लोगों को लगता है कि हरियाणा में किसान सिर्फ गेहूं और धान की ही खेती करते हैं, लेकिन ऐसी बात नहीं है. यहां के अंबाला जिले में किसान बड़े स्तर पर सूरजमुखी की भी खेती करते हैं. हालांकि, पिछले साल सूरजमुखी उत्पादक किसानों को लागत के मुकाबले उतना अधिक लाभ नहीं हुआ था. इसके बावजूद भी इस बार इसके रकबे में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. कृषि विभाग के अनुसार, अंबाला में 13,600 एकड़ से अधिक भूमि पर सूरजमुखी की बुवाई की गई है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 10,700 एकड़ था. अभी सूरजमुखी के बीज का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 6,760 रुपये प्रति क्विंटल है. ऐसे में किसानों को बंपर कमाई करने की उम्मीद है.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल सरकार द्वारा भावांतर भरपाई योजना के तहत फसल को कवर करने के बाद सूरजमुखी किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य पाने के लिए कई विरोध प्रदर्शनों का सहारा लेना पड़ा था. बाद में बार-बार हुई बारिश से भी बड़ी मात्रा में सूरजमुखी के बीज खराब हो गए थे. कृषि विभाग के एक अधिकारी का मानना है कि चूंकि सूरजमुखी एक छोटी अवधि की फसल है. इससे किसानों को धान बोने से पहले एक अतिरिक्त फसल लेने का मौका मिलता है और तिलहनों में किसानों की बढ़ती रुचि के पीछे यही मुख्य कारण है.
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तिलहन उत्पादक मनप्रीत सिंह ने कहा कि मैं धान, तोरिया और सूरजमुखी की खेती करता हूं. जबकि पहले मैं केवल धान और गेहूं उगाता था. अपनी तोरिया तिलहन की फसल बेचने के बाद मैंने पांच एकड़ में सूरजमुखी की बुआई की है. पिछले साल एमएसपी पर फसल की खरीद नहीं हुई थी और मुझे करीब 45,000 रुपये का नुकसान हुआ था. मुझे उम्मीद है कि सरकार इस साल एमएसपी पर बीज खरीदेगी. एक अन्य किसान सुरजीत सिंह ने कहा कि मैंने पांच एकड़ में सूरजमुखी बोया है और अगर मौसम अनुकूल रहा, तो मुझे 40-45 क्विंटल सूरजमुखी के बीज काटने और कुछ अच्छा मार्जिन कमाने की उम्मीद है.
किसान ने कहा कि सूरजमुखी एक संवेदनशील फसल है और कटाई के बाद भी इसकी सुरक्षा की जाती है. ऐसे में सरकार को अनाज मंडियों में समय पर खरीद सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि जून में असामयिक बारिश के कारण किसानों को नुकसान न उठाना पड़े. पिछले साल, मेरे एक दोस्त ने बारिश के कारण अनाज मंडी में फसल बह जाने के कारण कई क्विंटल सूरजमुखी के बीज खो दिए थे. भारतीय किसान यूनियन (चारुनी) के प्रवक्ता राकेश बैंस ने कहा कि क्षेत्र में किसान सरसों, तोरिया और सूरजमुखी सहित तिलहनों में रुचि दिखा रहे हैं. सरकार का दावा है कि वह एमएसपी पर फसल खरीदती है और उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसानों को कोई नुकसान न हो.
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पिछले साल, जबकि एमएसपी 6,400 रुपये प्रति क्विंटल था. तब भी फसल एमएसपी से नीचे बेची गई थी. इस बीच, अंबाला के कृषि उपनिदेशक डॉ. जसविंदर सैनी ने कहा कि जिले में किसान तिलहनी फसलों में अच्छी रुचि दिखा रहे हैं. जहां पिछले साल 10,700 एकड़ जमीन पर सूरजमुखी की खेती हुई थी, वहीं इस साल 13,617 एकड़ जमीन पर तिलहन की खेती हुई है. चूंकि यह कम अवधि की किस्म है, तोरिया और आलू जैसी फसलों की कटाई के बाद, किसान सूरजमुखी और धान उगाते हैं.
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