खेती करने के तरीकों में आज काफी बदलाव आ गया है. किसान नई-नई तकनीक की मदद से पैदावार बढ़ाने में लगे हुए हैं. इन्हीं तकनीकों में एक है पॉलीहाउस खेती. पॉलीहाउस की खेती आज वह तकनीक बन गई है, जो किसानों को कई तरह से सब्जी और फूल उगाने के लिए प्रेरित कर रही है. पॉलीहाउस खेती में किसान बेमौसमी सब्जियों और फूलों को भी उगा सकते हैं. बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन से किसानों को फायदा होता है और साथ ही ताजी सब्जियां भी आसानी से मिल जाती हैं. आज हम आपको बताते हैं कि हवादार पॉलीहाउस क्या होते हैं और इसमें कितना खर्च आता है.
पॉलीहाउस खेती दरअसल ग्रीनहाउस खेती के कॉन्सेप्ट पर ही आधारित है. इसमें कांच की जगह पॉलीथीन का प्रयोग होता है. यह निवेश लागत को काफी कम कर देता है और ग्रीनहाउस खेती के समान ही रखता है. इससे रखरखाव और सेटअप की लागत भी कम हो जाती है. पॉलीहाउस खेती ने आज भारत समेत पूरी दुनिया के एग्रीकल्चर सेक्टर में तूफान ला दिया है. इस खेती की मदद से किसानों को जमीन के एक ही टुकड़े पर कई प्रकार के पौधों की खेती करने और उन्हें आसानी से बनाए रखने में मदद मिलती है. इसकी वजह से उन्हें बहुत अधिक समय या प्रयास खर्च किए बिना अधिक मुनाफा कमाने में मदद मिलती है.
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हवादार पॉलीहाउस यानी वह जगह जहां पर वेंटीलेशन की भी पूरी व्यवस्था की जाएगी. इस सिस्टम में सिंचाई, लिक्विड खाद देना और बाकी प्रक्रियाओं को किसी टैलेंटेड और जानकार श्रमिक की तरफ से पूरा किया जाता है. इस संरचना को बनाने में बहुत ज्यादा पैसे नहीं लगते हैं और बस मध्यम लागत में इसे आप तैयार कर सकते हैं. हवादार पॉलीहाउस में ठंडा करने के लिए और गर्मी पैदा करने के लिए कोई यंत्र नहीं होता है बल्कि पॉलीहाउस में वेंटीलेशन इस काम को पूरा करता है. पॉलीहाउस में फसलों को एक नियंत्रित वातावरण में उगाने में सफलता हासिल की जा सकती है.
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इस पॉलीहाउस को बनाने में हाईटेक पॉलीहाउस की तुलना में कम खर्च आता है. लेकिन बाकी सामान्य पॉलीहाउस की तुलना में यह महंगा होता है. इसे बनाने के लिए प्रति वर्गमीटर 1000-1200 रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं. इस तरह की संरचना का प्रयोग बीजरहित खीरा, तरबूज, असीमित बढ़ने वाले टमाटर, हरे, पीले और लाल रंग की शिमला मिर्च को उगाने के लिए सालभर किया जाता है. हवादार पॉलीहाउस लोहे या स्टील से बनता है.लेकिन इसकी दीवारें पॉलीथीन से बनी होती हैं. 150 माइक्रॉन मोटाई वाली पॉलीथीन शीट इसके लिए प्रयोग की जाती है. यह पॉलीथीन सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणों से पौधों को बचाती हैं और उन्हें अन्दर आने से रोकती है.
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