
Barabanki Farmers Story: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में पिछले कुछ सालों से किसान पारंपरिक खेती से हटकर मुनाफे की खेती करने लगे हैं. इसी क्रम में बाराबंकी जिले में कई किसान रामदाना (Ramdana Farming) फसल की खेती करके लाखों रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं. दरअसल, रामदाना मुनाफा देने वाली फसल है. इसकी खेती में कम मेहनत और कम पानी की जरूरत होती है. यही वजह है कि अब पूरे उत्तर प्रदेश में इसकी खेती का प्रचलन काफी तेजी से बढ़ रहा है.
बाराबंकी जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर रामसनेहीघाट तहसील के देवीगंज पुरेअवधूतपुर गांव में रामदाना की खेती पर जोर दिया जा रहा है. देवीगंज ग्राम पुरेअवधूतपुर में निर्मला देवी रामदाना की बेहतर खेती कर 3 महीने में हजारों रुपए का लाभ ले रही है. निर्मला देवी बताती हैं, हम पहले गेहूं, धान और आलू आदि की खेती करते थे. उसमें ज्यादा कुछ फायदा नहीं हो पाता था. उसके बाद हमने रामदाना की खेती करने का इरादा बनाया. रामदाना की खेती हमने पांच साल पहले शुरू किया और अब हमें अच्छा फायदा हो रहा है. निर्मला देवी आगे बताते हैं, एक बीघे में एक क्विंटल से डेढ़ कुंतल रामदाना निकल आता है. हम इसकी बिक्री असन्द्र बाजार में करते हैं. वहीं 75 रुपये से 80 रुपये प्रति किलो की दर से रामदाना बिक जाता है.
बाराबंकी जिले के बंकी ब्लाक के शुक्लाई गांव के रहने वाले युवा किसान विक्रम सिंह ने 3 साल पहले अपने गांव में एक बीघे में रामदाने की खेती की शुरुआत की थी. जिसमें उन्हें अच्छा लाभ देखने को मिला. आज वो करीब 4 बीघे में रामदाने की खेती कर रहे है, जिसमें उन्हें प्रतिवर्ष दो से ढाई लाख रुपये आय हो रही हैं. आज उनकी खेती देख इनके गांव के कई किसान इन्हीं की तरह रामदाने की खेती करने लगे है. किसानों ने बताया कि रामदाना की खेती छोटी जोत वाले किसानों के लिए फायदेमंद है. कम समय में और कम लागत में रामदाना की खेती बहुत अच्छी है.
किसान विक्रम सिंह ने बताया कि पहले व धान, गेंहू की खेती करते थे जिसमें अधिक मुनाफा नही हो पाता था और लागत भी ज्यादा लगती थी. फिर हमें रामदाने की खेती के बारे में जानकारी हासिल हुई तो हमने एक बीघे में रामदाने की खेती की शुरुआत की जिसमे अच्छा लाभ हुआ. आज करीब चार बीघे में इसकी खेती कर रहे है जिसमें लागत करीब 4 बीघे में 10 से 12 हजार रुपये आती है और मुनाफा करीब एक फसल पर दो से ढाई लाख रुपये हो जाता है. इसलिए इस खेती में लागत ना के बराबर है और इस खेती को जानवर भी नहीं खाते और इसकी देखभाल भी ज्यादा नहीं करनी पड़ती. इस खेती में लागत कम मुनाफा ज्यादा होता है. रामदाना की खेती अगस्त के महीने में बोई जाती है. इसकी खेती की समय सीमा 75 से 80 दिन की होती है. एक बीघे में मात्र 100 ग्राम बीज ही पड़ता है, जिसकी कीमत 35 रुपये से 40 रुपये होती है.
आपको बता दें कि चौलाई को रामदाना या राजगिरा के नाम से भी जाना जाता है. यह प्रोटीन, फाइबर और एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर खाद्य पदार्थ है. रामदाना के आटे को गेहूं के आटे में मिलाकर जो मिश्रण तैयार होता है उससे बनी रोटी को संपूर्ण आहार माना जाता है. व्रत व उपवास के दौरान रामदाने के लड्डू का सेवन भी काफी मशहूर है. इसके अलावा रामदाने से कई तरह के बेकरी प्रोडक्ट जैसे बिस्किट, केक और पेस्ट्री भी बनाए जाते हैं.
रामदाना की बुआई पंक्तियों में ही करनी चाहिए. पौधे से पौधों के बीच उचित दूरी बनी रहती है जिसकी वजह से निराई, गुड़ाई में आसानी रहती है. एक हेक्टेयर खेत में करीब 2 किलो बीज की बुआई की जाती है. इसके बीज काफी ज्यादा छोटे होने की वजह से बुआई के दौरान लोग बालू मिला लेते हैं इससे खेत में बीज एक समान पड़ते हैं. बुआई के बाद समय-समय पर खेत से खरपतवार की सफाई करते रहना चाहिए और पौधों के बीच लगभग 12-15 सेमी दूरी का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
ये भी पढे़ं-
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today