हजारों एकड़ धान और दूसरी फसलों पर संकट गहराया, तुंगभद्रा बांध में रिसाव से खेती चौपट होने का खतरा

हजारों एकड़ धान और दूसरी फसलों पर संकट गहराया, तुंगभद्रा बांध में रिसाव से खेती चौपट होने का खतरा

राज्य के पूर्वी हिस्से में होसपेट के पास तुंगभद्रा जलाशय कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कुछ हिस्सों में सिंचाई का स्रोत है. रायथा संघ के अध्यक्ष चामरस मालीपाटिल ने कहा कि इस पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी, क्योंकि नया गेट लगाने के प्रयास चल रहे हैं.

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हजारों एकड़ धान और दूसरी फसलों पर संकट गहराया, तुंगभद्रा बांध में रिसाव से खेती चौपट होने का खतराधान और अन्य फसलों की खेती पर खतरा

देश के लगभग सभी राज्यों में धान की रोपाई हो चुकी है. लेकिन कई धान उत्पादक राज्य ऐसे भी हैं जहां मॉनसून में कम तो कई राज्यों में अधिक हुई बारिश की वजह से किसान अभी तक धान की रोपाई नहीं कर पाए हैं. ऐसा ही कर्नाटक में भी देखने को मिल रहा है. यहां सोना मसूरी और आरएनआर जैसी बढ़िया चावल किस्मों के उत्पादकों को इस साल दूसरी धान की फसल की खेती करने का मौका नहीं मिलने का डर सता रहा है. साथ ही रबी फसलों की खेती की भी कमी का डर बना हुआ है, क्योंकि पिछले सप्ताह तुंगभद्रा बांध का एक गेट भारी बारिश से बह गया था, जिससे भारी मात्रा में पानी छोड़ा गया है.

नया गेट लगाने का चल रहा प्रयास

राज्य के पूर्वी हिस्से में होसपेट के पास तुंगभद्रा जलाशय कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कुछ हिस्सों में सिंचाई का स्रोत है. रायथा संघ के अध्यक्ष चामरस मालीपाटिल ने कहा कि इस पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी, क्योंकि नया गेट लगाने के प्रयास चल रहे है. खरीफ की फसल के लिए कर्नाटक राज्य में धान की फसल के लिए कोई समस्या नहीं है, हालांकि, दूसरी फसल के लिए, अगर रिसाव को ठीक नहीं किया जाता है और आने वाले महीनों में पानी का प्रवाह कम हो जाता है, तो समस्या हो सकती है. तुंगभद्रा कमांड क्षेत्र में चावल मुख्य फसल है जिसमें कोप्पल, रायचूर, बल्लारी और विजयनगर जैसे जिले शामिल हैं. जहां किसान गैर-बासमती की अच्छी फसल उगाते हैं.

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रबी फसल को हो सकता है खतरा 

सोना मसूरी और आरएनआर जैसी कई अन्य किस्में हैं. खरीफ इस क्षेत्र में धान की मुख्य फसल है, जबकि सिंचित क्षेत्र में किसान दिसंबर-जनवरी की अवधि में दूसरी फसल लेते हैं. सिंधनूर तालुका में स्वास्थ्य किसान उत्पादक कंपनी के मल्लिकार्जुन वल्कमदिनी ने कहा कि तुंगभद्रा बांध में संग्रहीत पानी की कमी से दूसरी फसल या रबी की बुवाई के मौसम को खतरा हो सकता है. साथ ही, इससे क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति का संकट भी पैदा हो सकता है. वल्कमदिनी ने कहा, यह तीसरी बार होगा जब क्षेत्र के किसान पिछले छह वर्षों में दूसरी फसल से चूक सकते हैं, बशर्ते कि समस्या का समाधान न किया जाए.  

दूसरी फसल पर मंडरा रहा है खतरा

उन्होंने कहा, पिछले पांच सालों में किसान केवल दो बार ही दूसरी फसल उगा पाए हैं और पानी की अनुपलब्धता के कारण उन्हें तीन साल में एक ही फसल से संतुष्ट होना पड़ा है. पिछले कुछ हफ्तों में इस क्षेत्र में धान की रोपाई शुरू हो गई है और खरीफ फसल के मौसम में किसानों द्वारा इस क्षेत्र का विस्तार किए जाने की संभावना है. व्यापार नीति विश्लेषक एस चंद्रशेखरन ने कहा, अगर हम समय रहते पानी का बहाव नहीं रोक पाए तो बेल्लारी, कोप्पल और रायचूर जिलों में दूसरी फसल खतरे में पड़ जाएगी.

  
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