UP Framers News: गर्मी का मौसम आ गया है. खेत में नई फसलों की बुवाई का समय है. दरअसल, कुछ किसान जानकारी के अभाव में कृषि की बुवाई सही से नहीं कर पाते, जिससे उन्हें फसल के नुकसान सहित कम आमदनी का भी सामना करना पड़ता है. लेकिन अब इससे किसानों को छुटकारा मिलेगा. बागपत के कृषि विज्ञान केंद्र के डॉक्टर किसानों को निशुल्क इसका प्रशिक्षण दे रहे हैं.
कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर अमित कुमार ने किसान तक से बातचीत में बताया कि प्रत्येक फसल की बुवाई का तरीका अलग होता है. बुवाई करते समय मानकों का ध्यान रखते हुए बुवाई करने से फसल की पैदावार अच्छी होती है, लेकिन कुछ किसानों को जानकारी के अभाव में गलत तरीके से फसल की बुवाई करते हैं. जिससे उनकी निकासी कम होती है और आमदनी भी कम हो जाती है. ऐसे में किसानों को महत्वपूर्ण जानकारी लेने के बाद ही फसल की बुवाई करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि किसान 20 अप्रैल से खाली पड़े खेतों में इनकी बुवाई शुरू कर दें, तो इससे कम लागत में ज्यादा मुनाफा मिल सकेगा.
अगर किसी भी किसान को किसी भी तरह की फसल बुवाई से संबंधित समस्या आती है, तो वह कृषि विज्ञान केंद्र पर पहुंचकर निशुल्क प्रशिक्षण ले सकता है. वहीं कृषि वैज्ञानिकों के नंबर पर भी फोन कर पूरी जानकारी प्राप्त कर सकता है. कृषि विज्ञान केंद्र की टीम किसान के खेत में जाकर भी किसान को प्रशिक्षण देती है, जिससे किसानों की आय बढ़ती है और किसान की फसल की निकासी भी बहुत अच्छी होती है. उन्होंने बताया कि रबी फसल की कटाई शुरू हो गई है. ऐसे में किसान अपने खाली पड़े खेतों का उपयोग करें. केवीके के कृषि वैज्ञानिक कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर अमित कुमार की मानें, तो फसल कटते ही गरमा मूंग या मौसमी सब्जियों की खेती करें. इसके साथ ही पटुवा की खेती भी कर सकते हैं. इससे किसानों को अधिक लाभ होगा.
बागपत में तैनात कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर अमित कुमार ने बताया कि किसान अपनी मिट्टी की जांच भी कृषि विज्ञान केंद्र पर निशुल्क कर सकते हैं. किसी भी प्रकार की कृषि संबंधित सलाह के लिए वह निशुल्क फोन पर संपर्क कर और कृषि विज्ञान केंद्र में आकर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकता है. सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं. कृषि विज्ञान केंद्र की तरफ से किसानों को अनेक प्रकार की योजनाएं चलाई जा रहीं हैं, जिनसे किसान लाभान्वित हो रहे हैं.
कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर अमित कुमार ने बताया कि मूंग दलहनी फसल है, जो बेहद उपयोगी होती है. यह सुपाच्य होती है और प्रोटीन से भरपूर भी. इसका प्रयोग सभी वर्ग के लोग बेफिक्र होकर कर सकते हैं. जब इसका उत्पादन ले लें, तो इसे हरे चारे के रूप में मवेशी पालकों को बेचा भी जा सकता है. 60 से 80 दिन में इसकी फसल पूरी तरह तैयार हो जाती है.
डॉक्टर अमित कुमार ने कहा कि मूंग कई लोगों के लिए रोजगार का साधन भी बन सकती है. जैसे- मूंग दाल की उपज ले करके लोग दलिया, मिठाई, हलवा और नमकीन सहित कई अन्य चीजें बना करके रोजगार की व्यवस्था कर सकते हैं.
फसलों में कीट और रोग का खतरा बना रहता है. ऐसे में समय रहते इसका प्रबंधन कर लेने से किसान अपने फसलों को नुकसान होने से बचा सकते हैं. फसलों में रोगों की पहचान करें, फिर इसके अनुसार इसमें उपरोक्त कीट नाशकों का छिड़काव करें. अलग-अलग रोगों के लिए अलग-अलग दवा का छिड़काव किया जाता है. ऐसे में इसके लिए फसलों के चिकित्सक से संपर्क करें.
Copyright©2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today