दी की खेती पर सरकार खर्च करेगी 200 करोड़ रुपये, साल 2030 तक 400 प्रतिशत बढ़ जाएगा निर्यात!

विश्व में सबसे अधिक मसालों की खेती भारत में ही होती है. तमिलनाडु, कर्नाटक, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात, असम और मेघालय में किसान बड़े स्तर पर हल्दी की खेती करते हैं. वर्ष 2022-23 में 11.61 लाख टन हल्दी का वैश्विक उत्पादन था.

Advertisement
हल्दी की खेती पर सरकार खर्च करेगी 200 करोड़ रुपये, साल 2030 तक 400 प्रतिशत बढ़ जाएगा निर्यात!अब हल्दी की खेती से होगी बंपर कमाई. (सांकेतिक फोटो)

तेलंगाना के निजामाबाद से भाजपा सांसद धर्मपुरी अरविंद ने सोमवार को कहा कि हल्दी उत्पादक किसानों और व्यापारियों की इनकम में बढ़ोतरी होगी. इसके लिए केंद्र सरकार ने प्लान तैयार कर लिया है. उनकी माने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार  2030 तक हल्दी निर्यात 1,600 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 6,400 करोड़ रुपये करने पर विचार कर रही है. यानी निर्यात में सीधे चार गुना इजाफा. बीजेपी सांसद ने कहा कि निर्यात में बढ़ोतरी करने से किसानों को सीधा मुनाफा होगा. मांग बढ़ने से वे ज्यादा रकबे में हल्दी की खेती करेंगे, जिससे किसानों की इनकम में बढ़ोतरी होगी.

मार्केट यार्ड में हल्दी किसानों, व्यापारियों, कमीशन एजेंटों, खरीदारों और अधिकारियों की एक बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि हल्दी निर्यात में 400 प्रतिशत की वृद्धि हो. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड इस सीजन से चालू हो जाएगा, जो यह सुनिश्चित करेगा कि बुनियादी ढांचे में सुधार हो , ताकि किसानों को बुवाई से लेकर उनकी उपज के निर्यात तक हर संभव मदद की जा सके. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के लिए आदर्श बुनियादी सुविधाएं बनाने के लिए 200 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने की योजना बना रही है. उन्होंने सुझाव दिया कि किसान हल्दी की खेती के लिए जैविक तरीकों को अपनाएं.

इतनी होगी हल्दी की कीमत

भाजपा सांसद धर्मपुरी अरविंद ने कहा कि इस साल से, किसानों को निज़ामाबाद मार्केट यार्ड में उनकी उपज का न्यूनतम 10,000 रुपये से 1,350 रुपये प्रति क्विंटल मिलेगा. अगले सीजन से किसानों को प्रति क्विंटल 20,000 रुपये मिलेंगे और आने वाले वर्षों में कीमत 25,000 रुपये क्विंटल तक बढ़ जाएगी. उन्होंने सुझाव दिया कि व्यापारियों को लक्कमपल्ली और जिले के अन्य स्थानों में छोटे उद्योग स्थापित करके निर्यातक भी बनना चाहिए.

ये भी पढ़ें- क्या है लहसुन का फांक सड़न रोग जो उपज घटा देता है, लक्षण और रोकथाम का उपाय जानिए

इस तरह किसानों को मिलेगी मदद

उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि राज्य सरकार फसल बीमा प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसी केंद्रीय योजनाओं को लागू करके किसानों को पूरी सहायता देगी. उन्होंने यह भी कहा कि हल्दी की कीमतें गिरने पर राज्य सरकार को केंद्र सरकार के साथ मिलकर बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) लागू करनी चाहिए. इस अवसर पर निजामाबाद शहरी विधायक धनपाल सूर्यनारायण गुप्ता, आर्मूर विधायक पी राकेश रेड्डी और भाजपा जिला अध्यक्ष दिनेश पटेल कुलाचारी उपस्थित थे.

30 से अधिक किस्में उगाई जाती हैं

बता दें कि विश्व में सबसे अधिक मसालों की खेती भारत में ही होती है. तमिलनाडु, कर्नाटक, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात, असम और मेघालय में किसान बड़े स्तर पर हल्दी की खेती करते हैं. वर्ष 2022-23 में 11.61 लाख टन हल्दी का वैश्विक उत्पादन था. इसमें भारत की हिस्सेदारी अकेले 75 प्रतिशत से अधिक थी. भारत में 3.24 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हल्दी की खेती की गई थी. भारत में हल्दी की 30 से अधिक किस्में उगाई जाती हैं और यह देश के 20 से अधिक राज्यों में उगाई जाती है.

ये भी पढ़ें-  महाराष्ट्र के बाद गुजरात से उठी प्याज की न‍िर्यात बंदी खत्म करने की मांग, एपीएमसी ने ल‍िखा केंद्र को पत्र

 

POST A COMMENT