Karnataka: तेल के रेट बढ़ने पर किसानों ने पूछा, क्या कांग्रेस सरकार की यही गारंटी है, फसलों की लागत निकालना भी मुश्किल

Karnataka: तेल के रेट बढ़ने पर किसानों ने पूछा, क्या कांग्रेस सरकार की यही गारंटी है, फसलों की लागत निकालना भी मुश्किल

किसान ने कहा कि वर्तमान में, पुराने मैसूर क्षेत्र में ट्रैक्टर संचालक प्रति घंटे 1,000 से 1,500 रुपये चार्ज कर रहे हैं. हम पैसे कहां से लाएंगे? रायचूर के देवदुर्गा निवासी किसान लक्ष्मीपुत्र ने बताया कि ईंधन की कीमतों में उछाल का असर मजदूरी पर भी पड़ेगा. मजदूरी का खर्च और बढ़ेगा, जिससे किसानों के लिए मुश्किलें खड़ी होंगी.

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Karnataka: तेल के रेट बढ़ने पर किसानों ने पूछा, क्या कांग्रेस सरकार की यही गारंटी है, फसलों की लागत निकालना भी मुश्किलकर्नाटक में किसानों के लिए बढ़ गई खेती लागत. (सांकेतिक फोटो)

लोकसभा चुनाव के परिणाम आते ही कर्नाटक सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमत में बढ़ोतरी कर दी है. इससे खरीफ फसलों की तैयारी कर रहे किसानों की चिंता बढ़ गई है. किसानों का कहना है कि क्या कांग्रेस सरकार की यही गारंटी है. डीजल के रेट में बढ़ोतरी का असर खेती पर भी पड़ेगा. इससे खरीफ फसलों का उत्पादन लागत बढ़ जाएगी. किसानों का कहना है कि इस साल राज्य में प्री-मॉनसून और मॉनसून के मौसम में अच्छी बारिश हुई है. किसान धान की रोपाई करने के लिए खेत की जोताई कर रहे हैं. लेकिन डीजल का दाम बढ़ने से ट्रैक्टर किराया और लेबर ट्रांसपोर्टिंग चार्ज भी बढ़ने की संभावना है, जिसका सीधा असर खेती पर पड़ेगा.

साउथ फर्स्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, 15 मई को कांग्रेस सरकार ने पेट्रोल की कीमतों में 3 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की है, जबकि डीजल की कीमतों में 3.5 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुई है. नए टैरिफ शनिवार से लागू हो गए हैं. बिक्री कर में बढ़ोतरी के बाद, पेट्रोल की कीमतें 100 रुपये प्रति लीटर को पार कर 102.86 रुपये पर आ गईं, और रविवार को बेंगलुरु में डीजल 88.94 रुपये प्रति लीटर पर आ गया. इसके अलावा, इस सीजन में खाद और रसायनों की कीमतों में भी कम से कम 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इससे किसानों का वित्तीय बोझ और चिंताएं और बढ़ गई हैं. 

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12 प्रतिशत खरीफ फसलों की बुवाई

खासकर 2023 में भीषण सूखे के कारण किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था. लेकिन इस साल अच्छी बारिश होने के चलते किसान खेती की तैयारी कर रहे हैं. प्रदेश में 7 जून, 2024 तक 12 प्रतिशत खरीफ फसलों की  बुवाई हुई है. किसानों के पास खरीफ सीजन में बुवाई के लिए अभी भी पर्याप्त समय है. लेकिन कृषि लागत पर ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी का प्रभाव खरीफ सीजन के लिए कृषि गतिविधियों में तेजी आने के साथ ही, किसान इस मॉनसून में उत्पादन लागत बढ़ने से चिंतित हैं. उन्होंने राज्य सरकार द्वारा ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी के फैसले का हवाला दिया है.

82 लाख हेक्टेयर है बुवाई का लक्ष्य

कृषि विभाग के अनुसार, खरीफ सीजन के लिए 7 जून तक 82.48 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य के मुकाबले कुल 9.85 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है. बोई जाने वाली प्रमुख फसलों में चना, हरा चना, अरहर दाल, गन्ना, छोटे बाजरा और ज्वार शामिल हैं. गडग जिले के रोना तालुक के किसान और निवासी भरमगौड़ा लिंगगौदर ने बताया कि मानसून की शुरुआत में डीजल के रेट में बढ़ोतरी किसानों के लिए बड़ा झटका है. जिले के अधिकांश क्षेत्र बारिश पर निर्भर है. हमें इस मौसम में बेहतर बारिश और उपज की उम्मीद में अपनी सारी बचत निवेश करके या ऋण लेकर जोखिम उठाना पड़ रहा है. 

क्या कहते हैं किसान

उन्होंने कहा कि जिले में लगभग 70 से 80 प्रतिशत किसान जुताई, बुवाई और अन्य कृषि संबंधी गतिविधियों के लिए ट्रैक्टरों पर निर्भर हैं. वित्तीय कठिनाइयों के कारण 20 प्रतिशत से भी कम लोग अभी भी जुताई और बुवाई के लिए बैलों पर निर्भर हैं. उन्होंने कहा कि ईंधन की कीमतों में वृद्धि से उत्पादन लागत बढ़ेगी, क्योंकि ट्रैक्टर ऑपरेटरों द्वारा अपने टैरिफ में 25-30 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है. ट्रैक्टर संचालक जुताई, बुआई और कटाई के लिए प्रति घंटे लगभग 600 से 800 रुपये चार्ज करते हैं.

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टैक्टर किराए में भी होगी बढ़ोतरी

किसान भरमगौड़ा लिंगगौदर ने आगे कहा कि अब वे प्रति घंटे 50 से 100 रुपये तक की कीमत बढ़ाने का संकेत दे रहे हैं. यह मामूली लग सकता है, लेकिन किसानों के लिए यह महंगा साबित होगा. मैसूर के एक किसान और निवासी बरदानपुरा नागराज ने साउथ फर्स्ट को बताया कि सरकार अपनी गारंटी पूरी करने के लिए किसानों का जीवन बदतर बना रही है. ईंधन की कीमत सीधे तौर पर किसानों के जीवन को प्रभावित करेगी. किसान तेजी से पारंपरिक तरीकों से कृषि में मशीनीकरण की ओर बढ़ रहे हैं. ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण ट्रैक्टर संचालकों द्वारा अपने शुल्क में कम से कम 100 रुपये की वृद्धि किए जाने की उम्मीद है.

 

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