लखनऊ का मलिहाबाद पूरी दुनिया में दशहरी आम के लिए मशहूर है. यहां का दशहरी आम अपनी विशेष मिठास के लिए जाना जाता है. लखनऊ के मलिहाबाद को विशेष पहचान दिलाने का काम भी मैंगो मैन के नाम से मशहूर पद्मश्री से सम्मानित कलीमुल्लाह खान ने किया है. वे अब तक आम की कई नई किस्म को विकसित कर चुके हैं. यहां तक कि उनके बाग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय, सचिन तेंदुलकर जैसी मशहूर हस्तियों के नाम पर भी आम की किस्मों को विकसित किया गया है. उनके यहां एक खास तरह का आम का पेड़ है जिस पर 350 से अधिक किस्म के आम के फल लगते हैं. कलीमुल्लाह खान ने आम के लिए पूरा जीवन समर्पित कर दिया है. 84 साल की उम्र में भी कलीमुल्लाह खान की चिंता आम की गिरती हालत को लेकर है. वे कहते हैं कि मलिहाबाद के बाग अब जंगल होते जा रहे हैं. यहां के बाग इतने ज्यादा घने हो चुके हैं कि सूरज की किरणें भी जमीन तक नहीं पहुंच पाती हैं जिसके चलते आमों में बीमारियां बढ़ रही हैं.
पद्मश्री से सम्मानित मलिहाबाद के रहने वाले कलीमुल्लाह खान की उम्र 84 साल की हो चुकी है. उन्होंने नई किस्मों को विकसित करने में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है. पिछले कुछ सालों से जलवायु परिवर्तन के चलते आम के गिरते उत्पादन को लेकर वह चिंतित हैं. कलीमुल्लाह खान का कहना है कि भविष्य में मलिहाबाद में आम की उपज कम हो जाएगी, क्योंकि यहां के पेड़ अब जंगल की तरह हो गए हैं. इससे लगातार बीमारियां आम को प्रभावित कर रही हैं. उनकी चिंता इस बात को लेकर भी है कि बीते कई सालों में लगातार बढ़ रहे कीटनाशक के छिड़काव से आम की गुणवत्ता में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. इससे यहां का आम विदेश तक नहीं पहुंच पाता है.
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पद्मश्री से सम्मानित कलीमुल्लाह खान का कहना है कि मलिहाबाद क्षेत्र के आम के बाग में बीमारी बढ़ रही है. मलिहाबाद की फल पट्टी अब वन पट्टी में तब्दील होती जा रही है. सरकार ने इस बात की चिंता नहीं की तो आने वाले समय में बाग वीरान हो जाएंगे. इसमें पेड़ों में फल नहीं आएंगे. उन्होंने बताया कि आज से 10 साल पहले तक मलिहाबाद में खूब फल लगते थे, लेकिन कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग के चलते फल की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है.
मौसम में हो रहे लगातार बदलाव को लेकर मैंगो मैन कहे जाने वाले कलीमुल्लाह खान चिंतित हैं. उनका कहना है कि जनवरी-फरवरी में आम के बौर आ जाते थे, लेकिन इस बार मार्च के महीने में बौर आए हैं. इससे इस बार मलिहाबाद में आम की फसल 15 दिन लेट हो चुकी है. मलिहाबाद क्षेत्र में बागों को पर्याप्त मात्रा में पानी न मिलाना भी एक चिंता का कारण है. इससे पेड़ों के पत्ते छोटे हो गए हैं और फल का विकास भी नहीं हो पा रहा है. उन्होंने कहा कि आम को पूरा जीवन समर्पित कर चुके हैं. जब तक वह जीवित हैं, तब तक आम के लिए ही जीते रहेंगे.
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