Maize Farming: उपज ज्यादा और मांग कम, जानें आगे कैसा रहेगा मक्के के बाजार का हाल

Maize Farming: उपज ज्यादा और मांग कम, जानें आगे कैसा रहेगा मक्के के बाजार का हाल

कृषि मंत्रालय का दूसरा अग्रिम अनुमान बताता है कि इस साल मक्के का उत्पादन 10.78 मिलियन टन तक जा सकता है जबकि लक्ष्य 10.1 मिलियन टन का रखा गया था. हालांकि इस साल 10.78 लाख टन भी मक्का होता है तो वह पिछले साल के 11 मिलियन टन से कम ही रहेगा.

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Maize Farming: उपज ज्यादा और मांग कम, जानें आगे कैसा रहेगा मक्के के बाजार का हालजानें अब आगे क्या होगा मक्के का हाल, फोटो साभार: freepik

इस वर्ष मक्के की उपज में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन पोल्ट्री के प्रमुख उपभोक्ताओं में इस बार मक्के की मांग बहुत कम होने की आशंका है.  व्यापारियों में भी मक्के की मांग में गिरावट है. इस वजह से मक्का उगाने वाले किसान परेशान दिख रहे हैं. किसानों को आशंका है कि उनकी उपज का सही रेट नहीं मिल पाएगा. इसका हाल जानना हो तो बिहार का उदाहरण ले सकते हैं. बिहार में इस फसल के मौसम की शुरुआत में ही प्रमुख बाजार गुलाब बाग में कीमतें पहले से ही नीचे हैं. यही हाल देश की कई अलग-अलग मंडियों में है. एक्सपर्ट का कहना है कि मक्के कि कीमतों में पिछले एक सप्ताह में लगभग 15 प्रतिशत की कमी आई है और यह 2010 रुपये प्रति क्विंटल के आस-पास मंडरा रहा है.

एक्सपर्ट का कहना है कि अगले कुछ हफ्तों में मक्का के दाम गिर सकते हैं और आवक बढ़ने के साथ कीमतें 1962 रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे आ जाएगी. तेलंगाना के अन्य बाजारों में मक्के की कीमतें MSP के आसपास चल रही हैं. 

निर्यात में तेजी की उम्मीद 

ओरिगो ईमंडी के एजीएम और कमोडिटी रिसर्च हेड तरुण सत्संगी ने 'बिजनेसलाइन' से कहा कि घरेलू पोल्ट्री क्षेत्र में मक्के की मांग कम है क्योंकि खरीद अभी शुरू नहीं हुई है. वहीं इस समय चीन में मौजूदा फ्लू की स्थिति और कमजोर मांग के कारण निर्यात सुस्त रहा है. चीन में FOB के आधार पर भारतीय मकई की कीमतें 291 मिलियन डॉलर प्रति टन हैं, जबकि ब्राजील में 288 मिलियन डॉलर है. सत्संगी के मुताबिक, भारतीय मक्का को लेकर हम आने वाले दिनों में निर्यात मांग में तेजी की उम्मीद कर सकते हैं.

रिपोर्ट बताती है कि 2022-23 में रबी मक्का की उपज पिछले वर्ष के 88 मिलियन टन की तुलना में लगभग 20.3 प्रतिशत अधिक 10.59 मिलियन टन रही है. यह मुख्य रूप से बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक में अधिक उपज के कारण है.

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कृषि मंत्रालय का अनुमान 

कृषि मंत्रालय का दूसरा अग्रिम अनुमान बताता है कि इस साल मक्के का उत्पादन 10.78 मिलियन टन तक जा सकता है जबकि लक्ष्य 10.1 मिलियन टन का रखा गया था. हालांकि इस साल 10.78 लाख टन भी मक्का होता है तो वह पिछले साल के 11 मिलियन टन से कम ही रहेगा. 2022-23 के पूरे मक्का उत्पादन को देखें तो कृषि मंत्रालय का अनुमान 34.6 मिलियन टन उपज की बात कही जा रही है जबकि पिछले साल यह 33.7 मिलियन टन रही थी. मक्के की कीमतों में गिरावट के कारण किसानों का एक वर्ग अपनी उपज को रोकना और बाद में बेचना पसंद कर सकता है.

174 स्थानों पर भंडारण सेवाएं

किसान इस उम्मीद में हैं कि मक्के का दाम बढ़ेगा और उन्हें बेहतर मुनाफा मिलेगा. अगर आने वाले दिनों में मक्का के दाम में सुधार आता है तो अगले कुछ हफ्तों में आवक में तेजी आएगी और किसान अधिक से अधिक बिक्री करेंगे. बंपर आवक को देखते हुए अलग-अलग राज्यों में भंडारण की उचित व्यवस्था की जा रही है. बिहार में किसानों की मदद के लिए लगभग 174 स्थानों पर भंडारण सेवाएं दी जाएंगी. 

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