मखाने के बढ़ते दाम और मांग से किसान खुश, बिहार के इन इलाकों में सबसे अधिक हुई खेती

मखाने के बढ़ते दाम और मांग से किसान खुश, बिहार के इन इलाकों में सबसे अधिक हुई खेती

मखाने की खेती बिहार के किसानों के लिए एक नई आशा की किरण बनकर उभर रही है. बढ़ती मांग, अच्छे दाम और उत्पादन में वृद्धि ने इसे किसानों के लिए लाभकारी विकल्प बना दिया है.

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मखाने के बढ़ते दाम और मांग से किसान खुश, बिहार के इन इलाकों में सबसे अधिक हुई खेती मखाना की खेतो

बिहार के कोसी क्षेत्र में पारंपरिक धान की खेती की जगह मखाने की खेती का चलन बढ़ रहा है. खासकर सहरसा जिले में किसानों ने इस साल गरमा धान की जगह मखाना उगाना शुरू कर दिया है. इस बदलाव का असर न सिर्फ खेती के पैटर्न पर बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति पर भी पड़ रहा है. मखाना की खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार भी उनके हित में कई कदम उठाती नजर आ रही है. इतना ही नहीं, केंद्र सरकार ने बिहार में मखाना बोर्ड की स्थापना का भी फैसला लिया है. जिसके बाद बिहार के किसानों में मखाना की खेती का क्रेज बढ़ गया है. इसकी वजह से अब वो धान की खेती छोड़ मखाना की खेती करते नजर आ रहे हैं.

मखाने की बढ़ती मांग और दाम

मखाना जिसे अब एक सुपर फूड के रूप में जाना जाता है, उसकी मांग अमेरिका, यूरोप और पश्चिम एशिया जैसे देशों में तेजी से बढ़ रही है. इस बढ़ती हुई डिमांड की वजह से इसकी कीमत में तीन गुना से भी अधिक का इजाफा हुआ है. यही वजह है कि बिहार के किसान अब धान और गेहूं छोड़कर मखाना की ओर आकर्षित हो रहे हैं.

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100 अरब रुपये का मखाना बाजार

भारत में मखाना का बाजार अब लगभग 100 रुपये अरब रुपये से ज्यादा का हो चुका है. यह आंकड़ा न केवल मखाना की लोकप्रियता दिखाता है, बल्कि यह भी बताता है कि यह खेती किसानों के लिए कितना फायदेमंद साबित हो सकती है. यही कारण है कि हर साल मखाना की खेती का रकबा 5 से 10 प्रतिशत तक बढ़ रहा है.

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उत्पादन में आई जबरदस्त बढ़ोतरी

जहां पहले परंपरागत बीजों से एक हेक्टेयर में लगभग 2 टन मखाना बीज (गुड़ी) का उत्पादन होता था, वहीं अब सबौर वन बीज के इस्तेमाल से यह उत्पादन 30 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुंच गया है. इससे किसानों को दोगुना लाभ हो रहा है, जो खेती के प्रति उनके उत्साह को बढ़ा रहा है.

किन इलाकों में हो रही मखाना की खेती?

सहरसा जिले के कई प्रखंडों में मखाना की खेती जोर पकड़ रही है. इनमें मुख्य रूप से नवहट्टा, महिषी, सत्तर कटैया, सिमरी बख्तियारपुर, बनमा ईटहरी, पतरघट, कहरा, खाड़ा, मधेपूरा, बुधमा, आलमनगर, आदि जगह शामिल हैं. जिला उद्यान विभाग के अनुसार, इस साल 5,000 एकड़ से अधिक भूमि पर मखाना की खेती की गई है.

मखाना की खेती बिहार के किसानों के लिए एक नई आशा की किरण बनकर उभर रही है. बढ़ती मांग, अच्छे दाम और उत्पादन में वृद्धि ने इसे किसानों के लिए लाभकारी विकल्प बना दिया है. अगर यह रुझान इसी तरह जारी रहा, तो आने वाले वर्षों में मखाना बिहार की पहचान और समृद्धि का प्रतीक बन सकता है.

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