आज के लोग भले ही महुआ के बारे में कम ही जानते हैं. लेकिन, पुराने जमाने के लोग इसका इस्तेमाल अपने दैनिक जीवन में करते थे. बहुत सारी औषधीय गुणों से भरपूर महुआ का प्रयोग आयुर्वेद में बहुत सी बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें इसके पत्ते से लेकर बीज तक में औषधीय गुण पाए जाते हैं. आइय़े बताते हैं इसके कुछ विशेष फायदे, जो आपके लिए काफी लाभकारी सिद्ध हो सकते हैं.
महुआ का पेड़ भारत में मुख्यत, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान में पाया जाता है. फागुन चैत में पत्तियां झड़ जाने के बाद इसके वृक्ष पर सफेद रंग के फूल लगते हैं. स्थानीय समुदाय इस पेड़ के छाल को औषधी के रूप में और फलों को भोजन के रूप में इस्तेमाल करते हैं. आदिवासी समुदाय के पुरुष और महिलाएं उत्सव पर इसका इस्तेमाल पेय के रूप में करते हैं. महुआ ओडिशा को एक मुख्य भोजन है.
आयुर्वेद में महुआ का इस्तेमाल अनेक प्रकार की बीमारियों का इलाज के लिए किया जाता है. महुआ में प्रोटीन, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट्स जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं. जो मानव शरीर को अलग-अलग प्रकार से स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है, जैसे,
1. डायबिटीज के लिए फायदेमंद- आयुर्वेद के अनुसार महुआ के पेड़ की छाल डायबिटीज के रोगी के लिए उपयोगी है.
2. दांत दर्द- जो लेग दांत दर्द से परेशान रहते हैं तो वो इसके छाल का इस्तेमाल करें.
3. सूजन और जलन- महुआ में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो त्वचा में होने वाले सूजन और जलन को कम करते हैं.
4. गठिया रोग- महुआ की छाल गठिया के इलाज में भी काफी कारगर साबित होता है.
5. बवासीर रोग- महुआ के फूल को घी के साथ भूनकर सेवन करने से बवासीर में आराम मिलता है.
शरीर के जले हुए स्थान पर इसकी जली हुई पत्तियों को घी में मिलाकर लगाने से आराम मिलता है. बीज के तेल खाने में इस्तेमाल करने से पुरुषों में बांझपन आता है. इसके फूल से कई प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं. जैसे- हलवा, लड्डू, जैम, बिस्कुट, सब्जी आदि, छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के आदिवासी अधिकतर गुड़ की जगह पर महुए के पाग का इस्तेमाल करते हैं. यहां के लोग इसके साथ रोटी खाना पसंद करते हैं. महुआ की पत्तियां मवेशीयों के चारे के रूप में काम आती है.
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