हिमाचल प्रदेश में बारिश न होने से रबी फसलों को नुकसान पहुंच रहा है. खास कर सिंचाई के अभाव में गेहूं की फसल सूखने लगी है. इससे किसानों को काफी नुकसान हो रहा है. किसानों का कहना है कि अगर एक हफ्ते में बारिश नहीं होती है, तो पूरी फसल पानी के अभाव में बर्बाद हो जाएगी. ऐसे में किसानों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो जाएगा. यही वजह है कि किसानों ने राज्य सरकार से आर्थिक मदद की मांग की है.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि विभाग का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में लंबे समय तक सूखे रहने से रबी फसलों पर बुरा असर पड़ा है. खास कर चंबा जिले में बारिश न होने से गेहूं पर कुछ ज्यादा ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. इसके चलते 2.64 करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान हुआ है. इस वर्ष चंबा जिले में लगभग 19,040 हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बुआई की गई है. इसमें चंबा और भट्टियात उपमंडल में गेहूं की खेती का सबसे बड़ा क्षेत्र है.
चंबा के कृषि उपनिदेशक डॉ. कुलदीप धीमान ने कहा कि इस वर्ष कम बारिश के कारण जिले में गेहूं की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. उन्होंने कहा कि उन क्षेत्रों में गेहूं की फसल को नुकसान की सूचना मिली है जहां इसे जल्दी बोया गया था या इलाका सिंचित भूमि है. धीमान ने कहा कि उन क्षेत्रों में नुकसान कम है जहां फसल देर से बोई गई थी.
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मौसम विभाग के अनुसार, पिछले साल अक्टूबर के बाद से बारिश नहीं होने के कारण यह सर्दी राज्य की सबसे शुष्क सर्दी में से एक के रूप में दर्ज की गई है. जनवरी के पहले 25 दिनों में बारिश की कमी 100 फीसदी रही है. शुष्क परिस्थितियों के कारण पूरे राज्य में भीषण ठंड पड़ रही है और कई स्थानों पर पारा शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे गिर गया है.
बता दें कि पिछले हफ्ते खबर सामने आई थी कि कांगड़ा जिले के देहरा और जवाली उपमंडलों में बारिश न होने से किसान सबसे ज्यादा चिंतित हैं. क्योंकि कुछ ही किसानों के पास ट्यूबवेल है, जिससे वे फसलों की सिंचाई कर पाते हैं. लेकिन अधिकांश किसान बारिश पर ही निर्भर हैं. लेकिन बारिश की कमी के चलते फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. कहा जा रहा है कि सिंचाई के अभाव में अधिकांश खेतों में गेहूं की फसल पीली पड़ने लगी है, जिससे सीमांत उत्पादकों की रातों की नींद उड़ गई है. विशेषज्ञों का कहना था कि इस बार उपज कम से कम 50 प्रतिशत कम होगी, वह भी अगर एक सप्ताह के भीतर बारिश होती है.
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