scorecardresearch
Maize Price: मक्का का दाम हुआ MSP से भी कम, कैसे खेती बढ़ाएंगे क‍िसान? 

Maize Price: मक्का का दाम हुआ MSP से भी कम, कैसे खेती बढ़ाएंगे क‍िसान? 

इथेनॉल उत्पादन और पोल्ट्री उद्योग की जरूरतों को पूरा करने के ल‍िए मक्का उत्पादन बढ़ाना चाहती है सरकार. लेकि‍न क‍िसानों को इस बात की गारंटी देने में उसकी कोई द‍िलचस्पी नहीं है क‍ि उन्हें इसका अच्छा म‍िले दाम. व‍िशेषज्ञों का मानना है क‍ि सही दाम के ब‍िना क‍िसान इसकी खेती का दायरा नहीं बढ़ाएंगे. 

advertisement
ओपन मार्केट में क‍ितना है मक्का का दाम (Photo-ICAR). ओपन मार्केट में क‍ितना है मक्का का दाम (Photo-ICAR).

केंद्र और राज्य सरकारें ये चाहती हैं कि किसान भाई-बहन धान छोड़कर मक्के की खेती करें. क्यों‍क‍ि मक्का की खेती धान के मुकाबले बहुत कम पानी में हो जाती है. लेक‍िन, उसका उच‍ित दाम म‍िले इसके ल‍िए सरकार के पास कोई योजना नहीं है. सरकार को स‍िर्फ क‍िसानों से उम्मीद है, क‍िसानों की उम्मीद सरकार से क्या है इस मसले पर पूरे स‍िस्टम में सन्नाटा छा जाता है. नतीजा यह है क‍ि धान और गेहूं जैसी फसलों से किसानों का मोहभंग नहीं हो पा रहा है. खरीफ मार्केट‍िंग सीजन 2022-23 के ल‍िए मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी 1962 रुपये प्रति क्विंटल तय है. लेक‍िन, ओपन मार्केट में स‍िर्फ 1245 से 1700 रुपये तक का भाव चल रहा है. क्योंक‍ि ज्यादातर सरकारें एमएसपी पर इसकी खरीद नहीं कर रही हैं. 

धान और गेहूं के बाद मक्का भारत में तीसरी सबसे महत्वपूर्ण अनाज की फसल है. मक्का खरीफ फसल है, हालांकि कुछ राज्यों में रबी सीजन में भी इसकी पैदावार होती है. केंद्र सरकार मक्का का उत्पादन 34 मिलियन टन से बढ़ाकर 45 म‍िल‍ियन टन तक ले जाना चाहती है. ताक‍ि इथेनॉल उत्पादन और पोल्ट्री उद्योग की जरूरतों को पूरा क‍िया जा सके. लेक‍िन एक कड़वा सच यह है क‍ि क‍िसानों को इसका एमएसपी तक नहीं म‍िल पा रहा है. मध्य प्रदेश में तो इसका दाम उत्पादन लागत से भी कम हो गया है. सवाल यह है क‍ि ऐसे में क‍िसान कैसे उत्पादन बढ़ाएंगे?

इसे भी पढ़ें: क्यों सुस्त पड़ी गेहूं की सरकारी खरीद, क्या टारगेट पूरा नहीं कर पाएगी केंद्र सरकार? 

क‍िसानों को एमएसपी भी नसीब नहीं  

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में 28 मई को मक्का का न्यूनतम दाम 1,245 रुपये रह गया. जबक‍ि केंद्र सरकार खुद यह मानती है क‍ि 2022-23 में इसका कॉस्ट ऑफ प्रोडक्शन 1308 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल है. यहां मॉडल प्राइस 1,655 जबक‍ि अध‍िकतम भाव 1,858 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल रहा. यह सब एमएसपी के स्तर से कम रहा. यह भाव ई-नाम प्लेटफार्म से ल‍िया गया है. इस प्लेटफार्म पर भी एमएसपी को बेंचमार्क नहीं बनाया गया है. 

तेलंगाना के वारंगल ज‍िले में स्थ‍ित नरसमपेट मंडी में 28 मई को मक्का का न्यूनतम दाम 1,652 रुपये रहा. मॉडल प्राइस 1,702 और अध‍िकतम भाव 1,766 रुपये रहा. उधर, महाराष्ट्र के लासलगांव-व‍िंचुर में 28 मई को न्यूनतम दाम 1500 और अध‍िकतम 1851 रुपये रहा. जबक‍ि जलगांव में 29 मई को न्यूनतम भाव 1550 और अध‍िकतम 1725 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल रहा. ब‍िहार में 1750 रुपये का दाम चल रहा है. कुल म‍िलाकर ज्यादातर राज्यों में इसका दाम एमएसपी से कम ही चल रहा है. 

