उत्तर भारत में बोई जाने वाली भिंडी अब दक्षिण भारत के किसानों की शान बन रही है. उत्तर भारत में भिंडी की मांग अधिक है, इसलिए इसकी खेती भी भरपूर होती है. साथ ही दक्षिण भारत के अलग-अलग राज्यों में भी इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए किसान खेती पर जोर दे रहे हैं. इसी में एक राज्य आंध्र प्रदेश भी है जो अपने खास धान की खेती के लिए जाता है. आंध्र प्रदेश में धान के अलावा मिर्च और प्याज की खेती भी बंपर होती है, लेकिन इससे हटकर किसानों ने भिंडी पर हाथ आजमाना शुरू किया है. अच्छी बात ये है कि उत्तर भारत की यही भिंडी आंध्र के किसानों को अच्छी कमाई दे रही है. हम यहां बात करेंगे पश्चिमी गोदावरी जिले की.
भिंडी को हर सीजन की सब्जी कहा जाता है. इसकी एक खासियत जलवायु को लेकर भी है. सब्जियों की खेती अधिक गर्मी नहीं झेलती, लेकिन भिंडी इससे विपरीत है, क्योंकि यह गर्म जलवायु में भी अच्छी उपज देती है. आंध्र प्रदेश के लिहाज से यह उपयुक्त है क्योंकि वहां की जलवायु गर्म और नम है, इसलिए भिंडी की खेती अच्छी निकलने लगी है.
यहां के किसान गर्मियों में भिंडी की खेती कर रहे हैं और अच्छी कमाई भी पा रहे हैं. भिंडी की खेती काली, लाल और उर्वर जमीन में अच्छी होती है. इस जिले में बारिश के दिनों में किसान धान से अधिक भिंडी की खेती पर जोर देते हैं क्योंकि उनकी कमाई बढ़ने की संभावना अधिक होती है. यहां के किसान दो तरह से भिंडी की खेती करते हैं.
एक सलुला मेथड और दूसरा बोडेला मेथड. इसमें भी दूसरा तरीका अधिक प्रचलित है, क्योंकि यह ड्रिप सिंचाई के लिए उपयुक्त है. पश्चिमी गोदावरी के जो किसान ड्रिप सिंचाई करने में सक्षम हैं, वे बोडेला तरीके से भिंडी की खेती करते हैं. यहां के किसान भिंडी में खरपतवार को नियंत्रित करने और पानी की बचत के लिए मल्चिंग शीट का प्रयोग करते हैं.
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पश्चिमी गोदावरी जिले में भिंडी की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रही है, क्योंकि कम खर्च में अधिक मुनाफा कमा रहे हैं. स्थानीय स्तर पर यहां के किसान भिंडी की खेती करते हैं और लोकल बाजारों में बेचकर बेहतर कमाई करते हैं. खास बात ये कि गर्मी के सीजन में जब फसलों को कम पानी और कम बारिश में बचाना बहुत मुश्किल होता है, वैसे समय में पश्चिमी गोदावरी जिले के किसान इससे अच्छी कमाई कर रहे हैं. वह भी कम पानी के खर्च में.
भिंडी की खेती में प्रति एकड़ खर्च 25,000 से 30,000 रुपये तक होता है जिसमें बीज, सिंचाई और मजदूरी का खर्च शामिल है. इस निवेश से किसान चार गुना तक कमाई कर लेते हैं जो कि बाजार में भिंडी की मांग पर निर्भर है. भिंडी की डिमांड कभी कम नहीं होती, इसलिए इसकी कमाई भी घटने के चांसेस कम ही होते हैं. आंध्र प्रदेश के इस जिले के किसान इन सभी बातों पर गौर करते हुए भिंडी की खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं.
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