Jowar Farming: गेहूं पर गर्मी और जलवायु परिवर्तन की मार, अब इसकी जगह लेगा ज्वार!

Jowar Farming: गेहूं पर गर्मी और जलवायु परिवर्तन की मार, अब इसकी जगह लेगा ज्वार!

आने वाले समय में गेहूं की पैदावार तेजी से गिर सकती है. इसके पीछे गर्मी और जलवायु परिवर्तन को वजह माना जा रहा है. इसलिए गेहूं के ऐसे विकल्प पर ध्यान है जो उसकी भरपाई कर सके. इसमें ज्वार का नाम है. ज्वार कम पानी और अधिक तापमान में भी सही पैदावार दे सकता है.

Advertisement
Jowar Farming: गेहूं पर गर्मी और जलवायु परिवर्तन की मार, अब इसकी जगह लेगा ज्वार!ज्वार बनेगा गेहूं का सबसे अच्छा विकल्प

दिनों दिन जिस तरह से गर्मी बढ़ रही है और जलवायु परिवर्तन का असर देखने को मिल रहा है, उससे गेहूं की पैदावार गिरने की आशंका प्रबल हो गई है. इस आशंका को देखते हुए एक्सपर्ट गेहूं का कोई और विकल्प ढूंढने पर जोर दे रहे हैं. एक्सपर्ट का यह भी मानना है कि गेहूं का सबसे अच्छा विकल्प ज्वार हो सकता है. दुनिया में जितने भी गेहूं प्रधान देश हैं, वहां गर्मी और जलवायु परिवर्तन ने गेहूं की पैदावार को प्रभावित किया है. इसमें एक देश भारत भी है. इसलिए गेहूं के बदले उस फसल पर ध्यान दिया जा रहा है जो उसकी भरपाई कर सके. इसमें सबसे पहला नाम ज्वार का है जो मोटे अनाज में शामिल है. चूंकि मोटे अनाजों पर गर्मी का असर कम होता है, बारिश या सिंचाई की भी जरूरत कम होती है, इसलिए ज्वार, गेहूं का अच्छा विकल्प साबित हो सकता है.

अभी हाल में एक रिसर्च टीम ने अपनी स्टडी में पाया कि दिनों दिन बढ़ते तापमान का सबसे बुरा असर गेहूं पर होता है. गेहूं कटने से पहले कई अलग-अलग स्टेप से गुजरता है जिसमें पौधों के उगने से लेकर बालियों के फुटान तक और फिर गेहूं के मिल्किंग स्टेज से लेकर उसके पकने तक का चरण बेहद अहम होता है. इन सभी स्टेज में सही तापमान बहुत जरूरी है. लेकिन हाल के दिनों में तापमान में बहुत उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है जिसका असर गेहूं की पैदावार पर दिख रहा है. 

ये भी पढ़ें: इस मॉनसून रागी की इन किस्मों से करें बंपर उत्पादन, जानें कितना होगा मुनाफा

क्या कहती है रिसर्च

रिसर्च टीम का कहना है कि ज्वार को गेहूं के विकल्प के तौर पर किसान ले सकते हैं क्योंकि यह तापमान में सही ढंग से मैनेज करता है और तापमान बढ़ने से पैदावार पर कोई खास असर नहीं पड़ता. एक खास बात ये भी है कि गेहूं को ज्वार की तुलना में लगभग डेढ़ गुना अधिक पानी की जरूरत होती है. जिस रिसर्च टीम ने यह फाइंडिंग दी है उसमें अमेरिका, चीन और भारत की दो संस्थाओं के रिसर्चर हैं. यह फाइंडिंग नेचर पत्रिका के साइंटिफिक रिपोर्ट में छपी है.

ये भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ बन रहा देश का मिलेट हब, इकलौता राज्य जहां MSP पर खरीदा जा रहा मोटा अनाज

घटेगी गेहूं की पैदावार

रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस तेजी से गर्मी बढ़ रही है, उसे देखते हुए 2040 तक गेहूं के उत्पादन में पांच परसेंट की कमी आ सकती है. गेहूं के उत्पादन में भारत का खास नाम है क्योंकि दुनिया में यह दूसरा स्थान रखता है. साल 2000 से देखें तो यहां गेहूं की पैदावार में 40 परसेंट तक की तेजी आई है. ऐसे में गर्मी और जलवायु परिवर्तन की यही स्थिति रही तो भारत के गेहूं उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है. इसे देखते हुए रिसर्चर्स ने गेहूं के बदले ज्वार की खेती को बढ़ावा देने पर जोर दिया है.

इस बार गेहूं के उत्पादन में कमी देखी गई है क्योंकि गेहूं पकने से पहले ही अचानक गर्मी बढ़ गई. गर्मी बढ़ने से गेहूं का मिल्किंग स्टेज प्रभावित हुआ और पैदावार गिर गई. पैदावार गिरने का असर अब दिखने लगा है क्योंकि बाजार में गेहूं के रेट बढ़े हुए हैं. आने वाले दिनों में इसमें और भी तेजी की संभावना है. इस तेजी को रोकने के लिए सरकार ओपन मार्केट सेल्स स्कीम यानी कि OMSS चला रही है.

POST A COMMENT