Pulses Crisis: क्या मसूर दाल की उपलब्धता पर असर डालेगा कनाडा व‍िवाद? केंद्र ने द‍िया जवाब

Pulses Crisis: क्या मसूर दाल की उपलब्धता पर असर डालेगा कनाडा व‍िवाद? केंद्र ने द‍िया जवाब

इस साल कनाडा और आस्ट्रेलिया से हम अपनी जरूरत की करीब 7 लाख टन मसूर मंगा चुके हैं. इसल‍िए अब दोनों देशों के बीच व‍िवाद की वजह से घरेलू बाजार में मसूर की उपलब्धता पर कोई असर नहीं होगा. जरूरत पड़ी तो अमेर‍िका से मंगा लेंगे. जल्द ही 5 लाख टन अरहर दाल और आयात करेगा भारत. 

Advertisement
Pulses Crisis: क्या मसूर दाल की उपलब्धता पर असर डालेगा कनाडा व‍िवाद? केंद्र ने द‍िया जवाब इस साल सात लाख मीट्र‍िक टन मसूर दाल का आयात कर चुका है भारत (Photo-Kisan Tak).

भारत-कनाडा विवाद के बीच मसूर दाल महंगी होने की आशंका जताई जा रही है. क्योंक‍ि र‍िश्तों में तल्खी का असर आयात पर पड़ने की संभावना है. लेक‍िन उपभोक्ता मामले विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह ऐसी आशंकाओं को नकार द‍िया है. उनका कहना है कि कनाडा मामले का असर मसूर दाल के आयात और उपलब्धता पर नहीं पड़ेगा. इस साल कनाडा और आस्ट्रेलिया से हम अपनी जरूरत की करीब 7 लाख टन मसूर मंगा चुके हैं. इसल‍िए अब दोनों देशों के बीच व‍िवाद की वजह से मसूर पर कोई इम्पैक्ट नहीं होगा. जरूरत होगी तो मसूर अमेरिका से भी ले लेंगे. 'क‍िसान तक' से बातचीत में स‍िंह ने यह जानकारी दी. दरअसल, इस व‍िवाद से पहले ही भारत ने आयातकों और व्यापार‍ियों को मसूर दाल के भंडार की हर शुक्रवार सरकार को जानकारी देने को अन‍िवार्य कर द‍िया था. व्यापार‍ियों को यह भी चेतावनी दे दी थी क‍ि मसूर का अघोषित भंडार जमाखोरी माना जाएगा, ताक‍ि जान बूझकर कोई दाम न बढ़ा सके. देश में मसूर दाल के उत्पादन और मांग में लगभग 8 लाख टन का अंतर है. 
  
बता दें क‍ि खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की मौत के मामले में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बयान के बाद कनाडा और भारत के बीच दूरियां बढ़ गई हैं. ट्रूडो ने 18 सितंबर को अपने देश की संसद में कहा था क‍ि कनाडा की जमीन पर कनाडाई नागरिक की हत्या में किसी भी विदेशी सरकार की किसी भी तरह की भूमिका हमारी संप्रभुता का ऐसा उल्लंघन है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. इसके बाद से ही दोनों देशों के र‍िश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं. इसील‍िए कहा जा रहा है क‍ि मसूर दाल का आयात प्रभाव‍ित हो सकता है और ऐसा होने से दाम बढ़ जाएगा. लेक‍िन उपभोक्ता सच‍िव कहना है क‍ि इस साल के ल‍िए आयात पहले ही हो चुका है. 

इसे भी पढ़ें: GI Tag Rice: बासमती के त‍िल‍िस्म से मुक्त‍ि के ल‍िए तड़प रहे खुशबूदार व‍िशेष चावल

पांच लाख टन तूर दाल का और होगा आयात 

उपभोक्ता सच‍िव सिंह ने कहा क‍ि जहां तक अरहर यानी तूर दाल की बात है तो इसकी मांग और आपूर्ति में करीब 10 लाख टन का अंतर है. भारत में सालाना मांग 44 से 45 लाख टन है और उत्पादन 34 लाख टन है. इस गैप को पूरा करने के लिए जनवरी से अब तक 5 लख टन अरहर दाल का आयात आ चुका है. जल्द ही 5 लाख टन और आने वाली है. ऐसे में त्यौहारी सीजन में दिक्कत नहीं होगी. तूर दाल का आयात म्यांमार और मोजांब‍िक से होता है. 

दाम काबू में कमी करने के ल‍िए स्टॉक ल‍िम‍िट 

स‍िंह ने बताया क‍ि जरूरी वस्तुओं के दाम को काबू में रखने के लिए स्टॉक ल‍िम‍िट लगाई है. चीनी के निर्यात कोटा को केवल 61 लाख मीट्रिक टल तक सीमित कर दिया है जबकि पिछले साल ये करीब 100 लाख टन था. गेहूं और दालों की स्टॉक लिमिट कम की गई है. गेहूं की स्टॉक ल‍िम‍िट 3,000 टन से घटाकर 2,000 टन की गई है. जबक‍ि अरहर और उड़द की ल‍िमिट 200 मीट्रिक टन से घटाकर 50 मीट्रिक टन कर दी गई है. 

उपभोक्ता मामलों के सच‍िव ने कहा क‍ि स्टॉक लिमिट से ज्यादा अनाज या दालें पाई गईं तो फिर उसे जमाखोरी माना जाएगा. ऐसा करने वालों के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी. व‍िभाग ने सभी मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर स्टॉक की रेगुलर मॉनिटरिंग और जमाखोरी करने वालों पर छापा मारने के आदेश दिए गए हैं. जानबूझकर दाम बढ़ने वालों से सख्ती से निपटने को कहा गया है. 

इसे भी पढ़ें: अमेरिकी सेब, अखरोट और बादाम को लेकर भारत का बड़ा फैसला, जान‍िए फायदा होगा या नुकसान? 

POST A COMMENT