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खेती के साथ पढ़ाई! यहां स्‍कूल में श्‍मशान घाट के बच्‍चों को सिखाई जा रही ऑर्गेनिक फार्मिंग

खेती के साथ पढ़ाई! यहां स्‍कूल में श्‍मशान घाट के बच्‍चों को सिखाई जा रही ऑर्गेनिक फार्मिंग

बिहार के मुजफ्फरपुर में कुछ ऐसा हो रहा है, जो कई लोगों के लिए प्रेरणा बन सकता है. यहां के सिकंदरपुर स्थित मुक्तिधाम श्‍मशान घाट में करीब पाठशाला में पढ़ने वाले स्कूली बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ ऑर्गेनिक फॉर्मिंग भी सिखाई जा रही है. बच्‍चे पढ़ाई के साथ-साथ जैविक खेती यानी ऑर्गेनिक फार्मिंग के टिप्‍स भी ले रहे हैं.

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अभी खेत में 17 तरह की फसलें उगी हुई हैं अभी खेत में 17 तरह की फसलें उगी हुई हैं

बिहार के मुजफ्फरपुर में कुछ ऐसा हो रहा है, जो कई लोगों के लिए प्रेरणा बन सकता है. यहां के सिकंदरपुर स्थित मुक्तिधाम श्‍मशान घाट में करीब पाठशाला में पढ़ने वाले स्कूली बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ ऑर्गेनिक फॉर्मिंग भी सिखाई जा रही है. बच्‍चे पढ़ाई के साथ-साथ जैविक खेती यानी ऑर्गेनिक फार्मिंग के टिप्‍स भी ले रहे हैं. श्‍मशान घाट की झुग्‍गी बस्ती में रहने वाले बच्चों को पढ़ाई के साथ ऑर्गेनिक फॉर्मिंग के साथ ही मुक्तिधाम परिसर में खाली पड़ी जमीन का सही प्रयोग भी हो रहा है. 

क्‍या है इस ख्‍याल के पीछे मकसद 

ऑर्गेनिक फार्मिंग के जमीन का प्रयोग तो नेक है ही साथ में मकसद और भी नेक है. ऑर्गेनिक खेती सिखाने का मकसद बच्चों को स्कूली शिक्षा के साथ साथ खेती की भी ज्ञान देना है ताकि भविष्य में ये इनके रोजगार और जीवन-यापन का साधन बन सके. साथ ही ये बच्‍चे आने वाले समय में किसानों को जैविक खेती के लिए भी जागरूक करेंगे.  

मुक्तिधाम सिकन्दरपुर का श्‍मशान घाट है. यहां पर बच्चों को मुख्य धारा में जोड़ने के लिए एक स्‍कूल चल रहा है. इस स्‍कूल में वो बच्चे पढ़ते है जो श्‍मशान घाट में आने वाले शव पर से बताशा, फल और मिठाई चुनते थे. श्‍मशान घाट में स्थित इस अनोखे खेत में  17 तरह की फसलें बच्चे  उगा रहे है. ऐसे में ये बच्‍चे पढ़ाई के साथ-साथ खेती के गुर भी सीख रहे है. 

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बच्‍चों की जिंदगी पटरी पर 

यहां पर बच्चों को पढ़ाने वाले टीचर सुमित कुमार कहते हैं कि शुरुआत में तो सभी बच्चे सारा दिन खेलते रहते थे. साथ ही फल और मिठाई चुनकर खाते थे. इसी समय में उन्‍होंने इन बच्‍चों की पढ़ाई के लिए अप्पन पाठशाला की शुरुआत की. धीरे -धीरे बच्‍चे पढ़ाई पर ध्‍यान देने लगे और उनकी पढ़ाई ट्रैक पर आने लगी.

सुमित कुमार कहते हैं कि ये सभी बच्चे झुग्‍गी के रहने वाले हैं ऐसे में इनके स्वाभिमान के लिए खाली पड़ी जमीन पर उन्‍हें जैविक खेती करना सिखा रहे हैं. सुमित की मानें तो इससे बच्‍चों को भविष्य में रोजगार मिलने के अवसर पैदा होंगे और उनका जीवन आसान होगा. साथ ही ये बच्‍चे स्वावलंबी बन सकेंगे. 

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अभी यहां खेत में 17 तरह की फसलें उगी हुई हैं. इन फसलों में सूरजमूखी, भिंडी, बैगन, बीन्स, पालक, परवल, करेला, कद्दू, गोभी, ककरी, खीरा,तरबूज, टमाटर, नेनुआ, मक्का, सेम, हरी मिर्च के साथ साथ गुलाब, गेंदा समेत कई तरह के फूल भी हैं. बच्चे शाम को खेलने के समय में यहां पर इनकी खेती के टिप्‍स लेते हैं. 

(मणिभूषण शर्मा की रिपोर्ट मुजफ्फरपुर से )