महाराष्ट्र के प्याज किसान कर्नाटक के प्याज पर निर्यात शुल्क हटाने के फैसले से नाराज है. वे केंद्र सरकार से महाराष्ट्र में उगाए जाने वाले प्याज पर निर्यात शुल्क हटाने की मांग कर रहे हैं. खास बात यह है कि नाराज किसानों ने केंद्र पर भेदभाव का आरोप लगाया है. साथ ही उन्होंने किसानों की समस्याओं के प्रति असंवेदनशील होने के लिए राज्य सरकार की भी आलोचना की है. दरअसल, लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने घरेलू बाजार में प्याज की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिया था.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र के किसानों और विपक्षी दलों ने अप्रैल में गुजरात में प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध हटाए जाने पर अपनी आवाज उठाई, लेकिन महाराष्ट्र की अनदेखी की गई. इसके बाद, महाराष्ट्र के प्याज क्षेत्र में लोकसभा चुनाव से पहले, केंद्र ने 4 मई को प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिया, जो कि न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 550 अमेरिकी डॉलर प्रति टन के अधीन था और 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क भी लगाया था. प्याज उत्पादन में अग्रणी राज्य महाराष्ट्र के किसानों ने निर्यात शुल्क और एमईपी की शर्त हटाने की मांग की. वहीं केंद्र सरकार ने 29 मई को पड़ोसी राज्य कर्नाटक में उत्पादित प्याज पर निर्यात शुल्क हटा दिया, जिसके छोटे प्याज को 'बेंगलुरु रोज' के नाम से जाने जाते हैं. हालांकि, इसने महाराष्ट्र के प्याज किसानों को कोई राहत नहीं दी.
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प्याज किसान संघ के अध्यक्ष भरत दिघोले ने केंद्र सरकार के फैसले की आलोचना की और सत्तारूढ़ पार्टी पर महाराष्ट्र के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 'बेंगलुरु रोज' प्याज पर निर्यात शुल्क हटा दिया, जो एक स्वागत योग्य कदम है. लेकिन इसने महाराष्ट्र को उतनी राहत नहीं दी. अतीत में भी, हमने भेदभाव का अनुभव किया है, जब केंद्र सरकार ने गुजरात से 2,000 टन सफेद प्याज के निर्यात की अनुमति दी थी, लेकिन महाराष्ट्र और अन्य राज्यों से प्याज पर निर्यात प्रतिबंध जारी रखा था. ऐसे में निर्यात शुल्क और एमईपी के कारण, हम अपने प्याज को निर्यात करने और अधिक पैसा कमाने का अवसर खो रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हमें प्रति क्विंटल 800 से 1,000 रुपये के बीच का नुकसान हो रहा है. राज्य सरकार भी केंद्र सरकार के साथ इस मामले को आगे नहीं बढ़ा रही है. देश और एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव की कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) के सचिव नरेंद्र वधावने ने कहा कि पहले प्याज पर प्रतिबंध और अब निर्यात शुल्क के कारण प्याज किसान निर्यात करके कुछ पैसे कमाने का अवसर खो रहे हैं.
उन्होंने पहले प्याज निर्यात प्रतिबंध और अब निर्यात शुल्क के कारण महाराष्ट्र के किसानों ने बांग्लादेश, श्रीलंका और खाड़ी देशों को प्याज निर्यात करके अच्छा मुनाफा कमाने का अवसर खो दिया. इन प्रतिबंधों और निर्यात शुल्क के कारण पाकिस्तान ने बाजार में प्रवेश किया और अपने प्याज बेचे. अगर बांग्लादेश को भारतीय प्याज की तुलना में पाकिस्तानी प्याज सस्ते दामों पर मिल रहा है, तो वे हमारे प्याज क्यों खरीदेंगे?
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