देश के कई हिस्सों में इस वक्त रबी सीजन के प्याज की खेत से निकासी चल रही है. इसके बाद किसान खरीफ सीजन के प्याज की खेती करने की तैयारी करने लग जाएंगे. लेकिन खेती से शुरू करने से पहले बीजों के किस्मों का चयन और खेती का तौर-तरीका जानना और समझना बहुत जरूरी है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के कृषि वैज्ञानिकों ने इसके बारे में पूरी जानकारी दी है. बिजाई से पहले बीजों के उपचार की सलाह दी गई है ताकि रोग कम लगे. खरीफ सीजन के प्याज का प्रमुख उत्पादक महाराष्ट्र है, जहां इसकी बड़े पैमाने पर खेती होती है. आइए सबसे पहले हम इसकी प्रमुख किस्मों के बारे में जानकारी लेते हैं.
बसवंत-780: यह भारतीय खरीफ प्याज की प्रमुख किस्म है. इसके प्याज का आकार बड़ा होता है और रंग गहरा लाल होता है. इसकी पैदावार उच्च होती है और इसे विभिन्न क्षेत्रों में उगाना संभव होता है.
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यह एक रंगीन खरीफ प्याज की किस्म है जिसका रंग गहरा लाल होता है. इस प्याज का आकार मध्यम से बड़ा होता है और पैदावार उच्च होती है. यह किस्म उच्च तापमान और उच्च वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त होती है.
यह एक औद्योगिक खरीफ प्याज की किस्म है. इस प्याज का आकार बड़ा और रंग गहरा लाल होता है. इसकी पैदावार उच्च होती है. यह उच्च तापमान और अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में अच्छी तरह से उगाने के लिए उपयुक्त होती है.
प्याज गहरे लाल रंग के होते है और इनका व्यास 5.43 सें.मी. होता है। यह किस्म 100 दिनों में पूरी तरह से पकने के लिए तैयार हो जाती है। इसकी प्रति हैक्टर औसतन उपज 165 से 225 क्विंटल तक होती है।
क्यारी को ऐसी जगह बनाएं जहां दिनभर धूप हो और देखभाल आसान हो. क्यारी की लंबाई 3 मीटर, चौड़ाई 1 मीटर और ऊंचाई 15-20 सें.मी. होनी चाहिए. धूप की लंबाई को आवश्यकतानुसार बढ़ाया जा सकता है, लेकिन चौड़ाई 1.00 या 1.30 मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे क्षेत्रफल में असुविधा हो सकती है.
बिजाई से पहले, क्यारियों में सड़ी हुई गोबर की खाद (20-25 किलोग्राम) और 12:32:16 मिश्रित खाद (100 ग्राम प्रति क्यारी) का उपयोग करें.
बिजाई से पहले, बीज को फफूंदनाशक दवा जैसे कैप्टॉन, बाविस्टीन, थीरम 2 या 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें. बीज को सूखे बर्तन में रखें और उसे दवा के साथ हल्के पानी के संपर्क में आने तक हिलाएं, ताकि दवा बीजों पर अच्छी तरह से चिपके.
बिजाई से पहले, बीज को छाया में सुखा लें. बीज की 10 ग्राम प्रति वर्गमीटर या 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बुआई की जाती है. 125-150 ग्राम बीज प्रति क्यारी की दर से बीजाई करें.
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