
केंद्र सरकार ने जेनेटिकली मॉडीफाइड धारा मस्टर्ड हाइब्रिड (डीएमएच-11) यानी जीएम सरसों को स्वीकृति दी है. अब इसकी बुवाई (फील्ड ट्रायल) को लेकर इस सप्ताह फैसला आना है, क्योंकि सुप्रीमकोर्ट में चल रहे इसके बुवाई संबंधी मामले की सुनवाई इस सप्ताह होने की संभावना है. बीती कुछ सुनवाई नहीं हो सकी हैं. जबकि, सरसों बुवाई का समय निकला जा रहा है. ऐसे में जानकार अनुमान लगा रहे हैं कि कोर्ट इस सप्ताह इसकी बुवाई पर फैसला दे सकता है.
सरसों की दो किस्म को मिलाकर जीएम सरसों धारा मस्टर्ड हाइब्रिड (डीएमएच-11) को बनाया गया है. अन्य फसलों के साथ संशोधन प्रक्रिया आसान होती है, लेकिन सरसों के मामले में यह नया प्रयोग है. जीएम सरसों पर विवाद की वजह इसके वजन मानक पर सटीक नहीं बैठने को माना जा रहा है. बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार जीएम सरसों का वजन प्रति 1,000 बीजों पर लगभग 3.5 ग्राम है, जो कि संकर बीज किस्म के रूप में पात्र 4.5 ग्राम के मानक से कम है. विशेषज्ञों ने कहा कि सरसों के बीज का वजन कम होने से मशीन से कटाई करने पर उपज में कमी आती है और मजदूरों की समस्या के कारण मैन्युअल कटाई कम हो जाती है.वहीं, इसके मधुमक्खियों के लिए अनुकूल नहीं होना भी एक वजह रही है.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के 2022-23 सीजन में छह अलग-अलग स्थानों पर क्षेत्रीय परीक्षणों में इसकी उपज और तेल सामग्री के दावों में कोई विसंगति नहीं पाई गई है. परीक्षण के अनुसार डीएमएच 11 में लगभग 26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज और 40 प्रतिशत तेल सामग्री है.
जेनेटिकली मॉडीफाइड (GM) धारा मस्टर्ड हाइब्रिड (डीएमएच-11) फसल का मामला सुप्रीमकोर्ट में चल रहा है. सुप्रीम कोर्ट 7 नवंबर समेत पिछली कुछ तारीख पर सुनवाई नहीं कर सका है. मामले की सुनवाई इस सप्ताह होने का अनुमान है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि जीएम सरसों के फील्ड ट्रायल की अनुमति दी जा सकती है. कुछ कृषि विशेषज्ञों ने कहा है कि ट्रायल की अनुमति दी जानी चाहिए.
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कृषि मंत्रालय के अनुसार 10 नवंबर तक सरसों बुवाई का रकबा 57.16 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है. जबकि, पिछले साल की समान अवधि में 56.87 लाख हेक्टेयर रकबा दर्ज किया गया था. सरसों की लगभग 90 प्रतिशत बुआई पूरी हो चुकी है. 21 नवंबर के बाद जीएम सरसों धारा मस्टर्ड हाइब्रिड की बुवाई की जाती है तो उपज प्रभावित होने की आशंका है.
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