scorecardresearch
Green Fodder Price: महाराष्ट्र में सूखे ने बढ़ाई हरे चारे की समस्या, दोगुना हो गया दाम

Green Fodder Price: महाराष्ट्र में सूखे ने बढ़ाई हरे चारे की समस्या, दोगुना हो गया दाम

सोलापुर के पंढरपुर लमें हर सुबह हरे चारे का एक बड़ा बाजार लगता है, जहां फिलहाल इसकी कीमत आसमान पर है. वजह है मॉनसून की बेरुखी. सूखा अभी खत्म नहीं हुआ तो चारे का दाम और बढ़ सकता है. इस समस्या के बीच जानिए सरकार से क्या मांग कर रहे हैं पशुपालक?

advertisement
  चारे का दाम और बढ़ सकता है पशुपालक हुए परेशान चारे का दाम और बढ़ सकता है पशुपालक हुए परेशान

सूखे की वजह से महाराष्ट्र के किसान ही नहीं पशुपालक भी परेशान हैं. हरे चारे की कीमत पिछले साल के मुकाबले दोगुनी हो गई है. जबकि दूध की कोई कीमत नहीं मिल रही है. पशु आहार और दवाईयों का दाम पहले से ही काफी बढ़ा हुआ है. ऐसे में पशुपालकों के सामने एक बड़ा सवाल यह है कि पशुधन को कैसे पाला जाए. महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर लोग पशुपालन करते हैं. कुछ जगहों पर लोग लंपी तो कुछ जगहों पर सूखे की वजह से हो रहे चारा संकट से परेशान हैं. पिछले साल जिस हरे चारे की कीमत 2,000 से 2500 रुपये प्रति टन थी, अब उसका भाव 5,000 रुपये प्रति टन पर पहुंच गई है. 

वर्तमान में, मक्के की फसल है. इसलिए चारे की कीमतें अभी भी सीमित हैं, लेकिन धीरे-धीरे यह खत्म होगा तो दाम 5000 रुपये प्रति टन से अधिक हो जाएगा. उधर, मराठवाड़ा में इतना सूखा पड़ा है कि पशुओं के पीने के पानी के अधिकांश स्रोत सूख गए हैं. सोलापुर के पंढरपुर लमें हर सुबह हरे चारे का एक बड़ा बाजार लगता है, जहां फिलहाल इसकी कीमत आसमान पर है. वजह है मॉनसून की बेरुखी. सूखा अभी खत्म नहीं हुआ तो चारे का दाम और बढ़ सकता है. 

ये भी पढ़ें-  Coriander Price: टमाटर ही नहीं धन‍िया का दाम भी आसमान पर, अच्छी कमाई से खुश हैं क‍िसान 

क्या मांग कर रहे हैं पशुपालक?

पशुपालक सरकार से चारा उपलब्ध करवाने और दूध का दाम बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. लेकिन, डेयरी कंपनियां अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रही हैं. पशुपालकों को 30 से 34 रुपये प्रति लीटर का दाम मिल रहा है जबकि उपभोक्ताओं को 60 रुपये से ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है. पशुपालकों का कहना है कि जिस गति से पिछले दो साल से पशु आहार और सूखे-हरे चारे की कीमत बढ़ी है उस गति से दूध का दाम नहीं बढ़ा. ऐसे में पशुपालन करना कठिन हो रहा है. ऊपर से प्रकृति की मार अलग पड़ रही है. 

गन्ने की खराब फसल का चारे के तौर पर इस्तेमाल

सोलापुर क्षेत्र में बारिश की कमी के कारण खेत में खड़ा गन्ना हुमणी रोग से ग्रसित होने लगा है. पानी के अभाव में गन्ना सूखने लगता है. इसके समाधान के तौर पर किसानों ने हरे चारे के रूप में खेतों से ऐसागन्ना लाना शुरू कर दिया है कि अगर फसल खराब हो गई तो उसका कहीं तो इस्तेमाल हो. इन समस्याओं के बीच पशुपालक सरकार से पूछ रहे हैं कि ऐसी कठिन परिस्थिति में मवेशी बेचकर गुजारा करें या फिर कुछ आर्थिक मदद मिलेगी?  अगर सरकार इन बेजुबानों पर दया कर तुरंत चारा उपलब्ध करवा दी तो इन मवेशियों को बचाया जा सकेगा. अन्यथा कुछ दिनों में चारे के अभाव में स्थिति काफी भयावह हो जाएगी.

ये भी पढ़ें- Tomato Price: क‍िसानों ने सड़क पर फेंका टमाटर, खेत से मंडी तक ले जाने का खर्च तक न‍िकालना मुश्क‍िल