'चंदन विष व्यापत नहीं लिपटत रहत भुजंग' ये रहीम दास जी की लिखी एक पंक्ति है जिसमें चंदन के पेड़ का महिमामंडन किया गया है. चंदन का पेड़ आपने भले ही ना देखा हो लेकिन इसके गुण और उपयोगिता के किस्से खूब सुने होंगे. आपने ये भी सुना होगा कि चंदन का पेड़ बेशकीमती होता है और इसकी मांग बहुत ज्यादा है. हमारे देश में चंदन के बारे में खूब लिखा और सुना गया है लेकिन चंदन की खेती की बात आए तो अधिकांश लोग बहुत कम जानते हैं. अगर आप चंदन की खेती या चंदन का पेड़ लगाना चाहते हैं तो इससे जुड़ी सारी जानकारी इस खबर में मिल सकती है. इस खबर में हम आपको चंदन का पौध तैयार करने से लेकर बेशकीमती पेड़ बनने तक के बारे में सारी जानकारी देने जा रहे हैं.
चंदन का पौध तैयार करने के लिए चंदन के बीजों को खास तरीके से प्रोसेस किया जाता है. चंदन के बीज पुराने चंदन के पेड़ों से गिरते हैं. केंद्रीय हाईटेक नर्सरी हसदो वनमंडल मनेन्द्रगढ़ (छत्तीसगढ़) ने किसानतक को बताया कि चंदन के बीज अप्रैल- मई और नवंबर दिसंबर साल में दो बार गिरते हैं. इन बीजों को इकट्ठा करके पानी में करीब 2-3 दिनों तक भिगोकर रखा जाता है जिससे बीजों की बाहरी और सख्त परत निकल जाती है जिसे बीज कोट कहते हैं. इसके बाद इन बीजों को सुखाया जाता है. सूखे बीजों को रोपाई से 12 घंटे पहले गुनगुने पानी में फिर से भिगो कर अच्छी तरह सुखाया जाता है.
अब बीजों को लगाने के लिए मिट्टी का एक बेड तैयार करना होता है. मिट्टी से तैयार इस बेड का अनुपात 2:1:1 होता है (2 टोकरी मिट्टी:1 टोकरी रेत:1 टोकरी वर्मी या गोबर कंपोस्ट). इस बेड की ऊंचाई 20-25 सें.मी. रखी जाती है. इस बेड में उंगली से गड्ढा करके कतारबद्ध तरीके से बीज रोपे जाते हैं. इस वक्त नर्सरी में 30-40 डिग्री सेल्सियस तापमान रखा जाता है. इसके बाद हर तीसरे दिन इस बेड में फव्वारे से हल्की सिंचाई की जाती है. लगभग 45 दिनों में बीजों से पौधे का अंकुरण होने लगता है.
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लगभग 45 दिनों के बाद अंकुरित बीजों को 2:1:1 अनुपात वाली मिट्टी के मिश्रण से भरे पॉलीथीन बैग में ट्रांसफर किया जाता है. इन पौधों को पॉलीथीन में लगाते समय हर पौधे के साथ अरहर का पौधा लगाना जरूरी होता है. नर्सरी में मौजूद एक्सपर्ट्स ने बताया की चंदन का पौधा परजीवी होता है जो नाइट्रोजन का संचय नहीं कर पाता है. नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए चंदन के पौधे के साथ अरहर का पौधा लगाना बहुत जरूरी होता है.
अधिकांश लोग चंदन की खेती करके तगड़ा पैसा कमाना चाहते हैं लेकिन इसकी खेती के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं. हमने आपको नर्सरी में पौध तैयार करने की विधि बताई है. अब घर या खेत में चंदन का पेड़ लगाने के बारे में बताते हैं. चंदन के पेड़ लगाने के लिए 3*3 से. मी. गहरा गड्ढा खोदें. रोपाई के समय इस गड्ढे में मिट्टी के साथ रेत और कार्बनिक पदार्थों से भरी खाद मिलाकर पौधे के चारों ओर भरें और हल्का पानी डालें. इस पौधे के साथ अरहर का पौधा लगाना ना भूलें. शुरुआत के 3-4 सालों में चंदन के पौधे की खास देखभाल करने की जरूरत होती है. ध्यान रहे पौधे मिट्टी को सूखने नहीं देना है इसके साथ ही अधिक जल भराव करने से भी बचें. पौधे के आसपास अनावश्यक रूप से उग रहे घास-फूस की सफाई करते रहें.
जब पौधा बढ़ने लगे तो एक बांस गाड़ कर इसे सहारा दें ताकि पौधा सीधा बढ़ता रहे. चंदन के पौधे को तैयार होने में लगभग 30-40 सालों का समय लगता है तब इससे सुगंध आती है. चंदन की सुगंध आने के बाद ये पौधा बेंच सकते हैं जिसकी कीमत लाखों में हो सकती है.
आपको बता दें कि पौधा तैयार होने के बाद इससे तेल निकाला जाता है जो बेशकीमती होता है. इस तेल का उपयोग अगरबत्ती, इत्र और कई महंगे कॉस्मेटिक आइटम बनाने में किया जाता है. आप भी चंदन का पेड़ लगाना चाहते हैं तो केंद्रीय हाईटेक नर्सरी हसदो वनमंडल मनेन्द्रगढ़ (छत्तीसगढ़) से पौध खरीद सकते हैं. प्रति पौध की कीमत 30 रुपये बताई गई है.
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