Bhavantar Scheme: सोयाबीन किसानों ने CM को कहा 'थैंक्यू', जानें क्यों

Bhavantar Scheme: सोयाबीन किसानों ने CM को कहा 'थैंक्यू', जानें क्यों

यह योजना विशेष रूप से सोयाबीन के किसानों के लिए शुरू की गई है. इसके लिए रजिस्‍ट्रेशन प्रक्रिया 17 अक्टूबर 2025 को खत्‍म हुई है जबकि मंडियों में खरीद प्रक्रिया 24 अक्टूबर से शुरू की गई. राज्‍य के नीमच जिले में कलेक्टर हिमांशु चंद्र के नेतृत्व में किसानों की सुविधा के लिए बड़े पैमाने पर प्रबंध किए गए हैं.

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Bhavantar Scheme: सोयाबीन किसानों ने CM को कहा 'थैंक्यू', जानें क्योंएमपी में जारी सोयाबीन की खरीद (सांकेतिक फोटो)

मध्‍य प्रदेश में मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार ने भावांतर भुगतान योजना लागू की है. यह योजना सोयाबीन के उन किसानों के लिए राहत साबित हो रही है जिनकी फसल बेमौसमी बारिश का शिकार हुई है. राज्‍य में इस बार हुई बेमौसमी बारिश ने किसानों को खासा परेशान किया है. मध्‍य प्रदेश को देश में सोयाबीन का उत्‍पादन करने में पहला स्‍थान हासिल है. देश की सोयाबीन की कुल मात्रा की आधी इसी राज्‍य में उगाई जाती है. लेकिन पहले मॉनसून की बारिश और फिर बेमौसम बारिश ने किसानों को नुकसान की तरफ धकेल दिया. ऐसे में जब सरकार ने भावांतर योजना लागू करने का ऐलान किया तो किसानों के चेहरे खिल उठे. कुछ दिनों पहले राज्‍य में ट्रैक्‍टर रैली निकालकर सीएम मोहन यादव को थैंक्‍यू कहा जा रहा था तो अब किसान फसल को सही दामों में बेचने के बाद संतुष्टि में राज्‍य सरकार को थैंक्‍यू कह रहे हैं. 

क्‍या है भावांतर योजना 

यह योजना  प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान का एक अहम हिस्सा है. इस योजना का मकसद किसानों की आय की सुरक्षा करना है ताकि बाजार मूल्य और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के बीच के अंतर को पूरा किया जा सके. यह 'मूल्य अंतर योजना' सुनिश्चित करती है कि अगर  किसान अपनी फसलें एमएसपी से कम कीमत पर बेचते हैं, तो उसका अंतर सीधे उनके बैंक खातों में जमा किया जाएगा. इस कदम से प्रदेश के कृषि क्षेत्र में समृद्धि को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. 

24 अक्‍टूबर से शुरू हुई खरीद  

यह योजना विशेष रूप से सोयाबीन के किसानों के लिए शुरू की गई है. इसके लिए रजिस्‍ट्रेशन प्रक्रिया 17 अक्टूबर 2025 को खत्‍म हुई है जबकि मंडियों में खरीद प्रक्रिया 24 अक्टूबर से शुरू की गई. राज्‍य के नीमच जिले में कलेक्टर हिमांशु चंद्र के नेतृत्व में किसानों की सुविधा के लिए बड़े पैमाने पर प्रबंध किए गए हैं. जिले की नीमच, जावद और मनासा मंडियों में पीने के पानी, छायादार जगह, बैठने की व्यवस्था, सटीक तोलने की मशीनें और पारदर्शी नीलामी की सुविधाएं सुनिश्चित की गई हैं.

मंडियों में काम सही से हो और कोई रुकावट न आए इसके लिए हेल्थ डेस्क और नोडल अधिकारी भी तैनात किए गए हैं. इसका नतीजा है कि अब तक 15,956 किसानों ने स्थानीय स्तर पर रजिस्‍ट्रेशन कराया है. खराब मौसम के बावजूद किसानों में उत्साह बना हुआ है. नीमच मंडी में 60 किसानों ने 1,050 क्विंटल सोयाबीन बेची है, जबकि मनासा मंडी में 107 किसानों ने 1,182 क्विंटल सोयाबीन बेची. जावद मंडी में भी भावांतर योजना के तहत खरीदी जोरों पर चल रही है. 

किसान ने कहा सीएम को थैंक्‍यू 

किसानों ने इस योजना की सराहना करते हुए कहा है कि इससे उन्हें एमएसपी और बाजार भाव के बीच का उचित अंतर मिल रहा है. रामपुरिया गांव के किसान दल सिंह ने बताया, 'मैंने भावांतर योजना में रजिस्‍ट्रेशन कराया और आज सोयाबीन लेकर आया. बाजार भाव कम होने के बावजूद मुझे करीब 1,000 से 1,500 रुपये प्रति क्विंटल का फायदा हुआ.' उनका कहना था कि  योजना बहुत अच्छी है और उन्‍हें अपने 25-30 क्विंटल सोयाबीन पर उचित दाम मिले हैं.

वहीं कनावती गांव के किसान भेरूलाल अहिर ने कहा, 'मेरी उपज नीमच मंडी में 3,698 रुपये प्रति क्विंटल बिकी, लेकिन भावांतर योजना के तहत सरकार द्वारा तय दर 5,328 रुपये प्रति क्विंटल थी. इस तरह मुझे करीब 1,700 से 1,800 रुपये का अतिरिक्त लाभ मिला.' इसके साथ ही उन्‍होंने सीएम मोहन यादव को धन्यवाद भी दिया. उनका कहना था कि उन्‍होंने कम मंडी भाव के बावजूद किसानों को सहारा दिया. 

क्‍या है योजना का मकसद 

नीमच कृषि उपज मंडी के प्रशासक संजीव साहू ने बताया, 'मुख्यमंत्री ने मॉडल दर और एमएसपी (5,328 रुपये प्रति क्विंटल) के बीच का अंतर घोषित किया है. अब तक 15,500 से अधिक किसानों ने रजिस्‍ट्रेशन कराया है और 24 अक्टूबर से खरीद तेजी से जारी है. मूल्य का अंतर सीधे किसानों के खातों में जमा किया जाएगा.' भावांतर योजना मध्य प्रदेश के किसानों के लिए आर्थिक स्थिरता का आधार बन रही है. सरकार का कहना है कि इस योजना ने राज्य को ‘कृषि सम्मान’ के प्रतीक के रूप में स्थापित किया है. जैसे-जैसे खरीदी की रफ्तार बढ़ रही है, यह साफ दिखता है कि राज्य सरकार किसानों को बाजार की अस्थिरता से बचाने और ग्रामीण आजीविका को मजबूत करने के अपने संकल्प पर दृढ़ है. 

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