केंद्र सरकार ने बुधवार को राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड (National Turmeric Board) के गठन का नोटिफिकेशन जारी कर दिया. यह काम बहुत तेजी से हुआ है. क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार एक अक्टूबर को ही अपनी तेलंगाना यात्रा के दौरान बोर्ड बनाने की घोषणा की थी. भारत हल्दी का एक प्रमुख उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है. हल्दी न सिर्फ हमारे खानपान का अहम हिस्सा है बल्कि शुभ कार्यों में प्राचीन काल से ही इसका इस्तेमाल होता आया है. लेकिन दुर्भाग्य से भारत में तंबाकू बोर्ड था लेकिन हल्दी बोर्ड के लिए किसानों को आंदोलन करना पड़ रहा था. तंबाकू बोर्ड का गठन 1976 में ही हो गया था, जबकि सेहत के लिए प्रकृति के वरदान हल्दी की सुध लेने वाला कोई नहीं था. ऐसे में किसानों ने इसकी मांग को लेकर जंतर-मंतर पर धरना भी दिया था. अभी तक हल्दी राष्ट्रीय मसाला बोर्ड के अधीन आती थी.
तंबाकू बोर्ड के गठन के 47 साल बाद हल्दी बोर्ड का गठन हुआ. भारत में हल्दी को न्याय मिला. वो भी किसानों के आंदोलन के बाद. यूपीए और एनडीए दोनों के शासनकाल में तेलंगाना के हल्दी किसान जंतर-मंतर पर हल्दी बोर्ड बनाने की मांग को लेकर आंदोलन कर चुके हैं. बहरहाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की मांगों पर गौर किया. खासतौर पर तेलंगाना की भावना को समझा और इस बड़े फैसले का एलान किया. उनके एलान के चौथे दिन ही नोटिफिकेशन भी जारी हो गया. तेलंगाना के किसान भारी मात्रा में हल्दी का उत्पादन करते हैं. यहां का निजामाबाद हल्दी की खेती का गढ़ माना जाता है.
इसे भी पढ़ें: पंजाब में क्यों बैन हुई धान की सबसे ज्यादा पैदावार देने वाली पूसा-44 किस्म, जानिए वजह और खासियत
हल्दी की खेती में भारत वर्ल्ड लीडर है. हम दुनिया की 75 फीसदी से अधिक हल्दी पैदा करते हैं. हम इसके सबसे बड़े एक्सपोर्टर हैं. अब राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड देश में हल्दी और हल्दी उत्पादों के विकास और वृद्धि पर फोकस करेगा.हल्दी से संबंधित मामलों में नेतृत्व प्रदान करेगा. हल्दी क्षेत्र के विकास और वृद्धि में मसाला बोर्ड और अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ अधिक समन्वय की सुविधा प्रदान करेगा. जिससे किसानों की आय बढ़ेगी. इसकी खेती का विस्तार होगा.
कोई भी शुभ काम हल्दी के बिना अधूरा है. बिना हल्दी के खासतौर पर भारतीय रसोई अधूरी है. यह दवा बनाने के काम भी आती है और खूबसूरती निखारने के भी. कोरोना काल में तो यह इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में इस्तेमाल हो रही थी. ऐसे में इसका एक्सपोर्ट बढ़ने की काफी गुंजाइश है. बोर्ड विशेष रूप से वैल्यू एडिशन पर भी काम करेगा. ताकि किसानों को ज्यादा लाभ मिले.
बोर्ड में केंद्र सरकार अध्यक्ष नियुक्त करेगी. आयुष मंत्रालय, केंद्र सरकार के फार्मास्यूटिकल्स, कृषि, वाणिज्य, तीन राज्यों के प्रतिनिधि, रिसर्च में शामिल संस्थान, चुनिंदा हल्दी किसान और एक्सपोर्टरों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. राज्यों को रोटेशन के आधार पर प्रतिनिधित्व दिया जाएगा. खास बात यह है कि इसमें किसान भी होगा. बोर्ड के सचिव की नियुक्ति वाणिज्य विभाग द्वारा की जाएगी. यानी बोर्ड वाणिज्य मंत्रालय के अधीन काम करेगा.
इसे भी पढ़ें: MS Swaminathan: भारत में कैसे आई हरित क्रांति, क्या था एमएस स्वामीनाथन का योगदान?
हल्दी के विश्व व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 62 प्रतिशत है. वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार साल 2022-23 के दौरान, 380 निर्यातकों ने 207.45 मिलियन डॉलर मूल्य के 1.534 लाख टन हल्दी और हल्दी उत्पादों का निर्यात किया था. भारतीय हल्दी के सबसे बड़े मुरीद देशों में बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और मलेशिया हैं. सरकार ने बोर्ड गठन के नोटिफिकेशन के साथ ही अनुमान लगाया है कि साल 2030 तक हमारे देश से हल्दी का एक्सपोर्ट 1 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today