Maize Farming: क‍िसानों की इनकम में चौका लगाएगा मक्का, इथेनॉल उत्पादन ने बदल दी तस्वीर

Maize Farming: क‍िसानों की इनकम में चौका लगाएगा मक्का, इथेनॉल उत्पादन ने बदल दी तस्वीर

इस साल सूखे के बाद सरकार द्वारा इथेनॉल के लिए गन्ने के उपयोग पर अचानक रोक लगाने के बाद मक्के की मांग और बढ़ गई है. इसल‍िए व‍िशेषज्ञों का मानना है क‍ि मक्का की खेती करने वाले क‍िसान फायदे में रहेंगे, क्योंक‍ि इसकी कीमतें बढ़ने के हालात बने हुए हैं. इस समय भारत मक्का आयातक बन गया है.

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Maize Farming: क‍िसानों की इनकम में चौका लगाएगा मक्का, इथेनॉल उत्पादन ने बदल दी तस्वीर इथेनॉल ने बढ़ा दी मक्के की वैल्यू (Photo-ICAR).

प‍िछले एक दशक में मक्के का उत्पादन 25 म‍िल‍ियन से बढ़कर लगभग 38 म‍िल‍ियन टन तक पहुंच चुका है, लेक‍िन अब भी मांग के ह‍िसाब से आपूर्त‍ि नहीं हो पा रही है. इसकी वजह यह है क‍ि मक्का एक इनर्जी क्रॉप के तौर पर उभरा है, ज‍िससे इसका इस्तेमाल इथेनॉल बनाने के ल‍िए इस्तेमाल हो रहा है. इथेनॉल की पेट्रोल में ब्लेंड‍िंग करके पेट्रोल‍ियम का आयात कम करने का सरकार का प्लान है. इसल‍िए मक्के की खेती करना क‍िसानों के ल‍िए लाभ का सौदा साब‍ित होगा. ज्यादातर राज्यों की मंड‍ियों में मक्का अपनी एमएसपी 2225 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल से अध‍िक कीमत पर ब‍िक रहा है.

इथेनॉल के ल‍िए इसका क‍ितना उपयोग हो रहा है इसकी एक तस्वीर आप इन आंकड़ों से देख सकते हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष  इथेनॉल बनाने के लिए लगभग 6 मिलियन टन मक्का का उपयोग किया गया है. तेल मार्केट‍िंग कंपनियों ने एथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ESY) 2024-25 के लिए लगभग 837 करोड़ लीटर एथेनॉल आवंटित किया है. ज‍िसमें मक्का की हिस्सेदारी सबसे अधिक 51.52 प्रतिशत (लगभग 431.1 करोड़ लीटर) की है. 

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मक्का से इथेनॉल बनाने पर जोर 

इसका मतलब यह है क‍ि सरकार मक्का से इथेनॉल बनाने पर जोर दे रही है. ऐसा करने से इसकी कीमतें बढ़ेंगी और उच्च कीमतों के कारण मक्का की खेती क‍िसानों को अच्छा रिटर्न देगी. इथेनॉल के इस्तेमाल से ही भारत मक्का आयातक भी बन गया है, जिससे व‍िश्व बाजार में हलचल मची हुई है. कुल म‍िलाकर पर‍िस्थ‍ित‍ियां क‍िसानों के पक्ष में हैं. मक्का की खेती में अन्य फसलों के मुकाबले लागत कम है और कम पानी की खपत के कारण यह फसल पर्यावरण के ज्यादा अनुकूल है. 

उत्पादन बढ़ाने की पहल 

मक्के से इथेनाल बनाने को बढ़ावा देने के ल‍िए केंद्र सरकार कोश‍िश कर रही है. इसके तहत ऐसे क्षेत्रों में मक्का की खेती को बढ़ावा द‍िया जा रहा है जहां इसके ल‍िए अच्छी पर‍िस्थ‍ितियां मौजूद हैं फ‍िर भी क‍िसान इसकी खेती नहीं करते थे. इसके ल‍िए केंद्र सरकार ने 'इथेनॉल उद्योगों के जलग्रहण क्षेत्र में मक्का उत्पादन में वृद्धि' नाम से प्रोजेक्ट शुरू क‍िया है. ज‍िसकी ज‍िम्मेदारी आईसीएआर के अधीन आने वाले भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (IIMR) को दी गई है. इसके तहत मक्का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है.

इस प्रोजेक्ट पर निदेशक डॉ. एसएस जाट का कहना है क‍ि इथेनॉल के ल‍िए मक्का उत्पादन बढ़ाने की इस मुह‍िम में एफपीओ, किसान, डिस्टिलरी और बीज उद्योग को साथ लेकर काम क‍िया जा रहा है. इसके तहत क‍िसानों को ज्यादा पैदावार देने वाली क‍िस्मों के बीजों का व‍ितरण क‍िया जा रहा है. इस मुह‍िम का मकसद वर्तमान दौर में क‍िसानों को मक्के की खेती के फायदे को बताना और इथेनॉल के ल‍िए उत्पादन बढ़ाना है. अभी जो हालात बन रहे हैं इसमें यकीन से कहा जा सकता है क‍ि मक्का की खेती क‍िसानों को अच्छा प्रॉफ‍िट देगी.  

क‍िसानों के ल‍िए अच्छा अवसर  

इथेनॉल डिस्टिलरी ने इथेनॉल बनाने के ल‍िए मक्का का उपयोग बढ़ाना शुरू कर दिया है. जिससे पोल्ट्री उत्पादकों पर दबाव बढ़ रहा है. उन्हें पोल्ट्री फीड अध‍िक कीमत पर खरीदनी पड़ रही है. दूसरी इस साल सूखे के बाद सरकार द्वारा इथेनॉल के लिए गन्ने के उपयोग पर अचानक रोक लगाने के बाद यह मांग और बढ़ गई है. इसल‍िए व‍िशेषज्ञों का मानना है क‍ि मक्का की खेती करने वाले क‍िसान फायदे में रहेंगे, क्योंक‍ि इसकी कीमतें बढ़ने के हालात बने हुए हैं.

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