सरसों की खेतीइस साल देश के किसानों का रुझान सरसों की ओर तेजी से बढ़ा है. दरअसल, सरसों की खेती करने वाले किसानों के लिए अच्छी खबर सामने आई है. दिसंबर के मध्य तक देशभर में सरसों की बुवाई का रकबा पिछले साल के मुकाबले बढ़ा है. विशेषज्ञों का मानना है कि अनुकूल मौसम, समय पर बुवाई के कारण ताजा आंकड़ों के अनुसार 15 दिसंबर 2025 तक देश में करीब 84.67 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सरसों की बुवाई हो चुकी है, जो पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा लगभग 81.16 लाख हेक्टेयर था. यानी इस बार सरसों का रकबा करीब 4.3 प्रतिशत बढ़ा है.
'फाइनेंशियल एक्सप्रेस' के मुताबिक, बुधवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश , हरियाणा और पश्चिम बंगाल में मौजूद रबी सीजन (2025-26) में फसल क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है. सभी राज्यों में अधिकांश फसलें या तो शाखा निकलने से लेकर फूल आने तक या फली बनने की अवस्था में हैं. वहीं, सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों में खड़ी फसलों की स्थिति सामान्य है. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) द्वारा सरसों की फसल पर जारी तीसरी रिपोर्ट के अनुसार, रस चूसने वाले कीटों का प्रकोप आर्थिक सीमा से नीचे बना हुआ है. साथ ही बुवाई गतिविधियां अंतिम चरण में हैं. 2024-25 में रबी की कुल बुवाई का क्षेत्रफल 8.62 लाख हेक्टेयर था.
राजस्थान के भरतपुर जिले के अस्तावन गांव में स्थित एक कृषि उत्पादक संगठन, उत्तान सरसों उत्पादक कंपनी के सीईओ रूप सिंह ने बताया कि फसल की स्थिति पिछले साल से बेहतर है और कीटों के प्रकोप की कोई खबर नहीं है. अगर मौजूदा मौसम की स्थिति ऐसी ही बनी रहती है, तो पैदावार अधिक होने की उम्मीद है. वहीं, अधिकारियों के अनुसार, यदि अगले दो महीनों तक मौसम अनुकूल रहा तो सरसों का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में अधिक होने की संभावना है. इससे खाद्य तेल उत्पादन को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे आयात की संभावना कम हो जाएगी.
कृषि मंत्रालय ने 2024-25 फसल वर्ष (जुलाई-जून) में सरसों के बीज का उत्पादन 12.64 लाख टन होने का अनुमान लगाया है. एसईए की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरसों की फसल वर्तमान में शाखाएं निकलने से लेकर फूल आने या फली बनने की अवस्था में है, और जल्दी बोई गई फसलों में फली का विकास यानी बीज बनने शुरू हो गए हैं. बता दें कि सरसों एक प्रमुख तिलहन फसल है, जिसकी बुवाई अक्टूबर से नवंबर तक की जाती है, जबकि कटाई फरवरी से मार्च के दौरान की जाती है.
तिलहन किस्मों के सबसे बड़े उत्पादक राज्य राजस्थान में फसलों की स्थिति अब तक सामान्य रही है. हालांकि, सितंबर और अक्टूबर में हुई अत्यधिक बारिश के बाद खड़ी फसल के कुछ हिस्से की दोबारा बुवाई की गई है. हालांकि, दिसंबर के मध्य तक सरसों की बुवाई का क्षेत्रफल 3.4 लाख हेक्टेयर था, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में मामूली रूप से अधिक था, जबकि 2023-24 रबी सीजन में कुल बुवाई का क्षेत्रफल 3.49 लाख हेक्टेयर था.
उत्तर प्रदेश में अक्टूबर में हुई बेमौसम बारिश के बावजूद बुवाई अच्छी तरह से चल रही है. हालांकि, बारिश से कुछ जिलों में अंकुरण प्रभावित हुआ था. राज्य में अब तक सरसों की खेती का रकबा 1.35 लाख हेक्टेयर रहा है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 6.5 फीसदी अधिक है. वहीं, देश में सरसों के बीज के उत्पादन में राजस्थान 40 फीसदी, मध्य प्रदेश 14 फीसदी, उत्तर प्रदेश 9 फीसदी और हरियाणा की 7 फीसदी की हिस्सेदारी है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today