हरियाणा के करनाल में इन दिनों पड़ रही भयंकर सर्दी से जहां लोगों की दिनचर्या प्रभावित हुई हैं, वहीं धुंध और ठंड गेहूं की फसल के लिए वरदान साबित हो रही है. भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिकों की मानें तो अगर इस वक्त बरसात हो जाए तो गेहूं की फसल की बल्ले-बल्ले हो जाएगी. बारिश और ठंड से गेहूं के बंपर पैदावार होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. बता दें कि इस बार भारत सरकार ने 114 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है.
अगर मौसम ठीक रहा और तापमान में बहुत बड़ी तब्दीली नहीं देखी गई, तो सरकार का लक्ष्य आसानी से हासिल किया जा सकेगा. अभी का मौसम गेहूं के लिए सही है और इससे पैदावार बढ़ाने में मदद मिलेगी. इसके बारे में एक्सपर्ट लगातार जानकारी दे रहे हैं.
गेहूं की बुवाई लगभग पूरी हो चुकी है. अभी तक फसल की स्थिति बहुत अच्छी है. वहीं जिले में बीते 15 दिनों से कोहरा और ठंड बनी हुई है, जो फसल के लिए काफी लाभदायक है. संस्थान के वैज्ञानिकों ने गेहूं उत्पादकों के लिए एडवाइजरी जारी की है. एडवाइजरी में कहा गया है कि किसान उन सलाहों पर नजर बनाए रखें. साथ ही फसलों के लिए जो जरूरी है उन्हें लागू करें. इसके अलावा फसलों में अनाश्वक रूप से एग्री केमिकल्स का प्रयोग न करें. फसल पर लगातार निगरानी रखें. जो कृषि विभाग, संस्थान और विशेषज्ञ सलाह देते हैं, उनको अमल में लाएं. वहीं ऐसा माना जा रहा है कि अभी तक गेहूं की फसल बहुत अच्छी है.
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गेहूं के बारे में कहा जाता है कि जिस प्रकार हम सभी वातावरण में परिवर्तन महसूस करते हैं वैसे ही पौधे भी परिवर्तन महसूस करते है. पौधे अपने आपको उसी के अनुरूप ढाल लेते हैं. गेहूं के साथ भी कुछ ऐसी ही बात है. हालांकि इसमें एक बात का ध्यान रखना होगा कि अधिक ठंड न इंसानों के लिए सही है, और न ही फसलों के लिए. अभी जितनी ठंड है, उससे गेहूं का फायदा है.
भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल के वैज्ञानिकों ने कहा कि भारत सरकार इस बार 114 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य रखा है. साथ ही जौ का क्षेत्रफल 3 दशकों में कम हुआ है. उसका क्षेत्रफल बढ़ाने का एक रोडमैप तैयार किया गया है. आने वाले 5 सालों में जौ के क्षेत्रफल में करीब डेढ़ मिलियन हेक्टेयर तक इजाफा करना है. इसी दिशा में संस्थान प्रयासरत है. किसानों को सलाह है कि गेहूं की फसल पर निगरानी रखें.
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