नींबू की खेती से किसान शानदार मुनाफा कमा सकते हैं. वहीं इसकी खेती अधिक मुनाफे वाली खेती के रूप में की जाती है. इसके पौधे एक बार बड़े हो जाने के बाद कई साल तक फल देते हैं. नींबू की खेती कम खर्च में अधिक मुनाफे वाली फसल है. इसके पौधों को केवल एक बार लगाने के बाद किसान लगभग 10 सालों तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. वहीं भारत दुनिया में सबसे अधिक नींबू उत्पादन करने वाला देश है. आमतौर पर नींबू का इस्तेमाल सबसे अधिक खाने में किया जाता है. वहीं, खाने के अलावा नींबू का इस्तेमाल अचार बनाने के लिए भी किया जाता है. मौजूदा वक्त में नींबू एक बहुत ही उपयोगी फल हो गया है, जिसे कई कॉस्मेटिक कंपनियां और फार्मासिटिकल कंपनियों द्वारा उपयोग में लाया जा रहा है.
किसान भाई नींबू की खेती कर कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं नींबू की खेती कैसे करें?, और नींबू की अच्छी किस्में कौन-सी हैं?
नींबू को लगभग सभी तरह की मिट्टियों में आसानी से उगाया जा सकता है. वहीं नींबू की खेती के लिए हल्की मिट्टी जो अच्छी जल निकास वाली हो, अनुकूल होती है. नींबू की खेती के लिए मिट्टी का पीएच 5.5-7.5 होना चाहिए.
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भारतीय कृषि संस्थान पूसा ने कागजी नींबू (लाइम) और लेमन दोनों की ही दो-दो प्रजातियां विकसित की हैं. जहां तक कागजी नींबू यानी लाइम की बात है, तो पूसा उदित, और पूसा अभिनव दो प्रजातियां हैं, जिन्हें उत्तर भारत में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है. वहीं इनके फल का समय जुलाई, अगस्त और फरवरी से अप्रैल के बीच में होता है. जहां तक लेमन फल की बात है. लेमन की दो प्रजातियां पूसा संस्थान ने विकसित की हैं. कागजी कला जो बहुत ही पुरानी किस्म है; और हाल ही में पूसा लेमन वन एक प्रजाति विकसित हुई है, जो लगभग 20 जून के आसपास पककर तैयार हो जाती है. जहां तक इनके रोपण का सवाल है, तो उत्तर भारत में इन दोनों को ही सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है.
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जुलाई और अगस्त का महीना नींबू के पौधे लगाने का सर्वोत्तम समय माना जाता है, इसको लगाने के लिए गड्ढे की खुदाई एक घन मीटर की करनी चाहिए. इसके बाद गड्ढे में 10-15 दिनों तक धूप लगने के बाद अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाकर गड्ढे में डालकर भर देना चाहिए. जैसे ही जुलाई की पहली बरसात होती है आप लाइम और लेमन दोनों का रोपण कर सकते हैं. दूरी लगभग 4 से 4.5 मीटर आप रख सकते हैं. शुरुआत के एक से दो सालों में नींबू के बाद आप अपने खेत में दूसरी फसलें भी लगा सकते हैं.
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