3 प्लांट से 17 करोड़ बोतल नैनो यूरिया उत्पादन की तैयारी, विदेशी आयात घटेगा और किसानों का खर्च कम होगा 

3 प्लांट से 17 करोड़ बोतल नैनो यूरिया उत्पादन की तैयारी, विदेशी आयात घटेगा और किसानों का खर्च कम होगा 

सरकार ने कहा है कि नैनो यूरिया के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए 3 प्लांट स्थापित किए गए हैं, जो 17 करोड़ बोतल का उत्पादन करेंगे. नैनो यूरिया के इस्तेमाल से किसान की लागत में कटौती होगी.

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3 प्लांट से 17 करोड़ बोतल नैनो यूरिया उत्पादन की तैयारी, विदेशी आयात घटेगा और किसानों का खर्च कम होगा 3 प्लांट से 17 करोड़ बोतल नैनो यूरिया उत्पादन की तैयारी.

फसलों में उर्वरकों के इस्तेमाल में आ रही तेजी के कारण सरकार की विदेशी खरीद बढ़ रही है. जबकि, विदेश से आने वाली डीएपी की कीमत में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है, जिसके कारण किसानों पर अधिक दाम चुकाने का बोझ बढ़ रहा है. उर्वरक खरीद पर विदेशी निर्भरता शून्य करने की दिशा में सरकार ने तेजी से प्रयास किए हैं, ताकि किसानों पर महंगी डीएपी, यूरिया खरीद का खर्च घटकर न्यूनतम हो जाए. इसी कड़ी में सरकार ने लोकसभा में बताया है कि स्वदेशी नैनो यूरिया को बढ़ावा देने के लिए 3 प्लांट स्थापित किए गए हैं, जो 17 करोड़ बोतल उत्पादन करेंगे. 

नैनो यूरिया उत्पादन के लिए 3 प्लांट 

केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने 19 दिसंबर को संसद में सवाल का लिखित जवाब देते हुए कहा कि देश में 3 नैनो यूरिया प्लांट स्थापित किए हैं. उन्होंने बताया कि इफको ने गुजरात के कलोल और उत्तर प्रदेश के फूलपुर और आंवला में 3 नैनो यूरिया प्लांट लगाए गए हैं. इन तीनों नैनो यूरिय प्लांट की कुल उत्पादन क्षमता 17 करोड़ बोतल (500 मिलीलीटर) प्रति वर्ष है. उन्होंने कहा कि नैनो साइंस एंड रिसर्च सेंटर ने गुजरात के आनंद में 4.5 करोड़ बोतल प्रति वर्ष की क्षमता वाले अपने नैनो यूरिया प्लांट के कमर्शियल प्रोडक्शन की भी घोषणा की है.

लागत घटाने में मददगार होगी 

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अनुसंधान संस्थानों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के जरिए विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों में धान, गेहूं, सरसों, मक्का, टमाटर, गोभी, ककड़ी, शिमला मिर्च और प्याज जैसी फसलों पर नैनो यूरिया परीक्षणों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि नैनो यूरिया का उपयोग सामान्य यूरिया के स्थान पर स्प्रे के रूप में किया जा सकता है. ऐसी स्थिति में विदेश से उर्वरक आयात बंद हो जाएगा और किसानों पर लगातार महंगे उर्वरक का बोझ घट जाएगा. 

उर्वरक की कीमतों में उछाल 

डीएपी यानी डी-अमोनियम फॉस्फेट की वैश्विक कीमतें जुलाई में 440 डॉलर प्रति टन से बढ़कर अब 590 डॉलर प्रति टन हो गई हैं. उर्वरक कंपनियों का कहना है कि वर्तमान खुदरा मूल्य को बनाए रखने के लिए फॉस्फोरस में सब्सिडी स्तर को बढ़ाने की जरूरत है. खाद में फास्फोरस का इस्तेमाल किया जाता है. फास्फोरस पौधों में पोषक तत्व देने तथा पौधों की बेहतर ग्रोथ में मदद करता है. रबी 2023 सीजन के लिए डीएपी 1,350 रुपये प्रति 50 किलोग्राम बैग बिक रही है. सरकार ने फॉस्फोरस पर सब्सिडी पिछले रबी सीजन में 66.93 रुपये किलोग्राम से घटाकर 20.82 रुपये किग्रा और खरीफ 2023 में 41.03 रुपये किलोग्राम कर दी थी.

यूरिया की बिक्री 8 फीसदी बढ़ी 

वित्त वर्ष 2022-23 के अप्रैल-अक्टूबर के दौरान यूरिया की बिक्री 8 प्रतिशत बढ़कर 207.63 लाख टन हो गई, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 192.61 लाख टन थी. बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FAI) के अध्यक्ष एन सुरेश कृष्णन ने कहा कि नॉन यूरिया फर्टिलाइजर में वैश्विक स्तर पर डीएपी की कीमत सबसे अधिक है. जबकि, भारत में यह एमओपी और कॉम्प्लेक्स से कम है. उन्होंने सुझाव दिया कि इसे नीतिगत बदलावों के साथ एड्रेस किया जाना चाहिए.

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