scorecardresearch
काला नमक चावल के बारे में जानते हैं आप! स्वाद और गुणों की वजह से बेहद है इसकी मांग

काला नमक चावल के बारे में जानते हैं आप! स्वाद और गुणों की वजह से बेहद है इसकी मांग

'काला नमक' चावल बहुत उच्च गुणवत्ता वाला चावल है. काले रंग की भूसी के कारण इसका नाम 'काला नमक' चावल पड़ गया. इसके महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस चावल का सीधा संबंध भगवान बुद्ध से माना जाता है और इसलिए इसे 'महात्मा बुद्ध का महाप्रसाद' भी कहा जाता है.

advertisement
Black Rice: काला नमक चावल की खासियत Black Rice: काला नमक चावल की खासियत

भारत में ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों में चावल की मांग बहुत अधिक है. जिसके कारण मुख्य रूप से इसकी खेती की जाती है. चावल की उपज और स्वास्थ्य लाभ को ध्यान में रखते हुए चावल की कई किस्में तैयार की गई हैं जो सेहत से लेकर खेती तक के लिए फायदेमंद हैं. ऐसे में बाजार में इन दिनों काले नमक वाले चावल की मांग बढ़ती जा रही है. काले नमक वाले चावल की खासियत देख किसान भी इसकी खेती करने लगे हैं. वहीं बाजारों में भी इसकी डिमांड बढ़ रही है. ऐसे में आइये जानते हैं क्या है काला नमक चावल (Black Rice), इसकी विशेषता और क्यों की जाती है इसकी खेती.

काला नमक (Black Rice) चावल में कॉफी और चाय की तुलना में अधिक एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जिसके कारण यह स्वास्थ्य संबंधी कई बीमारियों के लिए फायदेमंद होता है. अधिक मात्रा में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट गुण शरीर की रोगों से लड़ने की शक्ति को बढ़ाते हैं. विशेषज्ञों की मानें तो काला चावल कई बीमारियों से लड़ने में मदद करता है. सफेद और भूरे चावल की तुलना में काला चावल में आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन ई, विटामिन बी, कैल्शियम और जिंक पाया जाता है.

काला नमक चावल का इतिहास

'काला नमक' चावल बहुत उच्च गुणवत्ता वाला चावल है. काले रंग की भूसी के कारण इसका नाम 'काला नमक' चावल पड़ गया. इसके महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस चावल का सीधा संबंध भगवान बुद्ध से माना जाता है और इसलिए इसे 'महात्मा बुद्ध का महाप्रसाद' भी कहा जाता है. इस चावल का इतिहास कम से कम 600 ईसा पूर्व या बुद्ध काल का है. प्राचीन काल में, यह चावल मूल रूप से उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्र में उगाया जाता था. इसमें आज का सिद्धार्थनगर, संत कबीर नगर, महराजगंज, बस्ती, गोंडा, गोरखपुर और कुशीनगर जिले शामिल हैं. हालाँकि भारत में सुगंधित चावल की एक से अधिक किस्में उगाई जाती हैं, लेकिन 'काला नमक' चावल की विशेषता उन सभी से अलग है.

ये भी पढ़ें: Paddy Variety: धान की ये 3 किस्में हैं कमाल, कम पानी और सूखे में भी देंगी बंपर पैदावार

किसानों के लिए क्यों फायदेमंद है काला नमक चावल की खेती? 

रासायनिक खेती की वजह से मिट्टी की उर्वरता लगातार कम होती जा रही है जिस वजह से सरकार और किसान दोनों जैविक खेती की ओर बढ़ते जा रहे हैं. काला नमक (Black Rice) चावल की खासियत यह है कि इसे आमतौर पर जैविक खेती के जरिए ही उगाया जाता है. यानी धान की यह विशेष किस्म बिना खाद और कीटनाशकों की मदद से उगाई जाती है और यह जैविक खेती के लिए पूरी तरह उपयुक्त प्राचीन किस्म है. जाहिर सी बात है कि जब इसकी खेती में खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं होता है तो किसानों की जेब का बोझ भी कम हो जाता है और उनकी फसल की लागत भी काफी कम हो जाती है. लेकिन जहां तक उपज की बात है तो यह उसी क्षेत्र में धान की अन्य किस्मों की तुलना में 40 से 50 प्रतिशत अधिक उपज देती है. इसकी एक और विशेषता यह है कि इसमें तना सड़न या भूरा धब्बा रोग की शिकायत नहीं होती है, जो कई बार धान की अन्य फसलों में किसानों के लिए बहुत बड़ा सिरदर्द बन जाता है.

किसानों को कहा से मिलेगा काला नमक चावल का बीज

काला नमक चावल की खेती के लिए किसानों को बीज की जरूरत होती है. ऐसे में किसान नजदीकी बीज केंद्र या कृषि विज्ञान केंद्र से काला नमक चावल किस्म के बीज खरीद सकते हैं. हालांकि मांग ज्यादा होने के कारण इस किस्म को लेकर बाजार में कालाबाजारी और नकली बीजों का कारोबार भी बढ़ गया है. ऐसे में किसानों को बीज खरीदते समय सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है.