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फायदे का सौदा है माइक्रोग्रीन्स की खेती, सब्जियों की तुलना में 40 गुना अधिक देते हैं पोषक तत्व

फायदे का सौदा है माइक्रोग्रीन्स की खेती, सब्जियों की तुलना में 40 गुना अधिक देते हैं पोषक तत्व

माइक्रोग्रीन्स को माइक्रोवेज भी कहा जाता है. ये अंकुरित सब्जियों के छोटे, युवा रूप हैं. ये अपने स्वास्थ्य लाभों के लिए तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं. ये स्प्राउट के परिष्कृत रूप हैं. शरीर की कोशिकाओं को नुकसान से बचाने वाले एंटीऑक्सीडेंट से यह भरपूर होते हैं. इसे हृदय रोग, मधुमेह के जोखिमों में कमी लाने में मददगार माना जाता है. 

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जानिए माइक्रोग्रीन्स की खेती के बारे में जानिए माइक्रोग्रीन्स की खेती के बारे में

क्या आपने माइक्रोग्रीन्स के बारे में सुना है. दरअसल, माइक्रोग्रीन की खेती, एक आर्थिक तौर पर लाभकारी कृषि व्यवसाय है. इसमें छोटे-छोटे ग्रीन फोलिक या गेहूं जैसे पौधों को उगाने की प्रक्रिया होती है. इसके कई फायदे हो सकते हैं. दूसरी ओर इसे सुपरफूड भी कहते हैं. यह मानव शरीर के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. ये पौधे विटामिन, खनिज, और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं. कृषि वैज्ञान‍िक अंजली कुमारी झा ने इसके बारे में पूरी जानकारी दी है. इनमें अन्य सब्जियों की तुलना में 40 गुना अधिक पोषण तत्व होते हैं. विटामिन ए, सी, ई, के, बी6, फोलेट, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम और पोटेशियम के समृद्ध स्रोत के तौर पर इसे जाना जाता है. 

शरीर की कोशिकाओं को नुकसान से बचाने वाले एंटीऑक्सीडेंट से यह भरपूर होते हैं. इसे हृदय रोग, मधुमेह के जोखिमों में कमी लाने में मददगार माना जाता है. दृष्टि में सुधार और रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को करें मजबूत करते हैं और त्वचा को स्वस्थ रखते हैं. माइक्रोग्रीन्स को माइक्रोवेज भी कहा जाता है. ये अंकुरित सब्जियों के छोटे, युवा रूप हैं. ये अपने स्वास्थ्य लाभों के लिए तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं. ये स्प्राउट के परिष्कृत रूप हैं. 

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माइक्रोग्रीन्स लोकप्र‍िय हो रहा है  

वैश्विक स्तर पर बढ़ते रोगों और महंगाई को ध्यान में रखते हुए आजकल लोगों ने अपनी जीवनशैली के साथ खान-पान में भी बदलाव किये हैं. इसी के साथ "माइक्रोग्रीन्स" शब्द ने विश्वस्तर पर ध्यान आकर्षित किया है. लोग अब स्वस्थ रहने के लिए कई तरह के तरीके अपना रहे हैं. नई तकनीकों का उपयोग करके पोषक फसलों और खाद्यान्न का उत्पादन किसानों द्वारा बहुत तेजी से किया जा रहा है. पौष्टिक फसलों की बात करें तो हरी सब्जियों का नाम सबसे पहले आता है. हरी सब्जियों में माइक्रोग्रीन्स के विभिन्न प्रकार घरों के किचन का हिस्सा तेजी से बनते जा रहे हैं. माइक्रोग्रीन्स या छोटे पौधों की यह खेती स्वास्थ्य के अलावा आर्थिक रूप से भी लाभकारी है. 

क्या है माइक्रोग्रीन्स

 माइक्रोग्रीन्स, सब्जियों और जड़ी-बूटियों के अंकुर से उत्पन्न होने वाली पहली "टूलीफ्स” हैं, जो लगभग 2 से 3 इंच लंबी होती हैं. . इनकी कटाई तब की जाती है, जब ये कुछ हफ्ते के हो जाते हैं और इनमें "टूलीफ” का पहला सेट विकसित हो जाता है. माइक्रोग्रीन्स, स्प्राउट्स की तुलना में बढ़ने में थोड़ा अधिक समय लेते हैं. शलजम, मूली, ब्रोकली, फूलगोभी, गाजर, चार्ड, लैट्यूस, पालक, अमरंथ, पत्तागोभी, चुकंदर, अजमोद और तुलसी सहित पौधों की कई किस्में हैं. इन्हें माइक्रोग्रीन के रूप में आसानी से उगाया जा सकता है.

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