मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2017 में सत्ता संभालने के बाद गोवंश संरक्षण को अपनी सरकार की प्राथमिकता में सबसे ऊपर स्थान दिया है. योगी स्वयं गोपालक हैं और गोवंश से उनका लगाव जगजाहिर है. पिछले आठ वर्षों में गो-संरक्षण की दिशा में किए गए उनके प्रयासों ने प्रदेश को एक नई पहचान दी है. राज्य में 7713 गोआश्रय स्थलों की स्थापना करते हुए 16,09,557 बेसहारा गोवंश को संरक्षित किया गया है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत 2,37,369 गोवंश इच्छुक किसानों और पशुपालकों को सौंपे गए, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बल मिला है.
पूरे देश में योगी सरकार के गो-संरक्षण मॉडल की चर्चा हो रही है. सबका साथ, सबका विकास के मंत्र के साथ कार्य कर रही प्रदेश की योगी सरकार में पशुओं को लेकर भी अत्यधिक संवेदनशीलता देखने को मिली है. गोवंश संरक्षण के साथ ही इनके स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने व्यापक टीकाकरण अभियान चलाया है. इसके अंतर्गत कुल 14 करोड़ 50 लाख पशुओं का टीकाकरण किया गया, जिसमें लंपी रोग से बचाव के लिए 1 करोड़ 92 लाख पशुओं को वैक्सीन दी गई.
इसके अतिरिक्त, निःशुल्क पशु चिकित्सा सहायता के लिए टोल-फ्री नंबर 1962 प्रभावी रूप से कार्य कर रहा है. यह पहल पशुपालकों के लिए वरदान साबित हुई है, जिससे उनके पशुधन की सुरक्षा और उत्पादकता में वृद्धि हुई है.
गोवंश के लिए समर्पित योगी सरकार ने समाज को भी इस अभियान का हिस्सा बनाते हुए कई प्रोत्साहन योजनाएं चला रही है. इसी के तहत मुख्यमंत्री प्रगतिशील पशुपालक प्रोत्साहन योजना और स्वदेशी गौवंश संवर्धन योजना ने पशुपालकों को नई राह दिखाई है. वहीं नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के तहत डेयरी स्थापना के लिए योगी सरकार 50 प्रतिशत का अनुदान दे रही है.
साथ ही, डीबीटी के माध्यम से गोआश्रय स्थलों को प्रति गोवंश 50 रुपये प्रतिदिन की दर से 1500 रुपए मासिक धनराशि हस्तांतरित की जा रही है. इन योजनाओं से पशुपालक परिवारों की आय में वृद्धि हुई और ग्रामीण आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिला है. योगी सरकार के ये प्रयास गोवंश संरक्षण और दुग्ध उद्योग के विकास में एक सुनहरे अध्याय की शुरुआत हैं.
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