हरियाणा में गन्ना किसानों के सामने एक और बड़ा संकट, जानिए क्या है पूरा मामला

हरियाणा में गन्ना किसानों के सामने एक और बड़ा संकट, जानिए क्या है पूरा मामला

हरियाणा के किसान गन्ने की पेराई में देरी से परेशान हैं. किसानों का कहना है कि गन्ने की पेराई नहीं होने से वो गेहूं की बुवाई समय से नहीं कर पा रहे हैं. बता दें कि 2022 में चीनी मिलों ने गन्ना पेराई सत्र 15 नवंबर को शुरू किया था, जबकि पिछले साल बाढ़ के कारण पेराई सीजन थोड़ा लेट हुआ और 23 नवंबर से शुरू हुआ था.

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हरियाणा में गन्ना किसानों के सामने एक और बड़ा संकट, जानिए क्या है पूरा मामलागन्ने की पेराई

हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के शाहाबाद सहकारी चीनी मिल में गन्ना पेराई सत्र अभी शुरू नहीं हुआ है. ऐसे में गन्ने के बाद गेहूं की बुवाई करने वाले किसानों ने चिंता जताई है. गन्ना किसानों का कहना है कि नवंबर के पहले सप्ताह में मिलों को चालू कर देना चाहिए, ताकि उन्हें गेहूं की फसल के लिए खेत तैयार करने का पर्याप्त समय मिल सके. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार गेहूं की बुवाई के लिए 10 से 25 नवंबर तक का समय सबसे उपयुक्त होता है.

बता दें कि 2022 में चीनी मिलों ने गन्ना पेराई सत्र 15 नवंबर को शुरू किया था, जबकि पिछले साल बाढ़ के कारण पेराई सीजन थोड़ा लेट हुआ और 23 नवंबर से शुरू हुआ था. वहीं, इस साल भी 15 नवंबर से गन्ना पेराई शुरू होने को कहा गया था, जो अभी फिलहाल शुरू नहीं हुआ है.

जल्द पेराई शुरू करने की मांग 

गन्ना किसान हरकेश खानपुर ने कहा कि इस साल गन्ने की फसल पर टॉप बोरर, पोक्का बोंग और रूट बोरर जैसे कीटों का हमला हुआ है, जिसमें कीटनाशकों और दूसरी दवाओं पर बहुत पैसा खर्च हुआ है, लेकिन नतीजे अच्छे नहीं आए हैं. उत्पादन लागत तो बढ़ी ही है, लेकिन पैदावार कम हुई है. उन्होंने बताया कि दवाएं भी समय पर नहीं मिल पाईं. चीनी मिलों को जल्दी पेराई का काम शुरू कर देना चाहिए, ताकि किसान समय रहते खेत खाली कर सकें, पैसे कमा सकें और गेहूं की फसल बो सकें. गेहूं की देरी से बुआई होने पर पैदावार भी कम होगी.

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गन्ने के रकबे में आ रही है कमी

खरींडवा गांव के किसान रामचरण ने बताया कि गन्ना की फसल कटाई के लिए तैयार है. इस साल उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा है क्योंकि बार-बार छिड़काव की वजह से अतिरिक्त बोझ पड़ा है. उन्होंने कहा कि अधिक लागत, कम मजदूरी और कम लाभकारी मूल्य के कारण किसानों ने इस क्षेत्र में गन्ने की फसल के रकबे को कम करना शुरू कर दिया है. पहले वो 12-13 एकड़ में गन्ना उगाते थे, लेकिन इस साल इसे घटाकर उन्होंने 10 एकड़ कर दिया है. उन्होंने कहा कि वो इसे और कम करने और दूसरी फसलें बोने की योजना बना रहे हैं.

समय पर पेराई शुरू करें मिलें

बीकेयू (चढ़ूनी) के प्रवक्ता राकेश बैंस ने कहा कि गन्ने का रकबा घट रहा है और पैदावार भी कम है. गन्ना काटने के बाद किसान गेहूं की बुवाई करते हैं जिसके लिए उन्हें पैसे की जरूरत होती है. कटाई में देरी से गेहूं की बुवाई के लिए समय कम बचेगा. वहीं, अन्य जिलों में मिलों ने गन्ना पेराई का काम करना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि चीनी मिलों के अधिकारियों के समक्ष यह मामला उठाया है और मांग किया है कि मिलें समय पर पेराई करना शुरू करें.

26 नवंबर से शुरू होगी पेराई

इस बीच शाहाबाद सहकारी चीनी मिल के प्रबंध निदेशक वीरेंद्र चौधरी ने कहा कि फसल में गिरावट देखी जा रही है और गन्ना भी अभी पूरी तरह से पक नहीं पाया है. साथ ही बीमारियों की भी खबरें हैं, लेकिन कुल मिलाकर स्थिति अच्छी है. इस सीजन में 62 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई का लक्ष्य रखा गया है. सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं और 26 नवंबर के आसपास मिलें चालू हो जाएंगी.

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