छत्तीसगढ़ सरकार के लिए एक्स्ट्रा बचा हुआ धान बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. इस धान की वजह से सरकार को कई हजार करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ सकता है. एक अनुमान के मुताबिक छत्तीसगढ़ सरकार को 30 लाख टन से ज्यादा का अधिशेष धान बेचने के लिए 3,000-3,600 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ सकता है. माना जा रहा है कि खरीदारों ने मांग में कमी के कारण कम दरें बताई हैं और इस वजह से सरकार को यह नुकसान झेलना पड़ेगा.
सूत्रों की मानें तो इस वजह से राज्य एजेंसी ने गुणवत्ता के अनुसार चार श्रेणी में धान को चिन्हित किया है. इन चार श्रेणियों के धान के लिए एजेंसी को 1,900 रुपये से 2,100 रुपये प्रति क्विंटल के बीच आरक्षित कीमतें तय करने के लिए मजबूर हुई हैं. सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि नीलामी के पहले चरण में राज्य सरकार की तरफ से आरक्षित कीमतों को मंजूरी दिए जाने के बाद चार लाख टन धान उठाए जाने की संभावना है. चूंकि बेची गई मात्रा बहुत कम है, इसलिए राज्य सरकार ने अगले चरण में शेष बची हुई मात्रा के लिए फिर से कॉन्ट्रैक्ट निकालने का फैसला किया है. अखबार द हिंदू बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) ने सरकार की तरफ से धान खरीदा था.
एजेंसी ने केंद्र की तरफ से केंद्रीय पूल के लिए सिर्फ 104.48 लाख टन धान लेने पर सहमत हो गई है. इसके बाद करीब 33 लाख टन अधिशेष धान को खुले बाजार में बेचने का फैसला किया गया है. राज्य में एमएसपी कीमतों से ज्यादा पर धान की बिक्री हो रही है. 2023-24 में, केंद्र ने छत्तीसगढ़ से करीब 124 लाख टन धान खरीदा. आरक्षित कीमतों के अनुसार ग्रेड ए वैरायटी वाले धान के एक बोरे की कीमत 2100 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है. जबकि पुरानी कीमत 2050 रुपये प्रति क्विंटल थी.
इसी तरह से कॉमन वैरायटी (ज्यादातर स्वर्ण वैरायटी) की कीमत 1950 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है. पुरानी कीमत 1900 रुपये प्रति क्विंटल थी. केंद्र की तरफ से ग्रेड ए के लिए एमएसपी पर धान की कीमत 2320 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई थी. वहीं कॉमन वैरायटी की कीमत 2300 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई थी.
कुछ राज्यों में एमएसपी के अलावा सरकारों की तरफ से बोनस का भी ऐलान किया गया है. जबकि विशेषज्ञों ने इसे लेकर सरकारों को आगाह किया है. उनका कहना है कि बोनस खुले बाजार को बिगाड़ रहा है. वहीं केंद्र सरकार खुले बाजार में चावल की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने में असमर्थ है. कुछ किसान ऐसी किस्में उगाने लगे हैं जिनमें उपज ज्यादा है. इन किसानों ने एकमात्र मकसद इन किस्मों को उगाया है कि वो इसे सरकार को बेच सकें. इस वजह से खास वैरायटी वाले चावल की उपलब्धता भी कम हो गई है जिसे कंज्यूमर्स अब ज्यादा मात्रा में खरीद रहे हैं. साल 2024-25 में छत्तीसगढ़ में धान का उत्पादन 127 लाख टन (चावल के लिए मात्रा 83.35 लाख टन) होने की संभावना है. जबकि 2023-24 में यह आंकड़ा 145 लाख टन (चावल के लिए 97.03 लाख टन) था.
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