एवोकाडो, जिसे 'बटर फ्रूट' भी कहा जाता है, अब भारतीय किसानों के लिए एक नया मौका बनता जा रहा है. यह विदेशी फल न केवल स्वाद में बेहतरीन है, बल्कि सेहत के लिहाज़ से भी सुपरफूड की श्रेणी में आता है. यही वजह है कि अब देशभर के किसान इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं. अब यह विदेशी फल भारत के किसानों के लिए मुनाफे की गारंटी बन चुका है. दिलचस्प बात है कि भारत में एवोकाडो को आए हुए एक सदी से ज्यादा का समय हो गया है लेकिन इसने अब जाकर अपनी जड़ें जमाई हैं.
भारत में एवोकाडो की शुरुआत 1906 से 1914 के बीच बेंगलुरु में मानी जाती है. बाद में अमेरिकी मिशनरियों ने भी इसके प्रचार-प्रसार में योगदान दिया. समय के साथ यह फल दक्षिण भारत के कई इलाकों में लोकप्रिय होता चला गया. आज कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, कूर्ग, नीलगिरी, कोडाइकनाल और सिक्किम जैसे राज्यों में एवोकाडो की कई किस्मों की खेती हो रही है. इसकी बढ़ती बाजार मांग और हेल्थ बेनिफिट्स ने इसे किसानों के लिए एक फायदेमंद विकल्प बना दिया है.
एवोकाडो की खेती में ‘अर्का सुप्रीम’ और ‘अर्का रवि’ जैसी किस्में किसानों के लिए गेमचेंजर साबित हो रही हैं. ‘अर्का सुप्रीम’ किस्म को 2020 में चेहल्ली स्थित केंद्रीय बागवानी अनुसंधान केंद्र (IIHR) ने विकसित किया. इसके एक पेड़ से 175-200 किलो तक फल मिलते हैं. वहीं, ‘अर्का रवि’ किस्म का एक फल 450-600 ग्राम तक का होता है और प्रति पेड़ 150-200 किलो फल मिलते हैं.
एवोकाडो की खेती बीज से की जाती है, लेकिन इसके बीज सिर्फ 2-3 हफ्तों तक ही जीवित रहते हैं, इसलिए तुरंत बोना जरूरी होता है. यह एक लंबी चलने वाली फसल है, जो 4-5 साल में फल देना शुरू करती है. ज्यादा गर्मी इसके लिए अनुकूल नहीं होती एवोकाडो की खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार भी मदद कर रही है. 'एकीकृत बागवानी विकास मिशन' (MIDH) के तहत किसानों को प्रति हेक्टेयर लगभग 4 लाख रुपये तक की सब्सिडी मिल सकती है.
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