राजू शेट्टी ने गन्ना किसानों के लिए उठाई 3500 रुपये न्यूनतम मूल्य की मांग (सांकेतिक तस्वीर)कर्नाटक के हावेरी में गन्ना किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. यहां के किसान गन्ने का रेट बढ़ाने की लगातार मांग कर रहे हैं. किसानों की मांग है कि प्रदेश सरकार गन्ने की कीमत तत्काल प्रभाव से 3500 रुपये प्रति टन, वरना उनका आंदोलन और भी उग्र होगा. वे पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों के बराबर गन्ने का दाम मांग रहे हैं. बेलगावी और बागलकोट जिलों में किसानों ने गन्ने की तय कीमत की मांग को लेकर अपना विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया, जिसके बाद हावेरी के ब्याडगी में जिला अधिकारियों को दखल देना पड़ा.
प्रदर्शनकारियों ने इलाके की 26 चालू चीनी फैक्ट्रियों को बंद कर दिया है, और कहा है कि वे मांगी गई कीमत से कम पर समझौता नहीं करेंगे. बताया जा रहा है कि चीनी मिलें 3,200 रुपये प्रति टन की पेशकश कर रही हैं, जिसे किसानों ने ठुकरा दिया है.
अथानी, चिक्कोडी, हुक्केरी, बैलहोंगल, मुदलागी, गोकाक और आस-पास के इलाकों में पूरे जिले में प्रदर्शन फैल रहे हैं. गोकाक शहर में, छात्र भी आंदोलन में शामिल हो गए और मुख्य चौराहों पर रोड ब्लॉक कर दिया, जिससे बेलगावी, सवादत्ती, मुदलागी और यरगट्टी जाने वाला ट्रैफिक रुक गया.
किसानों ने सरकार से महाराष्ट्र शुगर पेमेंट मॉडल अपनाने का भी आग्रह किया है, जो गन्ने के समय पर और सही तरीके से पेमेंट की गारंटी देता है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र मंगलवार को विरोध स्थल पर गए और आंदोलन को समर्थन दिया और इस मुद्दे पर राज्य सरकार को घेरा. किसानों का आरोप है कि कांग्रेस सरकार उनकी बार-बार की अपील पर कोई जवाब नहीं दे रही है.
प्रदेश के गन्ना, कपड़ा और एग्रीकल्चर मार्केटिंग मंत्री शिवानंद पाटिल ने कहा कि यह आंदोलन "निर्णायक मोड़" पर पहुंच गया है और अधिकारियों ने किसानों से मिलकर उनकी मांगों पर चर्चा की है.
पाटिल ने कहा, "जिला अधिकारी मौके पर गए हैं और किसानों से बात की है." उन्होंने बताया कि गन्ना किसान 3,500 रुपये प्रति टन की कीमत मांग रहे हैं, हालांकि किसानों का एक वर्ग इससे भी ज्यादा कीमत की मांग कर रहा है.
पाटिल ने साफ किया कि फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस (FRP) तय करने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है. उन्होंने समझाया, "हमारे पास FRP तय करने का अधिकार नहीं है. इसे केंद्र सरकार तय करती है. हालांकि, उन फैक्ट्रियों से बेहतर कीमतें हासिल करने के लिए बातचीत चल रही है जो ज्यादा रिकवरी रेट हासिल करती हैं."
मंत्री ने आगे कहा कि फिलहाल यह आंदोलन सिर्फ बेलगावी और बागलकोट जिलों तक ही सीमित है, लेकिन कृष्णा क्षेत्र में ज्यादा चीनी रिकवरी लेवल के कारण वहां के किसान भी इसी तरह की मांग कर सकते हैं.
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