दुनिया में दालों के व्यापार में गिरावट, मटर-मसूर की पैदावार घटने से बिगड़े हालात

दुनिया में दालों के व्यापार में गिरावट, मटर-मसूर की पैदावार घटने से बिगड़े हालात

चीन और यूरोपीय संघ जैसे क्षेत्रों में दालों के आयात में कमी बहुत अधिक रही, जहां मटर के आयात में थोड़ी कमी आई. इस बीच, भारत में मटर के आयात में भारी इजाफा देखा गया. दूसरी ओर, दक्षिण एशिया और उसके आसपास के पूर्व एशियाई देशों में मसूर के आयात में कमी आई है. साथ ही भारत में भी मसूर की खरीद में गिरावट देखी गई है.

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दुनिया में दालों के व्यापार में गिरावट, मटर-मसूर की पैदावार घटने से बिगड़े हालातदालों के आयात में गिरावट

दुनिया में दालों के व्यापार में गिरावट आई है. खासकर मटर और मसूर के उत्पादन में कमी के कारण. यह जानकारी अंतरराष्ट्रीय अनाज परिषद, भारत मध्य पूर्व कृषि गठबंधन और भारत उपमहाद्वीप कृषि फाउंडेशन के एक संयुक्त बयान में दी गई है. इस बयान में कहा गया है कि दुनिया में मटर और मसूर की पैदावार में गिरावट होने के कारण इसके व्यापार में भी कमी आई है. 

इस गिरावट की वजह से दालों के आयात की कुल वैश्विक मांग में मामूली गिरावट आई है, जो 2024 तक 214 लाख टन रहने का अनुमान है. हालांकि, इस गिरावट के बावजूद दालों का वैश्विक व्यापार अभी भी हमेशा के औसत स्तर से अधिक बना हुआ है. 

दालों के आयात में कमी

चीन और यूरोपीय संघ जैसे क्षेत्रों में दालों के आयात में कमी बहुत अधिक रही, जहां मटर के आयात में थोड़ी कमी आई. इस बीच, भारत में मटर के आयात में भारी इजाफा देखा गया. दूसरी ओर, दक्षिण एशिया और उसके आसपास के पूर्व एशियाई देशों में मसूर के आयात में कमी आई है. साथ ही भारत में भी मसूर की खरीद में गिरावट देखी गई है.

इन तमाम चुनौतियों के बावजूद, पिछले कुछ सालों में दुनिया में कुल दाल उत्पादन में वृद्धि हुई है. हालांकि, दालों की बढ़ती वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए और प्रयासों पर बल दिया जा रहा  है, जो दुनिया भर में खाद्य सुरक्षा में बड़ी भूमिका निभाती है. 10 फरवरी को बीते विश्व दाल दिवस पर इन प्रयासों पर जोर दिया गया कि दालों की खेती और उसकी पैदावार को बढ़ाया जाए ताकि खाद्य सुरक्षा मजबूत हो. भारत दालों के आयात का बड़ा देश है जहां भारी मात्रा विदेशों से मंगाई जाती है.

उत्पादन बढ़ाने पर जोर

सरकार ने दालों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए कई प्रयास शुरू किए हैं. इस बार के बजट में इसके लिए प्रावधान भी किया गया है. दालों की खेती और रकबा बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. भारत में दालों की खेती के साथ बड़ी समस्या इसका प्रति एकड़ उत्पादन है. बाकी देशों की तुलना में भारत में यह उत्पादन बहुत नीचे है जिसे बढ़ाने पर सरकार का फोकस है. यही वजह है कि किसान भी इससे हाथ खींच रहे हैं. इसकी सरकारी खरीद में भी दिक्कतें आती हैं.

एक आंकड़े के अनुसार 2022-23 में भारत में प्रति एकड़ मसूर की पैदावार 899 किलो थी जबकि चीन में यह आंकड़ा 2570 किलो का था. यानी लगभग ढाई गुना अधिक. एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में इथियोपिया में चने की सबसे अधिक औसत उपज 2,170 किलो प्रति हेक्टेयर थी. 2022-23 रबी फसल सीजन के दौरान भारत की चने की उपज 1,261 किलो प्रति हेक्टेयर थी, जो इथियोपिया से 41.9 परसेंट कम थी. 

दूसरी ओर, भारत दुनिया में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक है. हालांकि, इसका उत्पादन देश की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है. वाणिज्यिक खुफिया और सांख्यिकी महानिदेशालय (DGCIS) के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने 2023-24 में 16.8 लाख टन दाल का आयात किया. 

 

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