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हर्बल फार्मिंग से खड़ी कर दी 10 करोड़ की कंपनी, पढ़िए राजस्थान के किसान राकेश चौधरी की कहानी 

हर्बल फार्मिंग से खड़ी कर दी 10 करोड़ की कंपनी, पढ़िए राजस्थान के किसान राकेश चौधरी की कहानी 

राजस्थान के नागौर जिले के राजपुरा गांव के रहने वाले राकेश एक किसान परिवार में ही पले बढ़े हैं. वह हमेशा से जानते थे कि एक किसान का जीवने जीने का क्या मतलब है. लेकिन राकेश, पारंपरिक खेती की जगह हर्बल खेती की तरफ जाना चाहते थे. जब उन्‍होंने अपनी इस योजना के बारे में बताया तो उनके परिवार और दोस्तों ने उनका विरोध किया.

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राजस्‍थान के किसान राकेश चौधरी बने प्रेरणा राजस्‍थान के किसान राकेश चौधरी बने प्रेरणा

आज हम आपको एक ऐसे किसान की कहानी बताते हैं जिसने बस एक छोटे से आइडिया की मदद से करोड़ों का बिजनेस खड़ा कर लिया है. साथ ही वह अब दूसरे लोगों के लिए भी मिसाल बन गए हैं. राजस्‍थान के 43 साल के राकेश चौधरी ने बीएससी करने के बाद खेती की दिशा में ही आगे बढ़ने का सोचा था. आज वह अपने एक छोटे आइडिया की वजह से करोड़ों कमा रहे हैं. राकेश ने खेती में नए प्रयोग करने की ठानी और अपने प्रयोगों की बदौलत आज वह करोड़ों के टर्नओवर वाली कंपनी विनायक हर्बल्‍स के मालिक हैं. हालांकि उनके आइडिया को शुरुआत में उनके करीबियों ने नकार दिया था. 

आइडिया का किया गया विरोध 

राजस्थान के नागौर जिले के राजपुरा गांव के रहने वाले राकेश एक किसान परिवार में ही पले बढ़े हैं. वह हमेशा से जानते थे कि एक किसान का जीवने जीने का क्या मतलब है. जयपुर से बीएससी की डिग्री लेने के लिए उन्‍होंने अपना गांव छोड़ दिया था. लेकिन इसके बाद भी वह अपने परिवार के व्यवसाय में काम को करने के लिए प्रतिबद्ध रहे. जब हायर एजुकेशन के बाद बहुत से लोग खेती की जगह कोई और नौकरी करने के बारे में सोचते हैं, उस समय राकेश के दिमाग में एक नया आइडिया दौड़ रहा था. वह बाकी सभी लोगों से अलग निकले और उन्‍होंने तय किया कि वह सिर्फ खेती किसानी की तरफ ही जाएंगे. 

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सपने को सच करना ही था 

लेकिन राकेश, पारंपरिक खेती की जगह हर्बल खेती की तरफ जाना चाहते थे. जब उन्‍होंने अपनी इस योजना के बारे में बताया तो उनके परिवार और दोस्तों ने उनका विरोध किया. वे ऐसी तरफ बढ़ने से डर रहे थे जिसके बारे में वो कुछ नहीं जानते थे. लेकिन राकेश ने इस मौके का फायदा उठाने और इसका ज्‍यादा से ज्‍यादा फायदा उठाने की ठान ली थी. राकेश ने साल 2003 में स्‍टेट मेडिसिनल प्‍लांट बोर्ड के अनुबंधित खेती कार्यक्रम की खोज की. इस प्रोग्राम में किसानों को सब्सिडी मिलती थी. इस खोज से उन्हें अपने हर्बल फार्मिंग के अपने सपने को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरणा मिली. 

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50 हजार से ज्‍यादा किसान साथ 

कई कठिनाइयों का सामना करने के बाद राकेश ने साल 2017 में विनायक हर्बल की स्थापना की. मेडिसिनल प्‍लांट्स के सफल उत्पादन करने के लिए, उन्होंने पूरे देश में किसानों के साथ काम किया.  आज यह कंपनी सालाना 10 करोड़ रुपये से ज्‍यादा का मुनाफा राकेश के अकाउंट में देती है. उनके पास अब कई राज्यों में खेत हैं और बायो-हर्बल खेती से जुड़ने वाले 50000 से ज्‍यादा किसानों को वह रोजगार दे रहे हैं. राकेश अब एक सफल उद्यमी हैं और उन युवाओं के लिए प्रेरणा हैं जो कृषि में काम करना चाहते हैं. 

मुश्किल सफर के बाद भी सफल 

राकेश के लिए यह  सफर आसान नहीं था. जब उन्होंने पहली बार खेती के अपने खास इरादों के बारे में बताया तो उन्‍हें अपने लोगों के के विरोध का सामना करना पड़ा. इसके अलावा पैसे की कमी और संसाधनों की कमी भी एक बड़ी बाधा थी. राकेश एक छोटे किसान थे और उन्‍हें कर्ज मिलना आसान नहीं था. कर्ज मिलने में परेशानी होती थी क्योंकि उनके पास गिरवी रखने के लिए कुछ भी नहीं था. अपनी गलतियों से सीखने के बाद राकेश ने अपने आस-पास की मिट्टी को बेहतर ढंग से समझने के लिए और ज्‍यादा रिसर्च की. 

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इन बातों का रखा ध्‍यान 

फसल होने से पहले, उन्होंने एक चेकलिस्ट बनाई जिसमें जलवायु को ध्यान में रखना, उच्चतम गुणवत्ता वाली फसलें लगाना और बाजार की मांग का अंदाजा लगाना भी शामिल था. राकेश ने साल 2005 तक राजस्थानी में खेती के सिस्‍टम को समझा. वह अपनी मिट्टी, फसल और जलवायु की जरूरतों के बारे में पूरी तरह से वाकिफ थे. फिर उन्होंने फार्मा कंपनियों और डीलरों को प्लांट भेज दिए. यहां से उनके उस सफल सफर की शुरुआत हुई जो आज भी कायम है.