Mirzapur News: उत्तर प्रदेश के युवा किसानों का रुझान मशरूम की खेती की तरफ तेजी से बढ़ा है, ऐसे ही एक युवा किसान हैं उदय प्रताप सिंह, जो जैविक विधि से मशरूम की खेती कर रहे हैं. इसी कड़ी में मिर्जापुर जिले के बघौडा गांव निवासी उदय प्रताप सिंह ने मुरादाबाद से बीएससी एग्रीकल्चर से पढ़ाई पूरी की. इसके बाद हाई प्रोफाइल नौकरी की तरफ रुख न करके मशरूम की खेती की तरफ रुख किया. आज मशरूम की खेती से उन्हें लाखों रुपये का मुनाफा हो रहा है.
उदय प्रताप सिंह ने किसान तक से बातचीत में बताया कि ग्रेजुएशन के आखिरी वर्ष में कोर्स में मशरूम कंल्टीवेशन ही विषय था. मशरूम के तरफ उनका रुझान काफी बढ़ गया. मशरूम की खेती के बारे में जानकारी होने के बाद मार्केट स्टडी की. उदय ने बताया कि मार्केट स्टडी में काफी फायदा नजर आ रहा है. घर में भी पहले से लोग खेती से जुड़े हुए है, जिसकी वजह से उन्होंने मशरूम की खेती करने का प्लान बनाया. आज इस खेती से लाखों का मुनाफा हुआ है, जहां पर 12 से 13 लोगों को इससे रोजगार भी मिला हुआ है.
उदय बताते हैं कि साल 2021 में हमने मशरूम की खेती करना शुरू किया. इसके लिए हमने सबसे पहले ग्रोइंग चेंबर बनाया. जिसका साइज 60 फीट लंबा, 18 फीट चौड़ा और 16 फीट उंचा बनाया जाता है. टफ पैनल के अंदर हम अर्टिविसियल आर्टिफिशियल तापमान क्रिएट करके मशरूम की पैदावार करते है, सबसे खास बात है कि इस दौरान टफ पैनल के तापमान का विशेष ध्यान दिया जाता है. क्योंकि अमूमन मशरूम की ज्यादा पैदावार जाड़े के समय ज्यादा होती है. उन्होंने बताया कि मशरूम के बीच को हम लोग सरकारी और प्राइवेट संस्था दोनों जगहों से खरीदते है. सरकारी संस्था में बीच की कीमत 80 रुपये प्रति किलो होती है, जबकि प्राइवेट में 120-130 रुपये के दर मिलती है.
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उदय प्रताप सिंह आगे कहते है कि गर्मियों के सीजन में एक किलो मशरूम की कीमत 200-250 रुपये प्रति किलो तक चला जाता है. वहीं जाड़े में 80 रुपये से 120 रुपये तक बिकता है. शादी-विवाह में इसकी डिमांड बहुत ज्यादा होती है. इससे बहुत फायदा होता है. मशरूम की खेती करने वाले उदय ने बताया कि रोजाना 2 किविंटल से अधिक की पैदावार हो जाती है. जो लखनऊ, वाराणसी और उसके आसपास के जिले में सप्लाई की जाती है. जबकि मिर्जापुर के लोकल मंडी में इसकी डिमांड बहुत अधिक होती है. सालाना इनकम के सवाल पर उदय ने बताया कि एक चैंबर से 5 बैच निकलता है, कुल दो चैंबर से 10 बैच मशरूम निकलता है. इस हिसाब से कुल एक साल में खर्चा निकालने के बाद 10-12 लाख रुपये की बचत हो जाती है.
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उन्होंने बताया कि मशरूम की खेती के लिए शुरुआत में करीब 1.25 करोड़ रुपये खर्च हुआ था. लेकिन दो सालों में इनकम ठीक ठाक हो रही है. फिलहाल बटन मशरूम, ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम, दूधिया मशरूम, पैडीस्ट्रा मशरूम और शिटाके मशरूम की किस्में उगाई जा रही हैं.किसान उदय ने आगे कहा कि यूपी सरकार मशरूम के उत्पादन पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी देती है. हमको अभी तक 16 लाख रुपये सरकार से सब्सिडी मिल चुकी है, अभी एक सब्सिडी 8 लाख रुपये की मिलना बाकी है. बता दें कि राज्य सरकार की ओर से एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत किसानों को मशरूम उत्पादन के लिए यूनिट लागत 20 लाख रुपये पर 50 प्रतिशत सब्सिडी देती हैं.
वर्तमान समय में शहरों से लेकर गांवों तक लोगों के बीच मशरूम काफी पसंदीदा सब्जी बनती जा रही है. किसानों की इनकम दोगुनी करने लिए केंद्र के साथ राज्य सरकारें कई योजनाएं चला रही है. किसान इन योजनाओं का लाभ उठाकर अपनी कमाई बढ़ा सकते हैं. सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर युवा किसान खेती-किसानी में करियर बना रहे हैं.
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