देश में किसानों की इनकम पहले के मुकाबले बढ़ जाएगी, क्योंकि केंद्र सरकार किसान उत्पादक संगठनों (FPO) के लिए राष्ट्रीय नीति बना रही है. इस नीति को अब अंतिम रूप दिया जा रहा है. खास बात यह है कि राष्ट्रीय नीति की मदद से सरकार एफपीओ इको-सिस्टम से निकलने वाले उत्पादों के लिए एक राष्ट्रीय ब्रांड भी बनाना चाहती है. इसके लिए वह एक्सपर्ट के साथ चर्चा भी कर रही है. वहीं, कृषि मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव फैज अहमद किदवई ने भी इसकी पुष्टी की है. उन्होंने कहा है कि हम एफपीओ के लिए राष्ट्रीय ब्रांड बनाने के बारे में सोच रहे हैं, ताकि एफपीओ उत्पादों की क्वालिटी को दुनिया के सामने प्रदर्शित किया जा सके.
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव फैज अहमद किदवई ने मंगलवार को हैदराबाद में आयोजित चौथे समुन्नति एफपीओ कॉन्क्लेव को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि हम एफपीओ के लिए एक ऐसा राष्ट्रीय ब्रांड बनाना चाहते हैं, जिनके माध्यम से आप उपभोक्ताओं से डायरेक्ट जुड़ सकें. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि एफपीओ अपने उत्पादों को विदेशी मार्केट में उतारें. इसके लिए वह पूरी तरह से मदद करने को तैयार है.
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किदवई ने कहा कि इस साल के अंत तक एक राष्ट्रीय एफपीओ कॉन्क्लेव की योजना बन कर तैयार हो जाएगी. इसके बाद एफपीओ नीति और राष्ट्रीय ब्रांड का अनावरण किया जाएगा. किदवई ने कहा कि साल 2020 में केंद्र सराकर ने 10,000 एफपीओ बनाने के लक्ष्य के साथ काम शुरू किया था. लेकिन सरकार अब तक सरकारी कार्यक्रम के तहत करीब 9,000 एफपीओ बनाने में सफलता पाई है. खास बात यह है कि इनसे करीब 20 लाख किसान जुड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि हमने इन एफपीओ को 210 करोड़ रुपये से अधिक इक्विटी दी है. साथ ही 400 करोड़ रुपये से अधिक क्रेडिट गारंटी के रूप में दिए गए हैं.
किदवई ने कहा कि अगले दो वर्षों में हम 10,000 एफपीओ बनाने के लक्ष्य को पूरा कर लेंगे. साथ ही इन एफपीओ के तहत 50 लाख किसानों तक पहुंच भी बनानी है. उन्होंने कहा कि अगले 2-3 वर्षों में इक्विटी निवेश को बढ़ाकर 800 करोड़ रुपये से अधिक किया जाएगा. इसके अलावा, सरकार से कई मापदंडों पर एफपीओ को ग्रेड करने के लिए एक टूल लाने की उम्मीद है. किदवई ने कहा कि एसएफएसी (द स्मॉल फार्मर्स एग्रीबिजनेस कंसोर्टियम) ने एफपीओ को ग्रेड करने के लिए दिशा-निर्देश भी बनाए हैं. खास बात यह है कि क्रिसिल के साथ मिलकर ये दिशा-निर्देश बनाए गए हैं. जबकि नाबार्ड ने भी दिशा-निर्देश बनाए हैं. उन्होंने कहा कि मैं तीनों को मिलाकर एफपीओ के लिए एक समान ग्रेडिंग टूल लाने की कोशिश कर रहा हूं.
उन्होंने कहा कि एफपीओ के लिए फाइनेंशियल पहुंच आसान बनाने के लिए कृषि मंत्रालय, वित्त मंत्रालय के साथ बातचीत कर रहा है. किदवई ने कहा कि एफपीओ के लिए पूंजी की लागत अभी भी अधिक है. लेकिन हम इसे कम करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि समुन्नति के संस्थापक और सीईओ एसजी अनिल कुमार ने कहा कि नाबार्ड ने हमारी सोच को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उनके मुताबिक, अनिल कुमार ने भविष्यवाणी की कि अगले दो वर्षों में 100 करोड़ से अधिक के टर्नओवर वाले लगभग 100 एफपीओ खुल जाएंगे.
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