उत्पादन क्यों बढ़ाएंगे क‍िसान

एरकस पॉल‍िसी र‍िसर्च से जुड़ी एग्री इकोनॉम‍िस्ट श्वेता सैनी का कहना है क‍ि इथेनॉल के ल‍िए पर्याप्त मक्का चाह‍िए तो क‍िसानों को पर्याप्त दाम देना होगा. क‍िसानों को मक्का में प्रॉफ‍िट नहीं द‍िखेगा तो वो उसकी खेती क्यों करेंगे. ऐसी ही कुछ च‍िंता ब‍िहार क‍िसान मंच के नेता धीरेंद्र स‍िंह की है. उनका कहना है क‍ि अच्छे दाम के ब‍िना खेती का दायरा नहीं बढ़ेगा. सरकार इसका उत्पादन बढ़ाना चाहती है तो दूसरी ओर बिहार जैसे प्रमुख उत्पादक राज्य में किसान लंबे समय से मोदी सरकार द्वारा निर्धारित रेट न मिलने को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. धीरेंद्र स‍िंह इसी मसले पर ‘मक्का हवन’ भी कर चुके हैं. 

जहां तक मक्का खरीद की बात है तो इस मामले में लगभग सभी राज्य फ‍िसड्डी हैं. व‍िशेषज्ञों के मुताब‍िक अगर सरकार एमएसपी पर मक्का की खरीद करने लगे तो ओपन मार्केट में भाव अच्छा हो जाएगा. 

एमएसपी पर मक्का खरीद का इतना बुरा हाल

साल टन 
2014-15   314844 
2015-16 22352
2016-17 62180
2017-18 47794 
2018-19 12103 
2019-20 115138
2020-21 205315

 (Source: Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution)

मक्का उत्पादन दुन‍िया बनाम भारत 

  • अमेरिका विश्व का सबसे बड़ा मक्का उत्पादक है. यह दुन‍िया का 35 फीसदी मक्का उत्पादन करता है. जबक‍ि भारत की भागीदारी स‍िर्फ 2 फीसदी है.
  • वर्तमान में भारत में मक्का की उत्पादकता 3070 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है. जो वैश्विक औसत 5920 किलो से काफी पीछे है. अमेरिका सबसे अधिक 10,744 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक पैदा करता है.
  • भारत में मध्य प्रदेश और कर्नाटक 15-15 प्रतिशत मक्का उत्पादन करते हैं. महाराष्ट्र 10 फीसदी, राजस्थान 9 फीसदी और ब‍िहार 7 फीसदी उत्पादन करता है. खरीफ सीजन में 71 प्रतिशत उत्पादन होता है, जबकि शेष रबी सीजन में पैदा होता है.
  • साल 1961 में दुनिया भर में 105.6 मिलियन हेक्टेयर में मक्के की खेती हो रही थी. कुल उत्पादन 205 मिलियन टन था. जबक‍ि 2018 में 193.7 मिलियन हेक्टेयर में खेती हुई और उत्पादन 1147.6 मिलियन टन हो गया.
  • विश्व स्तर पर इसे औद्योगिक फसल का दर्जा मिला हुआ है. दुनिया में सबसे ज्यादा करीब 61 फीसदी मक्का चारे के रूप में खर्च होता है. इसी तरह 22 फीसदी इंडस्ट्री और 17 फीसदी खाद्य सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. 
  • वैश्विक अनाज उत्पादन में मक्के का उत्पादन 39 फीसदी है. मक्का करीब 3000 उत्पादों के लिए एक मूल कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल होता है.
  • भारत में 47 फीसदी मक्का पोल्ट्री फीड में इस्तेमाल होता है. इसी तरह 13 फीसदी पशुओं के चारे के रूप में खर्च होता है. इतना ही हम खाद्य सामग्री के रूप में इस्तेमाल करते हैं. यहां स‍िर्फ 12 फीसदी इंडस्ट्र‍ियल इस्तेमाल में लाया जाता है. 

इसे भी पढ़ें: Wheat Production: इस साल भारत में कितना पैदा होगा गेहूं, सरकार ने दी पूरी जानकारी