असम सरकार ने केंद्र से नीलामी के जरिए 100 प्रतिशत डस्ट ग्रेड चाय की बिक्री को रद्द करने का आग्रह किया है. हालांकि, यह नीलामी का निर्णय छोटे चाय उत्पादकों को सही कीमत दिलाने और बाजार मांग को पूरा करने के उद्देश्य से जनवरी में लिया गया था. लेकिन, अब राज्य सरकार ने कई चुनौतियां का हवाला देते हुए इसे रद्द करने की मांग केंद्र से की है.
डस्ट ग्रेड चाय सबसे निचली कैटेगरी की चाय मानी जाती है, जिसे टूटी हुई पत्तियों को कुचलने से इकट्ठा किया जाता है. इसमें छोटे चाय के कण बचते हैं. टी बैग में अक्सर डस्ट ग्रेड चाय होती है, जो एक बार भिगोने के बाद स्वादहीन हो जाती है. ग्रेड की चाय से छोटे उत्पादक जुड़े हुए हैं. इन उत्पादकों के हित का ख्याल रखते हुए बीते जनवरी महीने में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कोलकाता में 100 फीसदी डस्ट ग्रेड चाय की नीलामी का निर्णय स्टेकहोल्डर्स के साथ बैठक में लिया था. इसमें कहा गया कि पहले 3 महीने के परीक्षण किया जाएगा और सफल होने पर आगे लागू किया जाएगा. इसके बाद नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया था.
डस्ट ग्रेड चाय की नीलामी के जरिए बिक्री के फैसले के पीछे मुख्य विचार बाजार की मांग को पूरा करना, उत्पादकों को बेहतर मूल्य दिलाना और भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) मानदंडों का पालन कराना था. इसके जरिए चाय में प्रतिबंधित रसायनों के इस्तेमाल को रोकना भी शामिल है. केंद्र के निर्णय के बाद चाय उत्पादक इंडस्ट्री में हलचल मची हुई थी. चाय बाजार से जुड़े संगठनों ने इसे सही फैसला बताते हुए स्वागत किया था. जबकि, पहले से डस्ट ग्रेड चाय से फायदा उठा रहे बड़े प्लेयर्स ने आपत्ति जताई थी. अब असम राज्य सरकार ने नीलामी में दिक्कतों का हवाला देते हुए केंद्र से नीलामी के जरिए बिक्री को रद्द करने की मांग की है.
असम के मुख्य सचिव रवि कोटा ने वाणिज्य विभाग के सचिव सुनील बर्थवाल को लिखे एक पत्र में कहा कि 100 फीसदी डस्ट ग्रेड चाय बिक्री अनिवार्य करने के फैसले पर पुनर्विचार करें. कहा गया कि असम में चाय इंडस्ट्री में बड़ी संख्या में छोटे चाय उत्पादक हैं और चाय पत्ती खरीदार मैन्यूफैक्चरर्स शामिल हैं. आदेश के पालन से कई चुनौतियां पैदा होने की आशंका है, जो चाय उत्पादकों और अन्य स्टेकहोल्डर्स की आजीविका को प्रभावित करेगी. इसलिए नीलामी के जरिए बिक्री को स्थगित करने पर विचार करने का अनुरोध किया है.
Copyright©2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today