मिट्ठी की घटती उर्वरक क्षमता और उसे बढ़ाने की कोशिश दोनों के लिए रासायनिक खाद जिम्मेदार है. हरित क्रांति में हुए बदलाव के बाद लोग फसल से अच्छी उपज और उच्च गुणवत्ता पाने के लिए रासायनिक खाद का इस्तेमाल करने लगे. जिस वजह से धीरे-धीरे मिट्टी की उर्वरक क्षमता इस हद तक कम होती चली गयी कि अब बिना खाद फसल का हो पाना किसानों के लिए किसी चिंता से कम नहीं है. इसकी पुष्टि हाल ही में जारी किए गए एक मीडिया रिपोर्ट में भी की गई है. कहा गया है कि देश में डीएपी उर्वरक का उपयोग 16.9 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि एमओपी जैसे अन्य उर्वरकों की बिक्री में 47.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है. इसका मुख्य कारण कही ना कहीं दी जा रही सब्सिडी सुविधा को बताया गया है. जिस के कारण उर्वरकों की बिक्री और उपयोग में यह बदलाव आया है.
खेतों में रसायनों के अत्यधिक उपयोग के कारण मिट्ठी का ऊपरी सतह घटता जा रहा है यानि क्षरण हो रहा है. इतना ही उर्वरकों के अधिक उपयोग से, मनुष्यों और जानवरों पर भी नकारात्मक असर देखा जा रहा है और रसायनों के संचय का एक सतत चक्र बन रहा है. ऐसे में सरसों के जीएम वेरिएंट जैसे बीजों के चुनाव से यह चक्र और गहरा होता जा रहा है.
सरकार और कंपनी के द्वारा दिये जा रहे सब्सिडी के कारण डीएपी सबसे सस्ता उर्वरक है, क्योंकि कंपनियां इसे 27,000 रुपये प्रति टन से कम में बेचती हैं. आकड़ों के मुताबिक यूरिया की बिक्री में भी 4.7 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है. जिस वजह से मिट्टी की लवणता यानि मिट्ठी में खारापन बढ़ता जाएगा साथ ही इससे मिट्टी में नाइट्रोजन का अवशोषण कम होता है.
आपको बता दें यह एक ऐसा चक्र जो फसल के विकास को कम करता है और किसान को अधिक उर्वरकों का उपयोग करने के लिए मजबूर करता है. यह अपने आप में एक आत्म-स्थायी और आत्म-पराजय अभ्यास बन जाता है जो न केवल मिट्टी को नुकसान पहुँचाता है बल्कि मिट्टी के ऊपरी सतह को भी कम करता है. ऊपरी मिट्टी, मिट्टी की परत का पहला छह इंच, कृषि के लिए सबसे महत्वपूर्ण परत है, क्योंकि यहीं पर अंकुरण होता है.
अब इस असंतुलित रासायनिक मिश्रण में हम एक और घटक जोड़ रहे हैं, जो जीएम फसलें हैं और अब जीएम सरसों. प्रत्येक जीएम बीज कीटनाशकों और उर्वरकों की एक अनूठी रासायनिक आपूर्ति श्रृंखला बनाता है. रासायनिक आपूर्ति श्रृंखला का यह एकाधिकार किसान के निचले स्तर के लिए एक खतरा बन जाता है क्योंकि यह एक ही विक्रेता से उर्वरकों, कीटनाशकों और शाकनाशियों की लागत को बढ़ा देता है. इससे उसकी शुद्ध कमाई खत्म हो जाती है. जीएम बीज उसे रसायनों की एक स्ट्रिंग बेचने के लिए सिर्फ एक बिक्री का जरिया है.
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