भारतीय सेना में करीब 50 साल के बाद मिलेट्स यानी मोटे अनाज की वापसी होने जा रही है. जिसके तहत भारतीय सेना के जवानों को मेसों में मोटे अनाज परोसे जाएंगे. इस योजना के तहत भारत और चीन के बॉर्डर LAC (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर तैनात सैनिकों को अब श्रीअन्न से बना खास नाश्ता परोसा जाएगा. इसको लेकर भारतीय सेना के शेफ को बकायदा ट्रेनिंग भी दी जा रही है. ताकी वह ट्रेनिंग में अच्छे से सीख कर देश के जवानों को मोटे अनाज से बने टेस्टी और हेल्दी डिश बनाकर खिला सकें. साथ ही सेना की कैंटीन और अन्य जगहों पर अधिक से अधिक मोटे अनाज से बने व्यंजन को पराेसा जाएगा.
मोटे अनाज के गुणों और फायदों को देखते हुए इसे सेना के आहार में शामिल किया जा रहा है. क्योंकि मोटा अनाज स्वास्थ्यवर्धक होने के साथ ही प्रोटीन की मात्रा से भी भरपूर होता है. इसके सेवन से आलस और गलत डाइट वाली खानपान से भी छुटकारा मिलता है. सेना के जवानों को राशन में मोटा अनाज देने का अहम मकसद उन्हें हेल्दी खुराक देना और स्वस्थ रखना है.
भारत सरकार के प्रयासों से इस साल को इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर के तौर पर मनाया जा रहा है. मोटा अनाज भारत की परंपरागत फसलों में बहुत पहले से ही शामिल है. यह भारतीय आबोहवा में काफी आसानी से पैदा हो जाता है. इसमें आठ फसलों को शामिल किया गया है जिसमें, ज्वार, बाजरा, सावां, कंगनी, कुटकी, कोदो, रागी और चेना है.
लगभग 50 सालों के बाद अब फिरसे सैनिकों को यह परंपरागत मोटा अनाज दोबारा से खाने को मिलेगा. पांच दशकों पहले सैनिकों को जो राशन मिलता था उसमें मोटा अनाज शामिल था, लेकिन, 50 साल पहले उसकी जगह गेंहू के आटे ने ले ली और फिर सैनिकों को राशन में मोटे अनाज का दौर खत्म हो गया. सेना अब फिर से मोटे अनाज को अपने आहार में शामिल कर रही है. सेना के मुताबिक अब हर रैंक के अधिकारी और जवानों के खाने में मोटा अनाज अनिवार्य किया जाएगा. वहीं सेना ने मोटे अनाज के आटे को खरीदने के लिए सरकार से अनुमति मांगी है.
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भारतीय सैनिकों के लिए साल 2023-24 में और इससे आगे के लिए जो भी गेहूं का आटा और चावल खरीदा जाएगा. वह कुल राशन का केवल 25 प्रतिशत ही होगा, इससे अधिक नहीं. सैनिकों को प्राथमिकता के आधार पर ज्वार, रागी और बाजरा का आटा दिया जाएगा. साथ ही सेना ने एडवाइजरी जारी की है कि कैंटीन में किसी भी कार्यक्रमों में भी मोटे अनाज का अधिक से अधिक प्रयोग किया जाएगा.
CSD कैंटीन के जरिए मोटे अनाज को शामिल किया जा रहा है. वहीं इसको लेकर शॉपिंग कॉम्पलेक्स में भी मोटे अनाज के लिए अलग से कॉर्नर बनाए जा रहे हैं. साथ ही शिक्षण संस्थानों में इसके लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है.
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